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सरकारी जमीनों पर भू माफिया के कब्जों पर आंख मूंदे बैठा प्रशासन, अब खुद के प्रोजेक्ट के लिए नहीं मिल रही जगह!

ग्वालियर मध्य प्रदेश: शहर के तमाम क्षेत्रों में जन सुविधा के लिए बनाए जाने वाले तमाम प्रोजेक्ट अधर।में अटके हुए हैं। इनमें से तमाम प्रोजेक्ट इसलिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि इन तमाम जन सुविधा के निर्माण के लिए नगर निगम को कहीं पर सरकारी जमीन ही नहीं मिल रही। यह हालात उस समय हैं जब शहर में चारों ओर तमाम हेक्टेयर बेश कीमती जगह को भू माफिया कब्जाए हुए हैं। अब आप ही बताइए कि प्रशासन की नाक के नीचे भू? माफियाओं को कब जाने के लिए तो सरकारी जमीन मिल रही है लेकिन नगर निगम को जन हित के जन सुविधा के प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कहीं जमीन नहीं मिल पा रही। मतलब आप साफ समझ लें कि इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यदि कमी किसी चीज़ की है तो वह है प्रशासन के नीयत की क्योंकि जमीन की तो कहीं कोई कमी नजर नहीं आ रही!

वार्ड 64 के पार्षद मनोज यादव महीनों पहले नगर निगम आयुक्त को लिखित पत्र देकर यह मांग कर चुके हैं कि उनके क्षेत्र में भूमाफियाओं द्वारा तमाम सरकारी जमीन को कब्जा करके उस पर प्लॉटिंग करके बेचा जा रहा है। पार्षद महोदय ने नगर निगम और जिला प्रशासन को यह बात महीनों पहले संज्ञान में लाई है कि यदि यह सरकारी जमीन खुर्द बुर्द हो जाएगी तो बाद में जन। सुविधा के लिए यदि किसी आंगनवाड़ी केंद्र किसी सामुदायिक भवन किसी स्वास्थ्य केंद्र को बनाने के लिए जमीन की आवश्यकता होगी तो उस समय जमीन न मिल पाने के कारण जन सुविधा के लिए ये सभी साधन नहीं बन पाएंगे। क्योंकि किसी भी निर्माण के लिए सबसे पहली आवश्यकता जमीन होती है और जब सरकारी जमीन बचेगी ही नहीं तो फिर यह प्रोजेक्ट कैसे धरातल पर आएंगे। पार्षद मनोज यादव कि इस शिकायत को कहीं ठंडे बस्ते। में डाल दिया गया और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त भू माफिया पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।सरकारी जमीन पर से कब्जा हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। 

शहर के नागरिकों को तमाम जन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम के बाईस प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जिसके लिए उन्हें लगभग 124 हेक्टेयर जमीन विभिन्न क्षेत्रों में चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस सरकार को पलटने के बाद जब चुनाव हुए थे उस समय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहटा। में एक सभा के दौरान वहां बस स्टैंड बनाने की घोषणा करके गए थे। इसके बाद नगर निगम ने इस बस स्टैंड। के निर्माण के लिए 1.5 हेक्टेयर जमीन की मांग की फाइल कलेक्ट्रेट कार्यालय में भेजी थी। अब यह फ़ाइल कलेक्ट्रेट कार्यालय में ही कहीं न कहीं धूल फांक रही है और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहटा।में बस स्टैंड बनाने की घोषणा अभी तक अधर में है। इसी तरह नगर निगम द्वारा खुरेरी में बर्ड सेंचुरी बनाने के लिए भी 7.274 हेक्टेयर जमीन और रीजनल पार्क के लिए बीस हेक्टेयर जमीन की मांग के लिए फाइल कलेक्ट्रेट कार्यालय में किसी दराज में अंतिम सांसें ले रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अभी हाल ही में ग्वालियर में गीता भवन बनाने की घोषणा भी की थी, लेकिन जब निगम को जमीन ही नहीं मिलेगी तो चाहे पूर्व मुख्यमंत्री हो। या वर्तमान मुख्यमंत्री उनकी घोषणाओं का हश्र एक ही होना है।

निगम को जिन तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन चाहिए उनमें देरी की मुख्य वजह जमीन आवंटन होना ही है। एक बार जमीन मिल जाने के बाद नगर निगम इन पर निर्माण कार्य कर जन सुविधाओं की ये प्रोजेक्ट उपलब्ध करा सकता है। जो जन सुविधाओं के प्रोजेक्ट सरकारी जमीन न। मिलने के कारण अटके हुए हैं उसमें गीता भवन,  डिपो कार्यालय  जलालपुर में सार्वजनिक श्मशान, लश्कर में व्यवसायी कॉम्प्लेक्स गिरर्वाई में एससीटीएस, केदारपुर में लैंडफिल साइट, सिकरौदा में व्यावसायिक व आवासीय जमीन,  मेहरा में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स चंदोहा।में बेस्ट टू एनर्जी प्लांट, आऊखाना में वेस्ट वंडर पार्क जैसे तमाम प्रोजेक्ट हैं। जिस तरह से नगर निगम के यह प्रोजेक्ट सरकारी जमीन के आवंटन के इंतजार में अटके हुए हैं उसको देखकर तो यही कहावत याद आती है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। अब यहाँ नौ मन का तेल तो नौ सौ मन है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में वह पूरा तेल वो माफिया पी रहे हैं। मतलब देश कीमती सरकारी जमीन भू माफिया खुलेआम कब्जा कर रहे हैं। 

यह नगर निगम को जन सुविधा के लिए सभी प्रोजेक्ट के लिए 124 हेक्टेयर जमीन चाहिए और यदि शहर के तमाम वार्ड में सरकारी भूमि पर कब्जे का आंकलन करें तो वह इससे कहीं ज्यादा होगी। और इस तरह के सरकारी जमीन पर भू माफियाओं के कब्जे की तमाम शिकायतें कलेक्ट्रेट कार्यालय में लगी हुई हैं। केवल पुरानी छावनी क्षेत्र की बात करें। तो कई हेक्टेयर सरकारी जमीन इस समय भू माफियाओं के कब्जे में हैं और उसकी तमाम शिकायतों के बाद भी संबंधित तहसीलदार उत्तम संबंधित एसडीएम कोई कार्यवाही करने की बजाय फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल कर बैठे हैं। जब प्रदेश की प्रगतिशील भाजपा सरकार जन। सुविधा के लिए यह प्रोजेक्ट देना चाहती है तो उनके लिए जमीन न उपलब्ध कराने वाला प्रशासन एक तरह प्रदेश की भाजपा सरकार के विकास की निश्चल धारा में रोड़े अटका रहा है। 

सरकारी जमीन पर भू माफियाओं के कब्जे की कड़वी हकीकत
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