प्रदेश के करीब 70 हजार अतिथि शिक्षक नियमित नहीं होंगे। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिथि शिक्षकों के नियमित करने की याचिका का निराकरण करते हुए अलग-अलग आदेश जारी किए हैं।अभी कुछ दिन पहले स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बयान दिया था कि अतिथि शिक्षकों का नाम ””अतिथि”” हैं। अब वे स्कूल शिक्षा विभाग में सिर्फ मेहमान बनकर रह गए हैं। विभाग ने तय किया है कि अब अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण नहीं होगा, सिर्फ सीधी भर्ती में 25 फीसद का आरक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। इन पदों पर अतिथि शिक्षक कार्य करते हैं। इसे लेकर कई अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित करने की मांग की थी। अतिथि शिक्षकों का कहना था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं तथा डीएड-बीएड भी हैं।
तीन वर्ष से लेकर 15 वर्षों तक पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस आधार पर मप्र में भी नियमित किया जाए। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए है
हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में डीपीआई ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा सेवा शर्ते एवं भर्ती नियम 2018 एवं संशोधित नियम 1 दिसंबर 2022 के अनुसार सीधी भर्ती से रिक्त पदों की पूर्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा के उपरांत शिक्षक चयन परीक्षा के माध्यम से शिक्षक भर्ती का प्रविधान है।
इसमें 25 प्रतिशत रिक्तियां अतिथि शिक्षक वर्ग के लिए आरक्षित की जाएंगी। इसमें जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों और 200 दिन प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य किया है। उन अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में रिक्त रहे पदों की अन्य पात्रताधारी अभ्यर्थियों से भरा जाएगा।