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स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में कोख में मरती बेटियां! दलाली के खून से रंगे सिस्टम के हाथ!

ग्वालियर अंचल फी लंबे समय से लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के लिए कुख्यात रहा है और पिछले कई सालों में कई मामलों का खुलासा हुआ है। और जब मामलों का खुलासा होता है तो इस बात का प्रमाण बन जाता है न जाने कब से स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में यह काला कारनामा चल रहा हो।

प्रदेश सरकार के बेटी बचाओ के सारे दावे उस समय फेल हो जाते हैं जब हम ग्वालियर अंचल में पिछले कुछ समय में होने वाली कन्या भ्रूण हत्या की परतें खोलना शुरू करते हैं। ग्वालियर अंचल में बड़े पैमाने पर कन्या भ्रूण हत्या हो रही है। अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क चल रहा है केवल आंचल महिलाओं के गर्भ में पल रही कन्या भ्रूण का ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से आई हुई महिलाओं का गर्भपात भी यहां कराया जाता है और इस बात का खुलासा 2019 में हो चुका है और अब गोवागुड़ी स्थित स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल में भ्रूण लिंग परिरक्षण की घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है। अंचल में कन्या भ्रूण हत्या का नेटवर्क किस स्तर पर चल रहा है और सिस्टम के कौन कौन लोगों के हाथ इन कन्या भ्रूण के खून से रंगे हुए हैं!

आपको बता दें कि ग्वालियर अंचल फी लंबे समय से लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के लिए कुख्यात रहा है और पिछले कई सालों में कई मामलों का खुलासा हुआ है। और जब मामलों का खुलासा होता है तो इस बात का प्रमाण बन जाता है न जाने कब से स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में यह काला कारनामा चल रहा हो। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की मिलीभगत का। संशय इस बात से होता है। कि कई बार यहां पर कन्या भ्रूण हत्या। यह लिंग परीक्षण यहाँ के जिला प्रशासन या जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं बल्कि बाहर से आई किसी न किसी टीम के द्वारा पकड़ा गया है।

दिल्ली के खडखड़ी नाहर की बेटी बचाओ समिति के सदस्यों ने 4 मई 2009 को शहर के चार डॉक्टरों का स्टिंग किया था। इनमें डॉ. एसके श्रीवास्तव (सुरेश मेमोरियल क्लीनिक, हुरावली रोड, बारादरी), डॉ. संध्या तिवारी (संध्या नर्सिंग होम, दर्पण कॉलोनी), डॉ. सुषमा त्रिवेदी (त्रिवेदी नर्सिंग होम, नई सड़क) के अलावा डाॅ. प्रदीप सक्सेना का नाम शामिल  थे। कन्या भ्रूण हत्या के लिए सहमति देने के मामले में कोर्ट ने डॉ. संध्या तिवारी, डॉ. सुषमा त्रिवेदी और डॉ. एसके श्रीवास्तव (होम्योपैथी) को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने तीन-तीन साल की सजा सुनाई। साथ ही तीन-तीन हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। यह पहला अवसर है जब पीसी-पीएनडीटी एक्ट में किसी डॉक्टर को सजा दी गई।

जिस तरह से शहर के यह डॉक्टर्स कन्या भ्रूण हत्या में संलिप्त थे और दिल्ली की बेटी बचाओ। टीम ने आकर यहां स्टिंग करके इन्हें पकड़ा, वह इस बात का प्रमाण था कि कहीं न कहीं ग्वालियर जिला प्रशासन ग्वालियर स्वास्थ्य विभाग की टीम स्कंदर क्षण चरण ऐसे दरिंदे। डॉक्टर्स को प्राप्त है और? उनकी मिलीभगत से ही ग्वालियर अंचल में कन्या भ्रूण हत्या का नेक्सस चल रहा हो। जब बाहर की टीम आकर तीन डॉक्टरों की संलिप्तता कुछ ही समय में पकड सकती है तो यहां शहर में ही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार इन घटनाओं पर अंकुश क्यों नहीं लगा पाए। क्या शहर का जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सब? कुछ पता होते हुए भी आँख मूँदे बैठा है। या इन्होंने अपने आप पर हरा चश्मा पहन लिया है?

अभी हाल ही में जिस पंकज तिवारी को पकड़कर ग्वालियर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है उसका इतिहास आपको झंझकोर के रख देगा। और आपको भी यह सोचने पर मजबूर कर देगा। इतने समय से पंकज तिवारी को स्वास्थ्य विभाग ने संरक्षण तो नहीं दे रखा था? 2019 में भी बाहर से आई टीम ने सीपी कॉलोनी में पंकज तिवारी द्वारा संचालित कन्या भ्रूण हत्या केंद्र पर छापा मारा था और उस समय ऐसी चर्चाएं भी चली थीं कि स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के चलते ही पंकज तिवारी वहां से भागने में कामयाब हो गया था। तब से अभी पकड़े जाने तक पंकज तिवारी अपनी मोबाइल वैन लेकर उसमें पोर्टेबल मशीन रखकर पूरे अंचल में कन्या भ्रूण हत्या लिंग परीक्षण का काम बेखौफ कर रहा है।

छह वर्ष पूर्व मुरैना के संजय कॉलोनी में भी एक नर्स द्वारा संचालित अवैध लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या केंद्र पकड़ा गया था और उस समय भी कई। इसी तरह से पंकज तिवारी भी अभी पकड़े जाने के बाद कई राज खोल रहा है। पंकज तिवारी ने पुलिस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। 3 लोगों के नाम भी बताए हैं जो कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण लगातार कर रहे हैं। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में अलग-अलग अलग अलग-अलग जगह से लिंग परिक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के मामले मामले सामने आए हैं वह साफ बता रहा है। बडे स्तर पर कोई नेटवर्क  यह काम चल रहा है और और इस अवैध काम की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को न मिलती हो यह कैसे हो सकता है!

एक बार मान लें कि यह पिछले कई सालों में जो घटनाएं हुई हैं वह इस बात को पुख्ता रूप से प्रमाणित नहीं करती की अंचल में लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या हो रही है। तो चलिए बात कर लेते हैं अंचल के तमाम जिलों के लिंग अनुपात की। प्रदेश में कमजोर लिंग अनुपात की बात जब भी चलती है तो अंचल के ग्वालियर मुरैना भिंड का नाम ज़रूर आता है। क्या ज़िला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस बात का जवाब दे पाएगा कि यदि अंचल में बड़े स्तर पर लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या नहीं हो रहे हैं तो फिरइस क्षेत्र में लिंगानपात में इतनी असमानता क्यों है? क्या पंकज तिवारी से मिलने वाली जानकारी लिंक से लिंक जोड़कर कन्या भ्रूण हत्या में लिप्त तमाम दरिन्दों तक पहुंचकर इस अंतर राज्य गिरोह के हर व्यक्ति को सलाखों के पीछे पहुंचाने की इच्छा शक्ति प्रशासन जुटा पाएगा?

Gajendra Ingle
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