Big News

कुपोषण के कलंक से प्रदेश को बाहर निकालने की कवायद, 8 रुपए में कैसे और कितनी होगी कारगर?

भोपाल मध्य प्रदेश: क्या आप जानते हैं कि कुपोषित बच्चों की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले पायदान पर है। यह सब प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण को हटाने की बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराने की तमाम।योजनाओं के बाद है। मतलब सरकार की यह सभी योजनाएं प्रदेश के कुपोषण के कलंक। को मिटाने में बोनी साबित हुई हैं। या फिर कहें इन योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर ठीक से नहीं हो रहा है। अब कुपोषण के कलंक से प्रदेश को बाहर निकालने के लिए संबंधित महिला बाल विकास विभाग ने एक नई कवायद शुरू की है।

मध्य प्रदेश में कुपोषित बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश का महिला एवं बाल विकास विभाग तमाम योजनाओं का संचालन करता है। इस विभाग द्वारा बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराकर। कुपोषण खत्म करने के कई दावे किए जाते हैं। अब महिला एवं बाल विकास विभाग प्रदेश के ज्यादा कुपोषित क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां विशेष अभियान चलाने का कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। क्षेत्रों को पहचानने के लिए सर्वे कार्य शुरू कर दिया गया है। इस सर्वे में यह भी पता किया जाएगा कि उस क्षेत्र में कुपोषण का कारण क्या है? क्या कोई सामाजिक और खानपान की ऐसी पद्धति तो नहीं है जिसके वजह से उस क्षेत्र में बच्चे कुपोषित हों। 

अब हम आपको वह चौंकाने वाले आंकडे बताने जा रहे हैं जो आपको यह सोचने पे मजबूर कर देंगे कि क्या इस छोटी सी रकम को देखकर प्रदेश के इन बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला जा सकता है क्योंकि महिला बाल विकास द्वारा चल रही योजनाओं में प्रति कुपोषित बच्चा या प्रति गर्भवती महिला जो राशि दी जाती है उसमें पोषण युक्त भोजन तो क्या सामान्य भोजन भी उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। प्रदेश में कुपोषण को दूर करने के भले ही कई प्रयास हो रहे हैं, पर इसमें एक बड़ी समस्या आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार की राशि की है। अभी अति कम वजन बच्चों के प्रतिदिन के पोषण आहार पर मात्र 12 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अन्य कुपोषित बच्चों को आठ रुपये और गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को रोज साढ़े नौ रुपये का आहार दिया जाता है। 2018 से यह राशि नहीं बढ़ाई गई है, जबकि इस बीच खान-पान की चीजों की दरें दोगुनी महंगी हो गईं। इस राशि में आधा केंद्र व आधा राज्य सरकार देती है। 

अब मध्य प्रदेश सरकार सर्वे तो करा रही है। अति कुपोषित बच्चों वाले क्षेत्रों को चिन्हित तो किया जाएगा लेकिन क्या 8? रुपए और बारह रुपए में इन बच्चों को वास्तविक पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है? आज की महंगाई के दौर में जहाँ बाजार में एक पोषण युक्त थाली भोजन सौ रुपए के लगभग मिलता है बाजार में एक समोसे की कीमत पंद्रह रुपए हो गई हो, वहाँ बच्चों को वह पोषण आहार दिया जाना जिसमें कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन वसा विटामिन तथा अन्य मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में हो जिससे बच्चों का समुचित विकास हो सके। क्या ऐसा पोषण आहार आठ रुपए और बारह रुपए में उपलब्ध कराया जा सकता है? पूरे देश में मध्य प्रदेश कुपोषण प्रदेश की पहचान बना चुका है। कुपोषण के मामले में सालों से मध्य पदेश पहले पायदान पर है। इसके बावजूद अब जो प्रयास किए जा रहे हैं धरातल पर वह कितने सफल होंगे यह एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि केवल सर्वे करने से कागजों पर तो कुपोषण मिट। जाएगा लेकिन जमीनी हकीकत वही बनी रहेगी।

Gajendra Ingle

Our vision is to spread knowledge for the betterment of society. Its a non profit portal to aware people by sharing true information on environment, cyber crime, health, education, technology and each small thing that can bring a big difference.

Recent Posts

डाक्टरों की आपसी गुंडई और विभागीय खींचतान का खामियाजा भुगत रहे मरीज, आपसी ईगो क्लेश और मरीजों की मौत!

ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज और उससे संबंधित जय आरोग्य अस्पताल…

11 hours ago

मैगी में निकले कीड़े उपभोक्ता फोरम ने ठोका भारी जुर्माना

नई दिल्ली: अगर आप या आपके बच्चे मैगी खाते हैं तो सावधान हो जाएं और…

12 hours ago

बैंक की लापरवाही से लुट गए एटीएम, पुलिस जाँच में बड़ा खुलासा

ग्वालियर मध्य प्रदेश: अभी हाल ही में ग्वालियर में एटीएम लूट की दो घटनाएँ हुई…

12 hours ago

एक ब्रोकर से एक विश्व गुरु का संवाद

मैंने बचपन से ' कास्ट ' के बारे में सुना था। बड़ा हुआ तो  …

12 hours ago

राजस्व मंत्री को आया गुस्सा कहां सब को सस्पेंड कर दूंगा; क्या राजस्व अधिकार सुधर पाएंगे

भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, लेकिन राजस्व महा अभियान 3.0 के तहत भोपाल जिला…

1 day ago

विपक्षी दलों में खलबली के ख़तरनाक संकेत

भारत में लोकतंत्र खतरे में हो या न हो लेकिन तमाम विपक्षीदल जरूर खतरे में…

1 day ago