सीधी मध्य प्रदेश: एक गरीब के लिये उसकी बकरी की कीमत क्या होती है? उसकी बकरी उसके लिए कितनी कीमती होती है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब किसी गरीब की बकरी पर बाघ हमला कर दें। तो उस बकरी को बचाने के लिए वह गरीब बाघ से भी भिड जाता है अपनी जान दांव पर लगा देता है। और यह घटना हुई है मध्य प्रदेश के सीधी जिले में स्थित संजय गांधी टाइगर रिजर्व में। वह तो गनीमत रही कि इस चरवाहे के साथ इसके साथ भी वहां मौजूद थे और सबने मिलकर जब हिम्मत दिखाई तो बाघ वहाँ से भाग निकला। और इस गरीब चरवाहे की जान बच गई।
सीधी के कुसमी थाना क्षेत्र के चिलगवाह में रहने वाला रामनिवास भुरतिया (60 वर्ष) अपने साथियों रामसुखी भुरतिया, प्रेमलाल भुरतिया और रामयज्ञ भुरतिया के साथ गाय चराने के लिए संजय गांधी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में गया था। इसी दौरान रामसुखी की बकरी पर बाघ ने हमला कर दिया। पास में ही मौजूद रामनिवास ने लाठी लेकर बाघ से बकरी को बचाने का प्रयास किया तो बाघ ने बकरी को छोड़ रामनिवास पर हमला कर दिया। इसी बीच रामनिवास के अन्य साथी भी वहां पहुंच गए और सभी एक साथ बाघ पर हमला करने लगे। इसके बाद बाघ घबरा गया और रामनिवास को छोड़ जंगल की ओर भाग गया। इस घटना की सूचना तत्काल वन अमले को दी गई, जिसने मौके पर पहुंच कर घायल राम निवास को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उसके हाथ, पैर व पीठ पर गंभीर घाव होने की वजह से जिला अस्पताल से उसे रीवा मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया।
घटना संजय गांधी टाइगर रिजर्व के धुबरी रेंज की है इस क्षेत्र के आस-पास के चरवाहे अमूमन अपनी बकरियों। गायों व अन्य मवेशियों को चराने।के लिए इस क्षेत्र में आते हैं। यह ग्रामीणों की मजबूरी है क्योंकि कहीं पर भी आसपास और कोई चरनोई भूमि नहीं है। और यह चरवाहे अपने जान जोखिम में डाल अपने मवेशियों को पालते हैं। लेकिन यहाँ बुजुर्ग चरवाहे रामनिवास ने एक मिसाल पेश की है। कि वह बहादुर तो है ही साथ ही उसमें इंसानियत भी है क्योंकि जिस बकरी को बचाने का उसने प्रयास किया वह उसकी न होकर किसी और चरवाहे की थी।