सरकार जनहित की समस्याओं को सुनने और विकास के कितने भी दावे कर? ले लेकिन कहीं न कहीं कुछ न। कुछ ऐसा विरोध सामने नजर आ। ही जाता है जो यह हकीकत बयां कर। देता है कि सब कुछ चंगा नहीं है ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद। जिले से आया है जहां का स्तर पंच अपने क्षेत्र में केवल दो। किलोमीटर की। सड़क का निर्माण न होने की वजह से विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में परिवहन एवं सड़क मंत्री नितिन गडकरी। के बंगले पर पहुँच गया और बंगले के बाहर रेंग। रेंग कर उसने अपना विरोध प्रदर्शन किया और जिस। सड़क के निर्माण की गुहार लगाने और ज्ञापन देने यह सरपंच पहुंचा था। वह सड़क 2023 में ही स्वीकृत हो चुकी है और उसके लिए ₹53 लाख 71 हजार भी स्वीकृत हो चुके हैं। इसके बाद भी इस सड़क का न बनना कई सवाल खडे करता है।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बंबूरडीह का सरपंच शत्रुहन चेलक जब दिल्ली में नितिन गडकरी के बंगले के सामने विरोध करने पहुंचा। तो उसका यह प्रदर्शन मीडिया के संज्ञान में आया और इस विरोध प्रदर्शन की खबर पूरे देश में फैल गई। बंबूरडीह सरपंच शत्रुघ्न चेलक का कहना है कि राम डावरी से वबनकेरा तक 2 km की सड़क का निर्माण होना है। इस सड़क के न होने की वजह से बारिश के समय गाँव टापू बन जाता है। गाँव को स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य लाभ के लिए। यदि बाहर जाना हो तो ग्रामीणों को मुश्किल होती है। और इसी वजह से सरपंच होने के नाते वह इस सड़क निर्माण का ज्ञापन देने के लिए नितिन गडकरी। के पास पहुंचा है। हालांकि उसकी नितिन गडकरी से मुलाकात नहीं हुई लेकिन महासम्मुंद सांसद अपने फोन पर सरपंच को यह आश्वासन ज़रूर दिया कि वह नितिन गडकरी से सरपंच की मुलाकात करा देंगे।
सरपंच शत्रुहन चेलक ने विरोध प्रदर्शन के लिए अपनी जमीन तक बेच दी। सूत्रों की मानें तो उन्होंने 40 हजार में अपनी जमीन बेची और 4000 रुपये ग्रामीण इकट्ठा किए और इसके बाद वह दिल्ली पहुंच गए। इस पूरे मामले में व्यवस्था की बड़ी छूक यह है की जिस सडक। के निर्माण के लिए सरपंच शत्रुघ्न चेलक गुहार लगा रहे हैं। वह सड़क 2023 में ही स्वीकृत हो चुकी है। और उसके लिए 53 लाख 71 हजार राशि भी स्वीकृत हो चुकी है लेकिन टेंडर प्रक्रिया न होने की वजह से यह सड़क आज तक नहीं बन पाई है।