छतरपुर मध्य प्रदेश: पुलिस थाने का घेराव और पुलिसकर्मियों पर पथराव जिसमें 5 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। यह कारनामा दंगाइयों को महंगा पड़ गया और ऐसे दो सौ उससे ज्यादा दंगाइयों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सख्त निर्देश के बाद न। केवल दंगाइयों पर एफआईआर दर्ज की गई बल्कि उनमें से एक शहजाद अली के 4 करोड की आलीशान कोठी को बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया गया। यह सब कार्रवाई हुई पथराव की घटना के चौबीस घंटे के अंदर।
आपको बता दें कि 21 अगस्त को जहां भारत बंद का आह्वान था वहीं मुस्लिम समुदाय अहमद नगर के राम गिरी महाराज के ऊपर एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर थाना कोतवाली पहुंचा था। थाना कोतवाली पर सैकड़ों लोगों ने घेराव कर दिया था और जब पुलिस ने उनकी एफआईआर की मांग नहीं मानी। तो यह भीड़ आक्रोशित हो गई और भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस भीड़ ने वहां पुलिस वालों को भी नहीं बख्शा इसमें ए एस पी, टीआई सहित पाँच पुलिसकर्मी घायल हुए थे। उपद्रवियों ने कुछ गाड़ियों को भी तोड़फोड़ कर दी थी। और इस घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव के सख्त निर्देश मिलने पर छतरपुर। प्रशासन ने चौबीस घंटे के भीतर ही इस उपद्रवी भीड़ के मुखिया शहजाद अली की बेशकीमती आलीशान कोठी को बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया।
छतरपुर कोतवाली में पुलिस पर पथराव करने वाले आरोपियों पर पुलिस द्वारा बुलडोजर की कार्रवाई की गई है. चिंहित आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने के बाद, सबसे पहले कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष और पूर्व सदर हाजी शहजाद अली की 5,000 स्क्वायर फीट में बनी आलीशान कोठी पर बुलडोजर चलाया गया. यह कोठी नए मोहल्ले की पॉश कॉलोनी में स्थित है, जिसकी अनुमानित लागत 4 करोड़ रुपये आंकी गई है. अतिक्रमण की शिकायत के बाद एक जेसीबी और दो एलएनटी मशीनों की मदद से इसे पूरी तरह से जमींदोज कर दिया गया।
शहजाद अली का छतरपुर में अच्छा खासा रसूख है। वह छतरपुर के पूर्व सदर और वर्तमान में कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। उनके पास करोडों की संपत्ति है और मुस्लिम समुदाय पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि उनकी एक आवाज पर सैकड़ों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। शहजाद अली की इसी रसूख को देखते हुए पुलिस और जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद था। इस कार्रवाई से पहले पूरे क्षेत्र में नाकाबंदी कर दी गई थी। पूरे क्षेत्र को पुलिस छावनी बना दिया गया था। यही कारण रहा की शहजाद अली के इतने रसूख के बावजूद प्रशासन की इस कार्रवाई के बीच में आने की किसी की हिम्मत नहीं हुई।