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शिक्षक मांगोगे तो जेल मिलेगी! बेटियों की शिक्षक की मांग पर डीईओ ने यह क्या कह दिया?

राजनांदगांव छत्तीसगढ़:  एक और तो सरकार पैसा अभियान चलाती नजर आती है जिसमें स्लोगन लिखा होता है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। लेकिन बेटी पढ़ने के लिए यदि स्कूल में शिक्षकों की मांग कर ले तो संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी उन बेटियों की इतनी बेइज्जती करता है उन्हें इतनी लताड़ देता है और उनको जेल भेजने तक की धमकी दे। देता है। वो यह घटना है हमारे अजब छत्तीसगढ़ के गजब शिक्षा विभाग की। मतलब बच्चों को शिक्षा का अधिकार ही नहीं है। केवल शिक्षा देने की खानापूर्ति चल रही है। पूरे मामले में छात्राओं ने जो खुलासा किया है वह चौंकाने वाला है।

राजनांदगांव में शिक्षकों की कमी से जूझे रहे डोंगरगढ़ ब्लॉक के आलीवारा हायर सेकंडरी स्कूल की बेटियाँ मंगलवार को जिला कार्यालय पहुंच गए। स्कूली छात्राओं  की चेतावनी भरा आवेदन देख जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने उन्हें फटकार लगा दी। आरोप है कि उन्हें जेल में डालने की धमकी तक दे डाली। डीईओ के व्यवहार से नाराज बच्चे रोते हुए बाहर निकले, वहीं बच्चों का रोते हुए वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। डीईओ ने कहा की फटकार लगाने वाली बात गलत है मैंने बच्चों को समझाइस दी है। अब यहाँ पर आरोप प्रत्यारोप तो ठीक है लेकिन जिस तरह से यह बेटियाँ रो। रोकर अपनी दास्तां सुना रही हैं। ऐसा लगता तो नहीं है कि इनका कोई दोष होगा और स्कूल में यदि शिक्षक नहीं है और यह बेटियां पढ़ना चाहती हैं तो इन बेटियों के पढ़ाई में कमी का दोषी कौन है? इस कमी का दोषी वही है जिसकी ज़िम्मेदारी है स्कूल में समुचित शिक्षकों की व्यवस्था हो। 

शिक्षकों की मांग को लेकर कलेक्टर जनदर्शन में मंगलवार को पहुंचे बच्चे व पालकों ने बताया कि दो साल पहले आलीवारा में हायर सेकंडरी स्कूल का संचालन शुरू किया गया, लेकिन वहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। हाई स्कूल के शिक्षकों के भरोसे ही काम चल रहा है। उसमें भी एक शिक्षक लंबी छुट्टी में चले गए हैं। इससे पढ़ाई प्रभावित होता देख बोर्ड के विद्यार्थी और पालक शिक्षक की मांग को लेकर पहुंचे थे। कलेक्टर ने बच्चों की शिकायत सुनकर उन्हें डीईओ अभय जायसवाल के पास भेज दिया। बच्चे और पालक जब डीईओ के पास पहुंचे तो आवेदन कर डीईओ भड़क गए और फटकार लगाते हुए जेल में डालने की धमकी तक दे डाली।

देखिए छात्राओं ने कैसे रोते हुए पूरा घटनाक्रम बताया है

यह कक्षा 12वीं के जीवविज्ञान संकाय की छात्राएं थीं और इनका कहना यह रहा कि स्कूल में पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है जो 10वीं तक की कक्षाएं लगती हैं उनके लिए सख्त शिक्षक हैं। और 11वीं बारवीं मैं जीव विज्ञान। की संकाय में एक भी शिक्षक नहीं है आपको बता। दें कि जीव विज्ञान संकाय में। भौतिक विज्ञान रसायन विज्ञान वनस्पति विज्ञान और जंतु। विज्ञान के विशेषज्ञ शिक्षक होना आवश्यक होता है। अब यदि छत्तीसगढ़ सरकार ने किसी स्कूल को बारहवीं तक मान्यता दे रखी है और उसमें छात्रों का प्रवेश भी ले रखा है लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की तो आप बताएं कि इन छात्राओं का क्या दोष है? 

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