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नेताओं का ‘ सॉफ्ट टारगेट ‘ क्यों होती हैं महिलाएं ?


दुनिया की राजनीति में महिलाएं ही ‘ सॉफ्ट टारगेट ‘ क्यों होती हैं ? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर कोई दे नहीं पाया है ,यहां तक कि खुद महिलाएं भी। महिलाएं नेताओं की बदजुबानी का रोज शिकार बनतीं हैं लेकिन वे इसका प्रतिरोध नहीं कर पातीं क्योंकि महिलाएं भी एकजुट नहीं हैं। उनका इस्तेमाल ‘ शो पीस ‘ से ज्यादा नहीं है। इस मामले में भारत के तमाम राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक हैं। आजकल देश की सबसे ज्यादा संस्कारवान पार्टी महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ करने में सबसे आगे हैं।
महिलौओं के सम्मान और अपमान के बारे में सभी राजनीतिक दल समाजवादी हैं ,यानि उनकी धारणा लगभग एक जैसी है। जो बात बरसों पहले आरजेडी के लालू प्रसाद यादव ने कही थी वो ही बात आज भाजपा के महाभद्र नेता रमेश बिधूड़ी ने कही है ,इसलिए मुझे न कोई हैरानी हुई और न रंज। लालू प्रसाद यादव ने पटना की सड़कों को भाजपा सांसद और स्वप्न सुंदरी रह चुकी हेमामालिनी के गालों जैसा बनाने की बात कही थी । रमेश बिधूड़ी ने इसी काम के लिए प्रियंका वाड्रा का इस्तेमाल किया है। बिधूड़ी ने कहा कि यदि भाजपा दिल्ली विधानसभा के चुनावों में सत्ता में आयी तो काका जी की सड़कों को प्रियंका के गलों जैसा खूबसूरत बना देगी। अब ये बात अलग है कि क्या नौ मन तेल होगा और क्या राधा नाचेगी ?
रमेश बिधूड़ी को आपने संसद में सुभाषित भाषा में भाषण देते सुना ही होगा, उन्होंने बसपा सांसदडेनिश अली को क्या कह कर अपमानित किया था ? वो शायद ही कोई भूला हो। रमेश बिधूड़ी अनाड़ी नहीं हैं। पढ़े-लिखे हैं। स्नातक हैं ,विधि स्नातक भी हैं , तीन बच्चों के बाप हैं और तीन बार के विधायक भी। सांसद तो हैं ही इसलिए उनके अनुभव पर मै क्या ,कोई भी ऊँगली नहीं उठा सकता। उन्होंने दिल्ली विश्व विद्यालय और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कौन सी भाषा सीखी है इसका प्रमाण देने की भी जरूरत नहीं है। कांग्रेस स्वाभाविक रूप से बिधूड़ी के ब्यान पर उखड़ी हुई है किन्तु मुझे बिधूड़ी पर दया आती है। दया आती है भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर जो बिधूड़ी को झेल रही है ,हालाँकि भाजपा ही वो पार्टी है जो लोकसभा में नारी शक्ति बंदन विधेयक लाती है।
देश की सड़कें हेमा मालिनी के गालों जैसीं बनें या प्रियंका के गलों जैसीं ,इसका निर्धारण तो भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कर सकते है। प्रदेशों में ये काम लोक निर्माण मंत्रियों का है लेकिन इस बारे में कभी किसी सरकार ने कोई नीति निर्धरित नहीं की है ,इसलिए मुझे संदेह है कि रमेश बिधूड़ी का सपना पूरा होगा। लालू यादव का सपना पूरा नहीं हुआ। देश की और डबल इंजिन की कोई भी सरकार सड़कों को किसी हीरोइन या नेता के गालों जैसा बनवा ही नहीं सकती। क्योंकि ये असम्भव काम है। सड़कों की तुलना महिलाओं के गालों से करने वाले महिलाओं का कितना सम्मान और बंदना करते हैं ये बताने की जरूरत नहीं।
महिलाओं को लेकर हमारे भाग्यविधाताओं के क्या ख्याल हैं ये जानना हो तो अतीत को खंगालिए । कोई महिलाओं को एक करोड़ की बार वाला कहता है तो कोई जर्सी गाय। कोई राक्षसी कहता है तो कोई कुछ और। कांग्रेस के जमाने में महिलाओं को तंदूरी रोटी की तरह जला दिया गया था तो भाजपा के राज में वे हनी ट्रेप के लिए इस्तेमाल की गयीं। महिलाओं को लेकर कबूतरबाजी करने वाले हमारे देश के ही संसद हैं। महिलाओं को अग्नि के सामने सात फेरे लेकर जिंदगी भर भटकने के लिए छोड़ देने वाले नेता भी हमारे अपने देश के हैं ,वे इंग्लैंड या अमेरिका से नहीं आये।
हकीकत ये है कि एक तो महिलाएं राजनीति में अल्पसंख्यक हैं दूसरे उनका कोई माई-बाप नहीं है। कांग्रेस में श्रीमती इंदिरा गाँधी कैसे प्रधानमंत्री बन गयीं ये हैरानी का विषय है लेकिन किसी दूसरे राजनीतिक दल ने भले ही वो दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल ही क्यों न हो किसी महिला को न प्रधानमंत्री बनने दिया और और न अपनी पार्टी का अध्यक्ष । बहन मायावती और बहन ममता बनर्जी इसका अपवाद हैं क्योंकि वे स्वयंभू है। वे अपने दलों की सुप्रीमो हैं, ये भी दूसरे दलों के नेताओं को नहीं पचता। भाजपा तो हाथ धोकर इन दोनों बहनों को मिटटी में मिलने की कोशिश कर रहीं हैं।
मेरा मूल प्रश्न था कि भारत में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में सॉफ्ट टारगेट क्यों हैं ? इसका उत्तर खोजिये। मिल जाये तो मुझे भी बताइये ,क्योंकि मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। मुझे कोई महिला नेत्री भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे रही। राजनीति में महिलाएं पहले भी खिलौना थीं और आज भी खिलौना ही है। मुमकिन है कि मेरे इस आलेख के बाद तमाम नारीवादी छद्म नेता,लेखक ,पत्रकार मेरे ऊपर राशन- पानी लेकर पिल पड़ें ,लेकिन मै अपनी धारणा बदलने वाला नहीं हूं ,क्योंकि मुझे हर राजनीतिक दल में एक न एक बिधूड़ी नजर आ रहा है। किसी दल में ये संख्या कम है तो किसी में ज्यादा। महिलाओं का सम्मान करते हुए जेल यात्रा कर चुके अमरमणि त्रिपाठीआज किस दल में हैं आप खुद पता लगाइये।

महिलाओं के सम्मान के बारे में भाजपा कांग्रेस की नकल करने में नहीं हिचकती । कांग्रेस ने एक महिला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया था सो भाजपा ने भी बना दिय। कांग्रेस ने एक महिला को राष्ट्रपति बनाया था सो भाजपा ने भी बना दिया। लेकिन भाजपा किसी महिला को प्रधानमंत्री नहीं बना पा रही । किसी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना पा रही । भाजपा तो छोड़िये, भाजपा को बनाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पिछले सौ साल में एक भी महिला को संघ का सर संघ चालक नहीं बना पाया ,क्योंकि भाजपा की सनातन सियासी संस्कृति में -‘नारी सर्वत्र वर्जते ‘ सिखाया जाता है। मनु स्मृति की शिक्षा -यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः’ रमेश बिधूडियों को नहीं दी जाती। ये सिर्फ एक नारा है जो मंचों से लगाया जाता है। अन्यथा सभी दल और सभी दलों के नेता नारी को द्रोपदी समझते है। सभी में द्रोपदी के चीरहरण की होड़ लगी है।

बहरहाल मै रमेश बिधूड़ी और उन जैसे तमाम नारी विरोधी नेताओं की बुद्धि शुद्धि के लिए यज्ञ -हवन करने कोई जुगत बैठा रहा हूँ ,देखिये मुझे कितनी कामयाबी मिलती है। ऐसे बदजुबान नेताओं के खिलाफ जनमत न बनाया गया तो महिलाओं के गाल सड़कों की तुलना के लिए कल भी इस्तेमाल किये जाते थे,आज भी किये जा रहे हैं और कल भी किये जायेंगे। महिलाओ जागो,जागो महिलाओ। राजनीति से ऊपर उठकर लालुओं,बिधूडियों का बहिष्कार करो।

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