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एस्सार के शक्तिपुंज शशिकांत का 81 की उम्र में निधन, उनके जीवन से सीखे सफलता का मंत्र

फोर्ब्स के मुताबिक, दोनों भाई 13 को अपना भाग्यशाली अंक मानते रहे। भारत को विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने वाली संपत्तियों का निर्माण करके, रुइया ने स्थानीय प्रतिभाओं को ऐसे कौशल विकसित करने में मदद की, जो पहले केवल विदेशों में ही उपलब्ध माने जाते थे।

देश के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बिजनेस मैन और एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि रुइया का 25 नवंबर को रात 11 बजकर 55 मिनट पर मुंबई में निधन हो गया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। शशिकांत के जीवन की ऐसी कई कहानियाँ हैं जो आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्तत हैं। शशिकांत एक जुझारू प्रवृत्ति की शख्सियत थे। अंतिम समय तक लड़ने में विश्वास रखते थे। जिस समय एसआर ग्रुप घोर संकट में डूबा हुआ था उसका एक किस्सा एक बार उन्होंने मीडिया में साझा किया था। उस समय उन्होंने कहा था कि एक दिन दिन घर की छत पर। एकांत पर वह चिंता में डूबे हुए थे उन्हें लग रहा था कि बिजनेस खत्म हो गया था।। तभी छोटे भाई रवि हौसला देने पहुंचे रवि। ने शशि से कहा। चिंता न करें हम डूबेंगे नहीं क्योंकि हमारी संपत्ति देनदारियों से कहीं ज्यादा है।शशि कहते हैं कि उनके भाई की इस बात ने उन्हें आने वाले कई वर्षों तक ताकत दी। 

शशि रुइया के परिवार में उनकी पत्नी मंजू और दो बेटे प्रशांत तथा अंशुमान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रुइया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह उद्योग जगत के महान शख्स थे। दूरदर्शी नेतृत्व और उत्कृष्टता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने भारत के कारोबारी परिदृश्य को बदल दिया। उनका निधन काफी दुखद है। उन्होंने इनोवेशन और डेवलपमेंट के लिए हाई स्टैंडर्ड स्थापित किए। उनके पास हमेशा कई विचार होते थे। हमेशा इस बात पर चर्चा करते थे कि हम अपने देश को कैसे बेहतर बना सकते हैं।

81 वर्षीय उद्योगपति शशि रुइया ने अपने भाई रविकांत रुइया (उर्फ रवि रुइया) के साथ मिलकर साल 1969 में मेटल से लेकर टेक्नोलॉजी तक के कारोबार से जुड़ी कंपनी एस्सार ग्रुप की स्थापना की थी। शशिकांत रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में साल 1965 में अपने करियर की शुरुआत की और 1969 में चेन्नई पोर्ट पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण करके एस्सार की नींव रखी। एस्सार ग्रुप आज स्टील, ऑयल रिफाइनिंग, इन्वेस्टिगेशन और प्रोडक्शन, टेलीकॉम, बिजली और निर्माण सहित कई सेक्टर में कारोबार कर रहा है।

शशि और उनके छोटे भाई रवि रुइया ने 1969 में एस्सार ग्रुप की नींव रखी। इसमें शुरुआती निवेश 2.5 करोड़ रुपये का था। कंपनी ने एक कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग फर्म के तौर पर शुरुआत की। इसका काम पुल, बांध और बिजली संयंत्र जैसे अहम इन्फास्ट्रक्चर बनाना था। एस्सार ने 1980 के दशक तक एनर्जी सेक्टर में विस्तार कर लिया। उसने कई प्रमुख तेल और गैस एसेट्स को खरीदा। एस्सार ग्रुप ने 1990 के दशक में स्टील और टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री की। उसने पहले हचिसन और फिर वोडाफोन के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाकर अपने टेलिकॉम बिजनेस को काफी आगे बढ़ाया। हालांकि, एस्सार 2011 में तेल और गैस, बिजली और बंदरगाहों जैसे बिजनेस पर फोकस करने के लिए टेलिकॉम सेक्टर से बाहर निकल गया।
 एक समय उनके जीवन में ऐसा आया। जब वैश्विक स्तर पर स्टील की कीमतों में गिरावट और प्रोजेक्ट्स। में देरी की वजह से। आर्थिक संकट आ गया था। 2 लाख करोड का कर्ज उनकी कंपनी के ऊपर था। और उनके कंपनी और परिवार की प्रतिष्ठा दाँव पर थी। हर। कोई यही सोच रहा था के एस आर। ग्रुप खत्म हो चुका है लेकिन शशिकांत ने कर्ज चुकाने योजना तैयार की। एक के बाद एक संपत्ति बेचना शुरू कर दी, सबसे पहले उन्होंने गुजरात स्थित तेल रिफाइनरी और उसके बाद कैप्टिव संपत्तियों को। रूसी सरकार द्वारा नियंत्रित रॉसनेफ्ट को बेच दिया। फिर इक्विनॉक्स बिजनेस पार्क्स। बुक फील्ड को और कई अन्य होर्डिंग्स को अंतरराष्ट्रीय। और घरेलू निवेशकों को बेच दिया। जानकार बताते हैं कि जिस समय तमाम व्यापारिक परिवार कर्ज के बोझ के तले दबे थे उस समय शशिकांत पुरी पूरी ताकत से अपनी कंपनी को। बचाने में लगे हुए थे। उन्होंने कर्ज मुक्त एसआरकी नींव रखी एक साथ दो काम किए। नए कारोबार शुरू किए और मौजूदा बिजनेस को मजबूत किया। जबकि कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने अपने तमाम एसेट्स बेच दिए। अपने ईमानदार इरादों के चलते उन्हें सभी मुश्किलों के ऊपर। जीत मिली। वह यह सब इसलिए कर पाए। क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक पैसों को विदेशी बैंकों में नहीं भेजा इसका इस्तेमाल देश में विश्व स्तरीय एसेट्स बनाने के लिए किया। 

Gajendra Ingle
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