पहलगाम में आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध है। जिस निर्दयता से क्रूरता से आतंकवादियों ने वहाँ पर्यटकों को मौत के घाट उतारा वह सुनकर ही दिल। काँप उठता है। लेकिन जिन लोगों ने वहां पर वह भयावह हालात देखे होंगे उनसे पूछिए उस समय उनके दिलो। दिमाग दिया। क्या चल रहा होगा? किस तरह से उन्होंने उन हालातों का सामना किया होगा। जिस तरह से आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी उनका नाम पूछा उनका धर्म पूछा और उसके बाद गोली मारी पुरुषों को गोली मारने के बाद महिलाओं को चुनौती तक दे गए। इन सभी के बीच वहां एक युवा ऐसा भी था जो आतंकवादियों से जूझ रहा था, लड़ रहा था, पर्यटकों को बचाने का प्रयास कर रहा था।
“यह कश्मीर के मेहमान हैं इन्हें मत मारो” जब युवक की यह आवाज़ आतंकवादियों के कानों में पहुंची तो उन्हें इस तरह किसी युवक द्वारा रोका जाना नागवार गुजरात। उन्होंने उस युवक का नाम पूछा न धर्म पूछा और इस युवक पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी और इस युवक को मौत के घाट उतार दिया। इस युवक ने अपनी जान देकर वहां आतंकियों की गोली झेल रहे पर्यटकों को बचाने का प्रयास किया। हालाँकि यह युवक कामयाब नहीं हो सका। लेकिन यह युवक इंसानियत की एक नई इबारत लिख गया। इस युवक के हौसले और जस्वी ने इंसानियत के कद को बहुत ऊपर ले जाकर खड़ा कर दिया।

सैयद आदिल हुसैन शाह एक कश्मीरी था। तीस वर्षीय युवक था। आंखों में कई सपने थे। परिवार का एक मात्र कमाने वाला सदस्य था। यह पहलगाम के उस मिनी स्विट्जरलैंड में पर्यटकों को टट्टू की सवारी कराता था। पर्यटकों के लिए इस के दिल में बहुत मान और सम्मान था। जिस समय पहलगाम के इस स्पॉट पर आतंकी हमला होता है आतंकवादी छब्बीस पर्यटकों को गोलियों से भून देते हैं। जिस समय यह नरसंहार चल रहा था उस समय यह युवक सैयद आदिल हुसैन मौके पर मौजूद था और इसने अपनी जान की परवाह किए बगैर आतंकवादियों से पर्यटकों को बचाने का प्रयास किया। यह आतंकवादियों से भिड़ गया आतंकवादियों से उनका हथियार छीनने लगा। लेकिन आतंकवादियों ने इसके सीने में भी तीन गोली उतार दी। और यह जांबाज युवक पर्यटकों को बचाते हुए मारा गया।
उस युवक की बहन ने जो कहानी सुनाई वह हैरान करने वाली है। युवक की बहन अस्मा। बताती हैं कि उसने सुबह ही सय्यद आदिल हुसैन को रोका था कि आज वह काम पर न जाए। उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा। उसे अहसास है। कि आज कुछ बुरा हो सकता है लेकिन। सैयद सैयद बहन की बात न मानकर पर्यटक सेवा के लिए अपने काम पर चल दिया। उसे क्या पता था कि उसके बहन का एहसास हकीकत बन जाएगा।

युवक के पिता हैदर शाह बताते हैं। सैयद उनके घर को चलाने वाला अकेला सदस्य था और अब बुढ़ापे में उनका कोई सहारा नहीं बचा है। सैयद शाह आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका इंसानियत को कायम रखने का जज्बा। यह कश्मीर के मेहमान हैं जताने का जज्बा यदि हर कश्मीरी युवक के दिल में पैदा हो जाए तो कश्मीर के लिए नापाक इरादे रखने वाले दहशत कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे और कश्मीर वास्तव में स्वर्ग बन जाएगा।