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सीएम के आदेश को ठेंगा बता मछली खुद बाजार आ रहीं खुले में बिकने!

एक तो यह मछलियाँ खुले में बिक रही हैं। दूसरी 15 जून की पाबंदी के बाद भी ये मछलियां बाज़ार तक पहुंच रही हैं। तो क्या यह समझे की मुख्यमंत्री के आदेश को भी प्रशासन ने हल्के में ले लिया है !

जैसे ही मध्यप्रदेश में भी भाजपा की सरकार 4.0 सत्ता में आई और के मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है तो मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही है। ताबड़तोड़ आदेश जारी किए उनके आदेश जारी करने से ऐसा लगा ही पूरे प्रदेश में राम राज स्थापित हो जाएगा, लेकिन हुआ इसके इतर। वह आदेश कहीं फाइलों में दब गए और जो हालात व्यवस्था में पहले बने हुए थे वह जस के तस रहे। ऐसा ही एक आदेश मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने खुले में मांस मछली की बिक्री पर रोक के लिए दिया था। आदेश जारी होते ही 2, 3 दिन के लिए प्रशासन ने कार्रवाई के ढोल पीटे और खुद की पीठ थपथपाई। जिम्मेदारों ने तो अपना काम कर दिया लेकिन ये मछलियां इतनी बेशर्म हैं के बार बार बिकने के लिए खुले में निकल आती हैं!

सीएम के आदेश की बात करें तो ग्वालियर में अब हालात यह है के पुलिस, प्रशासन, मत्स्य विभाग इस आदेश को भूल चुका है और शायद मुख्यमंत्री जी भी भूल गए हों कि इस आदेश की वर्तमान स्थिति क्या है और इस पर प्रशासनिक अधिकारियों से अपडेट लेते रहें? बात ग्वालियर की करें तो शहर में तमाम जगह पर खुले में मांस मछली का वितरण हो रहा है लेकिन सबसे गंभीर हालात मच्छी मंडी लधेडी के हैं। जहां पर बीच रोड पर ही दोनों तरफ मछली की दुकानें हैं और इन मछली की दुकानों पर खुले में मछली सजाकर बेची जा रही हैं। यह मामला मानसून का मौसम चलते और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि प्रशासनिक आदेश के अनुसार पन्द्रह जून के बाद किसी भी तरह का मछली के उत्पादन पर पाबंदी है क्योंकि बरसात का मौसम मछलियों के लिए प्रजनन काल होता है। मतलब साफ है कि कहीं ना कहीं के तालाबों में इस पाबंदी के बाद भी धड़ल्ले से मछलियां निकाली जा रही हैं और वही मछलियां इस मछली मंडी तक बिक्री के लिए आ रही हैं जो कि खुलेआम बेची जा रही हैं।  लदेड़ी मछली मंडी में न केवल खेरीज में मछली बेची जाती हैं बल्कि यहीं से शहर के आसपास के कई क्षेत्र व कस्बों में भी मछली की सप्लाई होती है।

इस मामले में मत्स्य विभाग भी कठघरे में है क्योंकि मछली पालन के लिए जितने भी तालाब और क्षेत्र हैं वह सब मस्जिद वाक की मॉनिटरिंग में आते हैं। मस्जिद विभाग यदि अपना काम ठीक से कर रहा है तो फिर इन है तालाबों और जल स्रोतों से मछलियां कैसे निकाली जा रही है? है और इन मछली माफियाओं को सरकार के आदेश का डर क्यों नहीं है? इसी के साथ मस्त विभाग को यह भी पता है कि शहर में कौन-कौन से क्षेत्र में इस समय मछली की बिक्री हो रही है लेकिन इस विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारी किसी भी तरह की कार्रवाई करो नहीं करते हैं। एक तो खुले में मछलियां बिकनी ही नहीं चाहिए और दूसरा पन्द्रह जून के बाद तो मछलियों के किसी भी तरह के उत्पादन पर पाबंदी है तो फिर यह मछली बाजारों में कहां से आ रही हैं? लगता है कि या तो इन मछलियों के पर निकल आए हैं जो यह सीधे तालाबों से उड़कर दुकानों में सज रही हैं या चीता की तरह दौड़ रही है और दुकानों तक पहुंच जाती है।

आपको बता दें कि 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही डॉक्टर मोहन यादव ने यह आदेश जारी किया था कि खुले में मांस मछली की बिक्री पूर्णत प्रतिबंधित होगी है। इस आदेश के बाद ग्वालियर पुलिस व प्रशासन भी मुस्तैदी से दुकानों पर कार्रवाई करने लग गया था। पूरे प्रदेश की बात करें तो मुख्यमंत्री को ये आंकड़े दिए गए थे की 25 हजार दुकानों को बंद किया गया है। ग्वालियर में भी कई दुकानों को पर्दानशी करके खानापूर्ति की गई थी लेकिन कुछ दिनों बाद ही पर्दे खुल गए और अब तो यह हालत है कि मांस मछली बेचने वालों को है। किसी तरह का कोई न तो पुलिस प्रशासन का डर है, ना ही उनको आदेश याद है अब दुकानदारों को आदेश कैसे याद हो, जब जिले के जिम्मेदार अधिकारी ही मुख्यमंत्री के आदेश को भूल चुके हों। 

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