ग्वालियर मध्य प्रदेश: एक ऐसा विभाग जो हमेशा अपने भ्रष्टाचार और व्यवस्थाओं में सक्रिय रहता है और यहां फैली तमाम अनियमितताओं पर भी न कभी कोई विराम लगता, न कभी कोई कार्यवाही होती। यह विभाग है रोड ट्रान्सपोर्ट ऑफिस। आर टी ओ। इस विभाग में आप चाहे लाइसेंस के लिए आएं चाहे वाहन पंजीयन। के लिए चाहे रिन्यूअल के लिए चाहे फिटनेस के लिए चाहे पॉल्यूशन के लिए, बिना दलाली दिये यहां कोई काम नहीं होता। और मीडिया रिपोर्ट्स इस बात का हमेशा खुलासा करती रहीं हैं।
आरटीओ आफिस में रजिस्ट्रेशन-ड्राइविंग लाइसेंस देने वाला कोई नहीं, दलाल तंत्र में फंस रहे लोग
परिवहन विभाग में जनता के जुड़े कामों के लिए जनता को परेशान होना पड़ रहा है। यह रोज के हालात हैं। अब आवेदकों को न वाहन रजिस्ट्रेशन कार्ड मिल रहा है न ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड बन रहे हैं। परिवहन विभाग के लिए काम करने वाली स्मार्ट चिप कंपनी को इसकी कोई चिंता नहीं है और मुख्यालय वाले जिले में विभाग के अफसर भी आंखें बंद करके बैठे हैं।हुरावली स्थित आरटीओ कार्यालय में रोज सैकड़ों लोग चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन साहब कभी-कभी ही मिल पाते हैं। वाहनों की फिटनेस में ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे रूटीन कामों के लिए लोगों को मजबूरन दलाल तंत्र में फंसना पड़ता है।
लंबे समय से परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी के बीच भुगतान को लेकर विवाद चला आ रहा है। इस माह और स्मार्ट चिप कंपनी प्रदेश में अपनी सेवाएं देगी। इसके बाद इसके सेटअप व स्टाफ को लेने के लिए परिवहन विभाग तैयारी कर रहा है। इस पूरी परेशानी में आवेदक पिस रहे हैं, ग्वालियर ही नहीं कई शहरों में वाहनों के रजिस्ट्रेशन कार्ड से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड को लेकर बुरे हाल हैं। लोगों की शिकायत है कि महीनों से कार्ड अटके हुए पड़े हैं, पहले प्रक्रिया कर ली गई और शुल्क वसूल लिया गया अब कार्ड नहीं आ रहा है।
ग्वालियर में कलेक्टर की जनसुनवाई में वाहनों की फिटनेस को लेकर वसूली का मामला सामने आ चुका है। इस मामले को लेकर परिवहन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। पीड़ित आटो चालक आकाश आर्य ने कलेक्टर ग्वालियर को की गई शिकायत में इस पूरे मामले का खुलासा किया। आटो चालक ने शिकायत में कहा है कि रायरू स्थित वेदांती फिटनेस सेंटर में वह जब आटो लेकर गया तो वहां 708 रुपये में स्लाट बुक कराने के बाद 1500 रुपये की रिश्वत की मांग की गई। आटो चालक ने यह राशि नहीं दी तो उसकी फिटनेस ही फेल कर दी। उसका कहना है कि वहां जैसा वाहन आ रहा है उसी आधार पर रिश्वत वसूली जा रही है।
अब आप कहेंगे कि जब आरटीओ कार्यालय में खुलेआम दलाली होती है तो वहां के साहब एचके सिंह क्या करते हैं ज्यादातर ऐसा देखा जाता है कि या तो वह दफ़्तर में होते ही नहीं हैं। दफ्तर में होते भी हैं तो किसी आवेदक से मिलते नहीं है। जब मिलते हैं तो आवेदकों से अभद्र व्यवहार करते हैं। कुर्सी तोड़ते हुए बैठे हुए आराम से। मोबाइल में टाइम पास करते नजर आते हैं। आपको बता दें कि प्रदेश का परिवहन विभाग का मुख्यालय भी बिल्कुल आरटीओ कार्यालय के सामने ही है। लेकिन इसके बावजूद भी यहां चल रहे अनियमितताओं पर कोई विराम नहीं लगता।इस विभाग में खुलेआम दलाल घूमते देखे जाते हैं। जो अपने मनमर्जी से पूरे विभाग को चला रहे हैं। उनकी आरटीओ में इस तरह से सांठगांठ है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता आरटीओ विभाग का मुखिया और दलालों का मुखिया एक ही हो।
अभी हाल ही में ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने ऐसे ही एक अनियमितता वाले विभाग जिला पंजीयन केंद्र पर छापामार कार्रवाई करके वहाँ पर हड़कंप मचा दिया था। वहाँ से कई द*** जिन्हें वहां सर्विस प्रोवाइडर के नाम से जाना जाता है वह भाग खड़े हुए थे और कलेक्टर रुचिका चौहान की सख्ती के आगे वरिष्ठ जिला पंजीयक दिनेश गौतम गौतम गौतम जिला पंजीयक अशोक शर्मा तथा अन्य उप पंजीयक के चेहरों से हवाइयां उड़ गई थी। अभि आरटीओ में फैली अनियमितताओं को भी इस बात का इंतजार है थी।जिला कलेक्टर वहां पर भी। औचक निरीक्षण करें और वहां चल रहे अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का प्रयास करें।
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