भोपाल मध्य प्रदेश: क्या आप जो पानी पी रहे हैं वह शुद्ध है? उसमें वह सब आवश्यक गुण है जो उसे शुद्ध पानी और पोषक पानी बनाते हैं? कई बार पानी की गुणवत्ता को लेकर तमाम सवाल खड़े होते हैं और स्वास्थ्य विभाग भी अभी तक ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं बना। पाया जिसमें लगातार पानी की गुणवत्ता की जांच हो सके। लेकिन अब मध्य प्रदेश में अब शहरी आजीविका मिशन से जुड़ी समूह की महिलाओं को अमृत मित्र बनाकर शहर में पानी की गुणवत्ता जांचने की बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके पहले नगर पालिका का स्वास्थ्य विभाग कभी-कभार पानी की जांच करता था। अब यह कार्य महिलाएं नियमित रूप से करेंगी।
शहडोल नगर पालिका ने इसकी तैयारी शुरू कर दिया है। इसकी एवज में महिलाओं को 48 रुपये प्रति सैंपल के आधार पर प्रदान किए जाएंगे। शहडोल नगर पालिका क्षेत्र के सभी 39 वार्डों में जल गुणवत्ता परीक्षण (डब्ल्यू क्यूआर) का काम महिलाओं को दिया जाएगा। शासन के निर्धारित मापदंड के अनुसार, महिलाएं पानी के गुणवत्ता की जांच कर नगर पालिका को सैंपल सौंपेगी। नगर पालिका में संचालित अमृत 2.0 योजना के तहत यह पहल की जा रही है। इसके लिए डे-एनयूएलएम में पंजीकृत स्व-सहायता समूहों को लिया जाएगा। इस कार्य के बदले महिलाओं को निर्धारित प्रति टेस्ट 48 रुपये दिए जाएंगे।
शहर के सभी 39 वार्डों में एक या इससे अधिक जरूरत के अनुसार समूह की महिलाओं को जल गुणवत्ता परीक्षण की जिम्मेदारी देना है। समूहों से प्रस्ताव मंगाया गया है। काम करने में सक्षम महिलाओं का चयन किया जाएगा। इसके बाद उन्हें एक टेस्टिंग मशीन नगर पालिका देगी। उसी मशीन के माध्यम से पानी का नमूना लेकर प्रारंभिक जांच करेंगी। इसके बाद यह नमूने नगर पालिका में जमा होंगे और दोबारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग की लैब से जांच कराकर पानी की गुणवत्ता परखी जाएगी। फिलहाल तो शहडोल से इसकी शुरुआत हो रही है। लेकिन ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि महिलाएं हैं पानी की गुणवत्ता जांचने का यह काम बखूबी करेंगी और इससे क्षेत्र के लोगों को अच्छी गुणवत्ता का पानी उपयोग के लिए मिलेगा और यदि यह योजना शहडोल। में कारगर होती है तो आशा कर सकते हैं कि अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाए।