अभी हाल ही में दिल्ली की राउस आईएएस स्टडी सर्कल। कोचिंग सेंटर्स मैं बेसमेंट में पानी भर जाने से हुई तीन छात्रों की मौत का मामला गरमाया हुआ है। इस मामले को लेकर पूरे देश में नियम। कायदों को ताक पर रखकर चल रहे कोचिंग सेंटर्स को। लेकर बहस चल रही स्वाभाविक है कि बहस तो लोकतंत्र के मंदिर संसद में भी होनी चाहिए। राज्यसभा में भी इस ज्वलंत मुद्दे पर बहस होनी थी, और इसी बहस के लिए अनुमति देते हुए राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने बड़ी बात कही है।
उपराष्ट्रपति जगदीश धड़क धनगर ने इन कोचिंग सेंटर्स को कैश चैंबर बताया और कहा कि ऐसे गैस चेंबर हैं जिनके लिए अखबार में विज्ञापन भी दिए जाते हैं और मोटी फीस भी वसूली जाती है। विज्ञापनों को दिया खर्चा भी इसी फीस।में वसूला जाता है। कोचिंग सेंटर्स एक फलता फूलता उद्योग बन गया है जिसमें अच्छा रिटर्न मिलता है। नई नई इमारतें भी छात्रों के पैसे से ही बनती हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने देश में फैल रहे कोचिंग कल्चर। की तुलना गैस चैंबर से करते हुए कहा कि एक और देश में नए नए अवसर बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ यह गैस चेंबर कल्चर बढ़ रहा है। इस मामले में ऐसे दृष्टिकोण की जरूरत है जिससे इस समस्या का।निदान हो। राज्यसभा में कोचिंग सेंटर्स कि इस लापरवाही के विरुद्ध जमकर बहस भी हुई और बहस के साथ साथ राज्यसभा सभापति। के कड़े शब्दों में बयान बता रहे कि कहीं न कहीं नियम कायदे ताक पर रखकर कोचिंग सेंटर संचालित हैं।जिससे उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ भी सहमत हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वह ऐसा कुछ कर? पाएंगे कि देश भर में संचालित कोचिंग सेंटर्स नियम के अनुसार चले और छात्रों से जरूरत से ज्यादा फीस वसूली भी न हो क्योंकि उन्होंने मोटी फीस वसूलने का भी जिक्र किया है।