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“मंत्री भक्ति” और “धन घेवा” में लिप्त पुलिस और असुरक्षित जनता, 5 लाख नहीं करोड़ों की है लूट!

ग्वालियर शहर में लूट गोलीबारी जैसे सनसनीखेज अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और जनता त्राहि त्राहि कर रही है। कुछ दिनों पहले ही प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने बैठक लेकर पुलिसिंग को चुस्त दुरुस्त करने की खाना पूर्ति की थी। खाना पूर्ति ही थी इसकी हकीकत सोमवार को उस समय सामने आ गई जब दिनदहाड़े लुटेरे पांच लाख की लूट कर पुलिस को खुली चुनौती दे गए। पुलिस को चुनौती इसलिए भी थी क्योंकि जिस जगह पर पांच लाख रुपये के लूट की सनसनी खेज वारदात हुई वह शहर के पुलिस के मुखिया ऑफिस से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है। एसपी ऑफिस के इतने पास इस घटना को अंजाम देना साफ बता रहा है लुटेरों के मन में पुलिस के नाम का कोई खौफ नहीं था या फिर पुलिस की लापरवाही और लचर ढुलमुल रवैये पर उन्हें पूरा विश्वास था। हालांकि साँप निकल जाने के बाद जोर जोर से लाठी पीटने की पुलिस की कार्यवाही शुरू हो चुकी है पुलिस इन लुटेरों को ढूंढने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। यह जोर न केवल इन लुटेरों को पकडने के लिए है बल्कि अपनी कटी हुई नाक पर मरहम पट्टी करने के लिए भी है।

इस पूरी घटना में पुलिस व्यवस्था कटघरे में है। जिस समय ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय के गेट के बाहर लुटेरे पांच लाख रुपए से भरा बैग लूट कर ले गए। उस समय महज कुछ मीटर की दूरी पर ही जीवाजी विश्वविद्यालय परिसर के अंदर तमाम पुलिस कर्मी मंत्री जी की सेवा में लगे हुए थे। जहाँ एन एस यू आई के कार्यकर्ता मंत्री जी को। अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देना चाहते थे। लेकिन लुटेरों को लूट से रोकने से ज्यादा जरूरी इन छात्रों को मंत्री जी।को ज्ञापन देने से रोकना था। मतलब साफ है कि पुलिस की प्राथमिकता जन सेवा नहीं मंत्री सेवा है देशभक्ति नहीं मंत्री भक्ति है। मंत्री जी भवन के अंदर बैठकर घंटों बैठक ले रहे थे और बाहर खड़े पुलिस कर्मी और पुलिस अधिकारी किस तरह गपिया रहे थे बतिया रहे थे ठहाके मार रहे थे उसकी रिकॉर्डिंग हमारे पास उपलब्ध है। हालांकि घटना की सूचना मिलने पर विश्वविद्यालय थाना के मुखिया उपेन्द्र छारी विश्वविद्यालय परिसर छोड़कर लूट के घटना स्थल पर पहुँच गए थे। जिस पल्सर पर सवार हो कर। लुटेरों। ने सिटी सेंटर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक मुख्यालय के गेट के बाहर लूट की थी वह दोनों तरफ जिन चौराहों से घिरा है वहाँ हमेशा पुलिस चेकिंग करती रहती है। एसपी ऑफिस भी महज कुछ मीटर की दूरी पर है। लुटेरे यहाँ लूट करने से पहले और करने के बाद हरियाणा के रजिस्ट्रेशन वाली नंबर प्लेट पल्सर पर लगाकर शहर में घूमते रहे। 

पुलिस का दावा है की चप्पे चप्पे पर हर चौराहे पर पुलिस चेकिंग करती है। लेकिन पुलिस का दावा कितना खोखला है वह। इन।लुटेरों ने साबित कर दिया। जहां हरियाणा की नंबर प्लेट लगा लूट का सनसनीखेज अपराध करके भी लुटेरे। सभी चेकिंग पॉइंट को। क्रॉस करते हुए शहर छोड़कर निकल गए। वहीं। ग्वालियर की पुलिस आम नागरिकों के हेलमेट और नंबर प्लेट। के आधार पर वसूली में व्यस्त रही। घटना स्थल से यह लुटेरे किन्हीं गलियों में घुस कर नहीं। बल्कि खुले आम उन। रास्तों से निकले। जहाँ पुलिस चेकिंग करती नजर आती है। यह लुटेरे राजमाता चौराहा एसपी ऑफिस मुख्य गेट और बाल भवन होते हुए। पढ़ाओ तक पहुंचे और उसके आगे बस स्टैंड तिराहे पर होते हुए शहर के बाहर निकले। वायरलेस सेट पर लूट की घटना का मैसेज चला था। इसके बावजूद भी किसी चेकिंग प्वाइंट पर पुलिस कर्मी इन लुटेरों को नहीं पकड सके। हालाँकि सूचना यह भी है कि बस स्टैंड। तिराहे पर चेकिंग चल रही थी। जहां पुलिस कर्मी आम नागरिकों के दुपहिया वाहन रोक कर उनके कागज हेलमेट और नंबर प्लेट चेक कर रहे थे। और उनसे जुर्माना भी वसूल रहे थे। उसी बीच यह पल्सर पर सवार लुटेरे वहाँ से गुजरे। जहां एक सिपाही ने बाइक के सामने आकर रोकने की खाना पूर्ति की। लेकिन बाइक सवार लुटेरे इस पुलिसकर्मी को कट। मारकर रेस कोर्स रोड की ओर भाग निकले। अगर प्वाइंट्स पर आम नागरिकों से अनैतिक वसूली की जगह यह पुलिस कर्मी इन। लुटेरों को। पकड़ने के लिए पूरी मेहनत करते तो शायद यह लुटेरे। लूट की घटना के कुछ घंटों के भीतर ही पकड़े जाते। लेकिन “जन सेवा” का नारा देने वाली पुलिस चौराहों पर आम नागरिकों से “धन घेवा” में व्यस्त रही।

इसी बीच पुलिस ने दावा किया है लूट करने वाली गैंग बिहार के कटिहार यह हरियाणा की हो सकती है और लुटेरे पूरी प्लानिंग। के साथ यह वारदात। अंजाम देकर शहर से भागने में कामयाब हो गए हैं। लुटेरों ने पुलिस को धोखा देने के लिए चलती बाइक पर ही कपडे भी बदले हैं। दोनों में से एक लुटेरा रेलवे स्टेशन के आस पास उतर गया जबकि दूसरा लुटेरा गोले का मंदिर हजीरा पुरानी छावनी और मुरैना होते हुए। सैंया टोल होते हुए आगरा की तरफ निकल गया। मात्र मात्र 90 मिनट बाद इस बाइक और एक लुटेरे की लोकेशन सैंया टोल पर कैद हुई है जो घटना स्थल से लगभग सौ किलोमिटर दूर है। अगर लुटेरे बाहर के हैं और शहर में कुछ दिन से रैकी कर रहे हैं। तो वे कहीं ना कहीं किसी होटल धर्मशाला में रुके होंगे। विभिन्न स्थानों के अंतर्गत आने वाले होटलों। में इस तरह की कोई शक्ति नहीं है कि जो बाहरी लोग आकर रुकें उनकी पूरी शिनाख्त की जाए उनके पूरे दस्तावेज लिए जाएं कुछ भी शंका होने पर पुलिस थाने को सूचित किया जाए। और यह होटल धर्मशाला व्यवसाय भी। अपना नुकसान से बचने के लिए केवल यात्री के आने और उससे कुछ रुपया लेने तक सीमित रहते हैं। यही कारण है की बाहर से आए अपराधियों। को शहर के होटलों में आराम से पनाह मिल जाती है।

सतीश कुमार जाटव और उनके साले विनय आनंद के साथ पाँच लाख की लूट हुई है। लेकिन शहर में लापरवाह पुलिस व माननीयों की सेवा में लगी पुलिस की वजह से जनता जो असुरक्षा भुगत रही है। उसमें यह जनता करोड़ों रुपए से लुट भी रही है। करोड़ों रुपए देने के बाद भी जनता असुरक्षित है। न तो आम आदमी की जान महफूज है ना उसका माल सुरक्षित है। हर महीने करोड़ रुपए ख़र्च करने के बाद यह जनता अब खुद को ठगा हुआ महसूस करती है। आपको बता दें कि सिपाही से लेकर शहर के पुलिस के मुखिया एसपी तक सैकड़ों पुलिसकर्मी शहर में पदस्थ हैं। जो हर माह तन्खा और अन्य व्यय के रूप में करोड़ों रुपया ले रहे हैं। यह पैसा इन पुलिसकर्मियों को जनता को दिए हुए टैक्स से ही मिलता है। इन के ऊपर सरकार जो करोड़ों रुपया हर महीने खर्च कर रही है। वह अप्रत्यक्ष रूप से शहर के नागरिक ही दे रहे हैं। और जब इतने तमाम पुलिसकर्मियों के बावजूद खुले आम दिन दहाड़े लूट। की घटना हो जाती है। और लुटेरे चौराहों पर खड़े। पुलिस कर्मियों को ठेंगा। दिखा कर। भाग निकलने में कामयाब हो जाते हैं तो आम नागरिक यह सोचने पर मजबूर हो जाता है ही क्या वह इस शहर में सुरक्षित है? कहीं ऐसा तो नहीं कल वह भी निकले और लूट लिया जाए? शहर में खुलेआम गोलीबारी हो जाये और वह उसका शिकार हो जाए? हालाँकि इस खुलेआम लूटने पुलिस की बहुत किरकिरी की है। और अब अपनी साख बचाने के लिए। पुलिस पिछले कुछ घंटों से लगातार इन लुटेरों को पकड़ने का प्रयास कर रही है और पूरी उम्मीद है  कि जल्द ही पुलिस इन।लुटेरों को पकड़ भी लेगी। लेकिन, क्या आगे ऐसे घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए चौराहों पर बेहतर पुलिस चैकिंग की व्यवस्था की कुछ योजना धरातल पर आ पायेगी और शहर की जनता स्वयं को सुरक्षित महसूस कर पाएगी यह यक्ष प्रश्न है।

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