भोपाल मध्य प्रदेश: जिस देश में महात्मा गांधी ने सत्य अहिंसा के आधार पर आंदोलन और धरना प्रदर्शन कर अंग्रेजों से आजादी दिलाई हो आज उसी देश में इस तरह के विरोध प्रदर्शन सरकार को इतने नागंवार गुजरने लगे हैं कि सरकार ऐसे प्रदर्शनकारियों को गोली भी मार सकती है। ऐसा तो अंग्रेजों के शासन काल में भी होता रहा था फिर 1947 में हमें आज़ादी मिल गई और आज़ादी के बाद यदि आज भी यह हालात हैं वे देश की जनता यदि धरना प्रदर्शन करें तो सरकार उन्हें गोली मारने तक की बात करने लगे तो फिर हमें आजादी मिली है या नहीं यह एक बड़ा सवाल खड़ा होता है।
मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है। यहां अतिथि शिक्षक नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे प्रदर्शन का। दिन भी उन्होंने दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन चुना और आंबेडकर मैदान में यह अतिथि शिक्षक शांतिपूर्वक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। आपको बता दें कि अतिथि शिक्षकों कि नियमितीकरण की मांग पर मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री यह बयान दे चुके हैं कि आप मेहमान बनकर आओगे।तो क्या घर पर कब्जा कर लोगे? उनका यह बयान बहुत निंदनीय बताया गया। जब अतिथि शिक्षक अम्बेडकर मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे तो वह यह नारे भी लगाने लगे।कब्जा करने आए हैं।कब्जा करके जाएंगे। इसके बाद यह अतिथि शिक्षक सीएम हाउस की तरफ कुछ करने लगे। अंग्रेजों ने बीच में बैरिकेट्स लगा रखे थे जहां पुलिस ने अतिथि शिक्षकों के साथ धक्का मुक्की और लाठीचार्ज भी किया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है के हालात हूबहू वही थे जो अंग्रेजों के शासन काल में होते थे। अंग्रेज इस तरीके से पुलिसिया पल प्रयोग कर आंदोलनों को कुचलते थे वहीं हालात यहां नजर आ रहे थे।
अतिथि शिक्षकों ने बताया कि वे सभी मैदान में बैठे हुए सुंदरकांड। का पाठ कर रहे थे तो तभी पुलिस ने मैदान की सारी लाइटें बंद करवा। दी चारों तरफ अंधेरा हो गया और उसी बीच रात के अंधेरे में 8 बजे शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया शिक्षक। जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे। इन सबसे बड़ा और चौंकाने वाला इस आंदोलन के दौरान रहा पुलिस। का वह बैनर जिस पर अतिथि शिक्षकों के लिए बलबाई शब्द का प्रयोग किया गया था। पुलिस ने जो बैरिकेट्स लगाए थे उन पर एक लाल। रंग का बैनर भी लगा हुआ था। पुलिस ने इस बैनर पर जो इबारत लिखी थी वह आपको अंग्रेजी काले शासन की याद दिलाती है यहां लिखा हुआ था “बलवाइयों आपका मजमा गैर कानूनी करार दिया गया है तितर बितर हो जाइए कारगर गोली चलाई जाएगी।” इसी तरह गोली चला कर कभी अंग्रेज़ जनरल डायर ने भी हमारे क्रांतिकारियों के विरोध प्रदर्शन लाल रंग से रंग दिया था, वह जलियांवाला बाग कार्ड आज भी हमें अंग्रेजों के अमानवीय और दमनकारी नीति की याद दिलाता है।
आपको बता दें कि यह सब 2 अक्टूबर को हुआ उस। 2 अक्टूबर को जब पूरा देश गांधी जयंती मना रहा था उस 2 अक्टूबर को जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से गांधी जयंती के ऊपर गांधी वाद। के ऊपर बड़ी बड़ी डींगें हांक रहे थे। लेकिन वास्तव में गांधी के विचार न उनके अंदर जिंदा है न उनकी पार्टी के अंदर जिंदा है न उनकी सत्ता केंद्र जिंदा है। वह भी गांधी के विचारों का दोहन ठीक उसी प्रकार कर रहे हैं जिस प्रकार इतने सालों तक कांग्रेस ने किया। मध्य प्रदेश मे डॉक्टर मोहन यादव की सरकार है और मोहन यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुयायी माना जाता है। जिस तरह से पुलिस ने बर्बरता दिखाई और जो बैनर लगाया वह साफ बता रहा है। महात्मा गांधी ने जिस आजादी की परिकल्पना की थी व आज भी कोसों दूर है। अतिथि शिक्षकों के धरना प्रदर्शन जिस प्रकार बल पूर्वक दबाया गया वह कहीं ना कहीं आज यह याद दिलाता है की गाँधी गाँधी के विचार मर चुके हैं और अंग्रेज़ी शासन आज भी सत्तासीन है।
अतिथि शिक्षकों पर किस तरह पुलिस ने की बर्बरता? देखिए चीखते वीडियो
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