इस बार दीप पर्व मनाने को लेकर ज्योतिषियों और धर्मशास्त्र के जानकारों के बीच मतांतर चल रहा है। कई जानकार 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत बता रहे हैं। वहीं, कुछ विद्वान 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ दिन मान रहे हैं।
हालांकि, इस सब के बीच ज्योतिर्लिंग महाकाल और सांदीपनी आश्रम में 31 अक्टूबर को दीपपर्व मनाने का निर्णय हो चुका है। उज्जयिनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने बताया तिथियों में घट बढ़ के कारण त्योहार मनाने को लेकर मतांतर की स्थित बनती है।
यह दो कारण से उत्पन्न होती है, पहली स्थान भेद के कारण, जिसमें सूर्य के उदय और अस्त के समय में अंतर होता है। दूसरा शास्त्र भेद के कारण इसमें पंचांग की गणना गृह लाघवी और चित्रा केतकी पद्धति से होना है।
गृह लाघवी पुरानी पद्धति है, इसमें विचलन हो चुका है। 31 अक्टूबर को दीपावली बताने वाले विद्वान इसी पद्धति से निर्मित पंचांग से गणना करने वाले हैं। जबकि 1 नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय सूक्ष्मदृश्य गणित अनुसार लिया गया है।इधर, धर्मशास्त्र के कुछ ज्योतिषाचार्य के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना सर्वश्रेष्ठ बताया है। वहीं कुछ पंडितों ने बताया कि उज्जयिनी विद्वत परिषद द्वारा गृह लाघवी पद्धति में विचल की बात कही जा रही है, जो सर्वथा अनुचित है।
इस विषय पर बैठक नहीं, बल्कि शास्त्रार्थ होना चाहिए। उज्जयिनी विद्वत परिषद में शामिल कोई भी विद्वान इस विषय पर उनसे शास्त्रार्थ कर सकता है।
अनुसार, इस वर्ष दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मानना श्रेष्ठ है। इस वर्ष दिनांक 31 अक्टूबर को दिन के 15:52 पर अमावस्या तिथि लगेगी, जिसका समापन 01 नवंबर को शाम 5:13 मिनिट पर हो जाएगा।