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सीएम कारकेड के दौरान सेना के मेजर और पुलिस में विवाद, मेजर को गुंडे की तरह उठा ले गई क्राइम ब्रांच!

एक मेजर के साथ पुलिस द्वारा बदतमीजी का आरोप। थाने में भी पूछताछ के दौरान दिखाई मेजर के परिजनों और पुलिस के बीच तनातनी की स्थिति। मेजर का परिजनों का कहना कि जब सेवा के जवान ही नहीं है सुरक्षित तो आम आदमी की क्या होगी स्थिति

ग्वालियर मध्य प्रदेश; वीआईपी ड्यूटी के दौरान आम नागरिकों से बदतमीजी यदि। किसी पुलिसकर्मी द्वारा कर दी जाए। तो यह एक आम बात है ऐसा होता ही रहता है और आम आदमी भी न्याय। की आवाज उठाए बिना बेइज्जती का घूँट पीकर घर चला जाता है। लेकिन यह पुलिस यह बदतमीजी यदि एक सेना। के पढ़े लिखे अधिकारी के साथ हो। तो वाजिब है कि सेना का अधिकारी इसका विरोध भी करेगा लेकिन उसको क्या पता था कि उसका यह विरोध उस पर भारी पड़ जाएगा और पुलिस कर्मी झुंड में आकर उस मेजर को एक अपराधी की तरह उठाकर ले जाएंगे। इसके बाद इस मेजर की क्या दुर्गति? हुई होगी। यह तो यह मेजर छूटने के बाद ही बता।पाएगा।

ग्वालियर में गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री का 2 घंटे का। दौरा था कलेक्ट्रेट में उन्हें व्यापारियों से बैठक करनी थी। इस दौरान हवाई अड्डे से कलेक्ट्रेट तक चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात थी इंद्रमणि नगर में एमआईटीएस तिराहे पर पुलिस ने बेरिक केटिंग लगा रखी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब एक इनोवा कार वहां से निकल रहे सेना। के मेजर की कार को टक्कर मारते हुए निकल गई। इस पर सेना के अधिकारी ने पुलिस को नसीहती और पुलिस को यही नसीहत नागवार गुजरी और वहां उपस्थित पुलिसकर्मियों। का इस सेना के जवान के साथ विवाद बढ़ गया। उसी दौरान क्राइम ब्रांच की।टीम भी वहां से गुजरी और उन्होंने जब। देखा कि पुलिसकर्मियों से एक युवक विवाद कर रहा है। वह भी अपने पुलिसकर्मियों के साथ खड़े हो गए और पुलिसीयाई अंदाज में उस। युवक जो वास्तव में मेजर था उसे एक अपराधी की तरह अपने कार। में ठूंसकर। गोले का मंदिर थाना ले गए। आर्मी ऑफिसर के साथ हुई इस घटना की खबर जब पूर्व सैनिकों ओसेना के अफसरों तक पहुंची तो वे भी गोले का मंदिर थाना पहुंच गए और थाना परिसर में पांच घंटे तक हंगामा चलता रहा।

मेजर आशिष चौहान एक डॉक्टर हैं और इस समय जोधपुर। में उनकी पोस्टिंग है। वह छुट्टी पर ग्वालियर आये हुए थे और अस्पताल में अपने बीमार बच्चे को डॉक्टर को दिखाकर वापस लौट रहे थे उनके साथ उनकी गाड़ी में उनका परिवार था। उनकी पत्नी उनकी बहन और उनके छोटे छोटे बच्चे उनके साथ थे। जब वह इंद्रमणि तिराहे पर पहुंचे तो दूसरी तरफ से आ रही तेज रफ्तार इनोवा। कार ने उनकी कार में टक्कर मार। दी जब मेजर नीचे उतरे और वहां इसका विरोध किया तो इनोवा वाला वहां से मेजर की कार को फिर से टक्कर मारता हुआ भाग निकला। वहां पुलिसकर्मियों के सामने यह सब हुआ और जब मेजर आशिष चौहान वहां तैनात पुलिसकर्मियों। के पास पहुंचे और उनसे कहा कि आपके सामने यह सब हो रहा है काहे? की ड्यूटी कर रहे हो। पुलिस को एक आम आदमी की यह नसीहत नागवार गुजरी और बहस बढ़ती चली गई और पुलिस जवान और मेजर के बीच में झुंमा झटकी हाथा पाई तक हो गई।

वहां बैरिकेटिंग करके खड़ी पुलिस और मेजर आशीष चौहान के बीच विवाद चल ही रहा था। कि उसी बीच वहां क्राइम ब्रांच की टीम भी पहुंच गई और जब। क्राइम ब्रांच ने ट्रैफिक पुलिस से उलझते हुए एक युवक को देखा तो उन्होंने भी न आओ। देखा न ताओ और उस युवक को। एक अपराधी की तरह गाड़ी में ठूस लिया और जबरदस्ती बिठाकर थाने ले गए। इस दौरान वहां पुलिसकर्मियों ने मेजर आशीष चौहान की बहन और पत्नी के साथ भी बदसलूकी की। पत्नी को धक्का मारा जिससे वह बच्चे के साथ जमीन पर गिर गई। पत्नी ने अपनी पूरी आपबीती मीडिया को सुनाई है जिसमें वह साफ उनके पति मेजर आशीष चौहान को किडनैप करके ले जाने का आरोप लगा रही है। और साथ ही मेजर आशीष चौहान की पत्नी का कहना है कि जब इस पुलिस के बीच में एक सेना का जवान ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमियों की क्या सुरक्षा होगी।

घटना के समय मेजर आशिष चौहान के साथ उनकी बहन भी उपस्थित थीं। उन्होंने बताया ही उनका भाई आशिष जोधपुर में पोस्टेड है। इस समय छुट्टियों पर ग्वालियर आया है और जीएच अस्पताल में बच्चे को दिखाकर जब हम इंद्रमणि चौराहे से निकल रहे थे उसी समय भाई की ट्रैफिक पुलिस जवानों से कहा सुनी हुई। मेरा भाई पुलिस को केवल यही कह रहा था कि आपके सामने यह सब। कुछ हो रहा है और आप खडे। हुए देख रहे हैं और पुलिस मेरे भाई से विवाद करने लगी। कुछ समय बाद एक दूसरी कार में 5 7 लोग आए उन्होंने मेरे भाई के साथ मारपीट की और मेरे भाई को उठा ले गए। पहले हमें लगा कि मेरे भाई का अपहरण हो गया है क्योंकि कार में आए लोग सादा वर्दी में थे लेकिन बाद में पता चला कि वह ग्वालियर क्राइम ब्रांच की टीम थी।

इस पूरी घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि वीआईपी ड्यूटी के नाम पर पुलिसकर्मी आम आदमी के साथ किस तरह निजी करते हैं। इसका एक कारण यह भी है के पुलिस की प्राथमिकता आम आदमी की सुरक्षा नहीं बल्कि माननियों की सेवा होती है।और दूसरा कारण यह भी है कि वीआईपी ड्यूटी के दौरान अपनी नौकरी बचाना भी पुलिस की पहली प्राथमिकता होती है। क्यों कि जरा सी चूक में भी माननीयों की टेढ़ी नजर पड़ने पर पुलिसकर्मियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। यहां सवाल यह भी उठता है कि कल? सीएम कारकेड के दौरान कितने चौराहे पर कितने? पुलिसकर्मियों ने कितने आम आदमियों के साथ बदसलूकी की होगी और आज यह खबर पढ़कर वह कैसा अनुभव कर रहे होंगे? देश की सेवा में लगे एक आर्मी के अधिकारी के साथ उसके परिवार के साथ इस तरह की बदसलूकी करना इस तरह की अमानवीय घटना को अंजाम देना कहीं न कहीं पुलिस की छवि को धूमिल कर रही है। इस पूरे घटनाक्रम में अभी सेना की तरफ से कोई सख्त निर्देश नहीं आए हैं और अभी तक पुलिस भी केवल मामले की जांच की बात कर रही है। यदि यह मामला तूल पकड़ता है तो कुछ पुलिसकर्मियों को घर बैठना पड़ सकता है।

देखिए घटना का पूरा वीडियो और मेजर के परिवार जनों की आपबीती

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