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भोपाल में ड्रग फैक्ट्री, शासन प्रशासन को पता तक नहीं, गुजरात एटीएस ने आकर पकड़ ली 1814 करोड़ की एमडी ड्रग्स

भोपाल, मध्य प्रदेश: प्रदेश की राजधानी भोपाल में नशे के विरुद्ध अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। भोपाल में ड्रग्स की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। इस फैक्ट्री से 1814 करोड़ रुपये की ड्रग्‍स बरामद हुई है। इस कार्यवाही में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह रही कि यह ड्रग फैक्टरी प्रदेश।की राजधानी के पास के ही गांव में एक फैक्ट्री में चल रही थी , और प्रदेश में न तो सरकार को न ह प्रशासन को इसकी खबर थी। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने एटीएस गुजरात के साथ मिलकर शनिवार को इस फैक्ट्री में रेड की, जहां ड्रग्स बनाई जा रही थी। इस मामले में गुजरात एटीएस ने नासिक निवासी सान्याल बाने भोपाल निवासी अमित चतुर्वेदी और मंदसौर के हरीश अंजना को गिरफ्तार किया है। 
ड्रग्स की यह फैक्ट्री बगरोदा गांव के इंडस्ट्रियल एरिया में है, जो कटारा हिल्स थाना इलाके में स्थित है। गुजरात ATS औक NCB की इस कार्रवाई की मध्य प्रदेश के खुफिया विभाग को खबर तक नहीं लगी। यानी मध्य प्रदेश पुलिस से लेकर क्राइम ब्रांच और खुफिया विभाग को राजधानी में संचालित ड्रग्स फैक्ट्री की कोई खबर तक नहीं थी। जबकि गुजरात की टीम ने यहां 1814 करोड़ रुपए का ड्रग्स बरामद कर ली। यह पुरी कार्यवाही मध्य प्रदेश पुलिस के खुफिया विभाग और क्राइम ब्रांच की सुप्त अवस्था पर बड़े सवाल खड़े करती है। 
बताया जा रहा है कि 6-7 महीने पहले भोपाल के बागरोदा औद्योगिक क्षेत्र में एक शेड किराए पर लिया था। पिछले 3-4 महीनों से उन्होंने मेफेड्रोन (एमडी) के अवैध उत्पादन के लिए कच्चा माल और उपकरण जुटाए थे और दवा की रासायनिक प्रक्रिया और बेचना शुरू कर दिया। लगभग 2500 वीएआर शेड में संचालित फैक्ट्री, एटीएस गुजरात की अब तक पकड़ी गई सबसे बड़ी अवैध फैक्ट्री पाई गई है। इसकी क्षमता प्रतिदिन लगभग 25 किलोग्राम मेफेड्रोन (एमडी) बनाने की है। इस कार्यवाही के लिए गुजरात एटीएस के 17। पुलिसकर्मी एक महीने तक भोपाल में ही रहे और पूरी सतर्कता से सबूत जुटाते रहे। जब उन्हें शक हुआ कि एक फैक्टरी जिसका वेंटिलेशन ग्राउंड लेवल पर लगा हुआ है जबकि सामान्यतः ऐसा केमिकल वाली फैक्ट्री में ही होता है क्योंकि अन्य फैक्टरियों में धुएं की निकासी के लिए चिमनी छत पर होती है।इस बनावट से इस फैक्ट्री पर गुजरात एटीएस का शक बड़ा। और पूरी तफ्तीश के बाद यह खुलासा हो गया।
फिलहाल ये जांच चल रही है कि गिरफ्तार व्यक्ति इस आपराधिक गतिविधि में कितने समय से संलिप्त थे, अवैध रूप से उत्पादित मेफेड्रोन (एमडी) कहां और किसे बेचा गया, उन्हें वित्तीय आय कैसे प्राप्त हुई और इस मादक पदार्थ गिरोह में अन्य कौन-कौन से व्यक्ति शामिल हैं। माना जा रहा है कि आरोपियों को सफेदपोशों का संरक्षण भी हो सकता है। 

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