भोपाल मध्य प्रदेश: भोपाल के बगरौद इंडस्ट्रियल एरिया की फैक्ट्री में पकड़े गए 1814 करोड़ के मेफेड्रोन ड्रग्स के मामले ने तमाम सवाल खड़े किए हैं। इतनी बड़ी खेप में ड्रग्स और पूरी की पूरी ड्रग फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद यदि हम यह कहें कि भोपाल को नशे की राजधानी बनाने की तैयारी चल रही थी।तो इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए। पूरा खेल पैसों का है क्योंकि जो ड्रग्स पकड़ी गयी उसकी मत 2100 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। इस ड्रग्स काण्ड में आपके चुने गए माननीयों का कितना कनेक्शन था? अब हम आपको वह खुलासा करते हैं जो सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी।
जिन्हें वोट देकर आप शक्तिशाली बनाते हैं। वह आपके वोट का। किस तरह दुरुपयोग करते हैं। इसकी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। आप के वोट से विधायक और सांसद बने। यह नेता कई बार अपराधियों को संरक्षण देते नजर आते हैं और ऐसा ही कुछ हुआ है भोपाल?ड्रग्स कांड में। जहाँ पकडे गए अपराधियों का भाजपा और कांग्रेस से बहुत नजदीकी कनेक्शन रहा। आरोपी हरीश अंजाना जैसे ही ड्रग्स सप्लायर बना उसकी लाइफस्टाइल बदल गई। इस मामले में म। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कि हरीश आ जाना पर। एनडीपीएस एक्ट। में। एक केस नाहरगढ़ में। और एक ग्वालियर में दर्ज हुआ था। लेकिन हरीश अनजाना। का राजनीतिक रसूख इतना था। कि उसके घर नोटिस लेकर पहुँचे नाहरगढ़ थाने के तत्कालीन ए एस आई केरू सिंह को ही सस्पेंड कर दिया गया था। कुछ समय बाद ही नोटिस शाखा संभालने वाले आरक्षक। दिनेश खिंचावत पर भी कार्रवाई हो गई थी। मतलब आप साफ समझ सकते हैं कि हरीश आंजाना की रसूख कितने ऊपर तक रही होगी, क्योंकि अमूमन इस तरह की कार्रवाई कार्रवाई बड़े अधिकारियों और नेताओं की दखल के बाद ही संभव हो पाती है। हरीश आज जाना अपना काला कारोबार चलाता रहा। आप के चुने गए माननियों की जेब अपनी काली कमाई से भरता रहा। यही कारण है की इतने बड़े कारोबार के बाद भी। उस पर कोई कार्रवाई मध्यप्रदेश। की पुलिस या प्रशासन की किसी टीम ने नहीं की।
जब भोपाल ड्रग काण्ड उजागर हुआ और यह हकीकत सामने आई की भोपाल की बगरोदा इंडस्ट्रियल एरिया। की फैक्टरी में करोड़ों की ड्रग बनाई जा रही है और इस पर कार्रवाई गुजरात एनसीबी टीम ने आकर। की है जबकि मध्यप्रदेश। की राजधानी होते हुए भी राजधानी की पुलिस प्रशासन को इतने बड़े काले कारनामा की भनक तक नहीं लगी। तब इस घटना ने इस बात पर संदेह पैदा कर दिया कि कहीं न कहीं इस। काले कारोबार के संचालकों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। और यही वजह रही किसी भी जिम्मेदार ने इनकी फैक्ट्री के भीतर झांकने की कोशिश तक नहीं की। और इस तरह यह लोग आपके बच्चों का मौत का सामान बनाते रहे और बाजार में खपाते रहे। और आपके बच्चों को मौत बाँटने के लिए जितने दोषी यह फैक्ट्री संचालक है उससे कहीं ज्यादा वह माननीय है जिनका संरक्षण इनको मिला हुआ था।
अब हम आपको इस पूरे जांच की अंतिम कड़ी तक पहुँचा देते हैं, यहां हम आपको बता दें कि कुछ समय बाद यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। और जांच को दबा दिया जाएगा क्योंकि जांच की परतें खुलीं तो इस में न जाने कौन-कौन से सफेद पोश नपेंगे। क्योंकि इससे पहले हुए हनीप्रैप मामले की जांच को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि उसमें भी बड़े बड़े सफेद पोष, अधिकारी और माननीय लिप्त थे जिनके नाम यदि आपके सामने आते तो उनके मुंह पर काले पुत जाती। भोपाल ड्रग्स कांड की पूरी घटना के बाद आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि ऐसा कौन-कौन कौन सफेद पोश रहा होगा जिसने इन मौत के सौदागरों को संरक्षण दिया? ऐसा कौन सफेद पोंछ रहा होगा। जो आपके बच्चों के लिए मौत की ड्रग बनवा रहा था? लेकिन इस जांच का हश्र भी हनी ट्रैप। की जांच की तरह ही होगा। और कहीं न कहीं आपके ये सवाल तंत्र में टेबलों पर घूमने वाली फाइलों में दवा दिए जाएंगे!
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