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तिरुपति मंदिर में भगदड़ की वजह, पहले भी हुई हैं धार्मिक स्थलों पर भगदड़ जिनसे नहीं ली सीख

हजारों श्रद्धालु पवित्र वैकुंठ एकादशी के अवसर पर दर्शन के लिए टोकन लेने पहुंचे थे. गुरुवार सुबह 5 बजे से 91 काउंटरों पर टोकन बांटने का कार्यक्रम था. तिरुपति शहर में आठ स्थान पर टिकट वितरण के केंद्र बनाए गए थे, लेकिन शुभ अवसर को लेकर श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहले ही वहां जमा हो गए और शाम को एक स्कूल पर बने केंद्र पर भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। तिरुपति विष्णु निवासम आवासीय परिसर में बुधवार (9 जनवरी)  रात हुई भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए. यह घटना तब हुई, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु वैकुंठ द्वार पर दर्शन के लिए टोकन लेने के लिए उमड़ पड़े, इससे भगदड़ मच गई। 

यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी धार्मिक स्थल पर मची भगदड़ में भक्तजनों की मौत हुई हो। इससे पहले भी तमाम ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं। भगदड़ की उन घटनाओं की चर्चा न करते हुए हम इस बात पर आते हैं कि जब यह भगदड़ की घटनाएं हो जाती हैं बेकसूरों कि जान चली जाती है। उसके बाद चाहे मंदिर प्रशासन हो चाहे उससे जिले का प्रशासन हो चाहे उस प्रदेश की सरकार हो। सब लोग जांच की बात करके भगदड़ की वजह। जानने का प्रयास करने लगते हैं। ऐसा पिछले तमाम मामलों में हुआ है लेकिन इन भगदड़ के मामलों से सीख लेकर। आगे धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए जाते हैं। संभवतः ऐसा ही इस तिरुपति मंदिर में हुई भगदड़। के बाद भी होगा। कुछ दिन जांच होगी। जांच रिपोर्ट आएगी उसमें कुछ बिंदु बताए जाएंगे और उसके बाद वह फाइल किसी ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी और अगले किसी ऐसी भगदड़ का इंतजार किया जाएगा।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना पर गहरा शोक जताया और राहत कार्यों का वादा किया। जहां उन्होंने हादसे के तुरंत बाद तिरुपति प्रशासन और टीटीडी के अधिकारियों के साथ टेली कॉन्फ्रेंस कर जानकारी ली और जरूरी आदेश दिए। वहीं, गुरुवार को मुख्यमंत्री दोपहर में खुद तिरुपति पहुंच स्थिति का जायजा लेंगे। इस बीच विपक्ष YSRCP ने इस हादसे को लापरवाही का नतीजा बताया और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है। इस हादसे पर प्रधानमंत्री ने भी शोक जताया है। मतलब हमेशा की तरह इस भगदड़ के बाद भी राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। लेकिन यहां किसी का भी उद्देश्य इस तरह की भक्तों के वजह की जड़ में जाने जगह केवल राजनीतिक रोटियां सेंकना है। 

जिस तरह से हर मंदिर में भीड़ प्रबंधन अयोग्य और नाकारा हाथों में होता है वहीं स्थिति तिरुपति मंदिर में थी जहां पर जब एक महिला अस्वस्थ हो गई और उसे गेट खोलकर बाहर निकाला जाना था तो इस व्यवस्था में मंदिर कमेटी में व्यवस्था में लगे लोगों से बड़ी चूक हो गई। गेट खुलते ही गेट के बाहर खड़े श्रद्धालुओं। ने अंदर घुसने के लिए धक्कामुक्की शुरू कर दी और इस धक्कामुक्की में मंदिर प्रबंधन में लगे लोग व्यवस्थित नहीं कर पाए जिसके चलते धक्कामुक्की भगदड़ में तब्दील हो गई। जैसा कि ज्यादातर मंदिर परिसर में होता है कि आपात समय में किसी भक्तगण को बाहर निकालने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होती वहीं अव्यवस्था यहां नजर आई जिसके चलते छह लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। 

मंदिर प्रशासन को पता है कि वैकुंठ एकादशी एक बड़ा उत्सव होता है और इस दिन काफी बड़ी संख्या में भक्तगण दर्शन के लिए आते हैं। भक्तगणों को दर्शन के लिए टोकन का वितरण नौ जनवरी आज से होना था जिसके लिए इक्यानबे टोकन काउंटर बनाए गए थे। भक्तों की बढ़ती संख्या देखकर यह टोकन।काउंटर अपर्याप्त थे। साथ ही जब मंदिर प्रबंधन को पता है कि मंदिर प्रबंधन इतनी बड़ी भीड़ को। व्यवस्थित नहीं कर पाएगा तो फिर ऐसी स्थिति में। एक संख्या निर्धारित की जानी चाहिए थी। और तिथि के अनुसार उतने ही लोगों को प्रवेश के लिए टोकन निर्धारित कर दिए जाने चाहिए थे।

ज़िला प्रशासन की मानें तो वैकुंठ एकादशी के दिन भीड और अन्य व्यवस्थाओं के लिए तीन हज़ार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि क्या यह पुलिसकर्मी भीड़ नियंत्रण के लिए दक्ष हैं। क्या इन्हें ऐसी कोई ट्रेनिंग दी गई थी। यहां न तो मंदिर प्रबंधन में लगे लोग और न ही पुलिसकर्मी भीड़ प्रबंधन के मामले में दक्ष थे। और इनकी अयोग्यता के चलते ही एक छोटी-सी धक्का मुक्की ने एक बड़ी भगदड़ का रूप ले लिया, और यह भगदड़ उस समय तक चलती रही जब तक वहां से भीड़ खुद के भरोसे ही तितर बितर नहीं हो गई। 

अब सवाल यह उठता है कि क्या इस भगदड़ के बाद तमाम तमाम मंदिर प्रबंधन देश के अलग अलग क्षेत्रों में विख्यात है और जहां हर दिन हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु जाते हैं वह भीड़ प्रबंधन को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम करेंगे। या व्यावसायिक संस्था की तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों भीड़ को इकट्ठा कर ज्यादा से ज्यादा चढ़ावा प्राप्त कर तिरुपति मंदिर के चढ़ावे की दौड़ में लगे रहेंगे?

Gajendra Ingle

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