भोपाल। मध्य प्रदेश: प्रदेश के नये पुलिस महानिदेशक मतलब मध्य प्रदेश पुलिस के मुखिया अब कैलास मकवाना होंगे। कैलाश मकवाना 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और मूलतः उज्जैन के निवासी हैं। मकवाना का कार्यकाल एक दिसंबर से प्रारम्भ होकर दो वर्ष तक रहेगा। वह प्रदेश के बत्तीस वें पुलिस महानिदेशक होंगे। वर्तमान पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना तीस नवंबर अवकाश ग्रहण कर रहे हैं और मकवाना उनकी जगह लेंगे।
आपको बता दें कि कैलाश मकवाना अपनी स्वच्छ व ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। कैलाश मकवाना को लोकायुक्त का मुखिया बनाया गया था। तब उन्होंने तमाम तमाम ऐसी फाइलें खुलवाकर सुर्खियां बटोरी थीं। जिन्हें न तो शासन न ही प्रशासन आगे बढ़ाना चाहता था। कैलाश मकवाना ही लोकायुक्त में सक्रियता के चलते ही उनकी सीआर बिगाड़ दी गई थी और अपनी सियार। को सुधारने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव से अपील की थी जिसके आधार पर उनकी सीआर सुधारी भी गई और वह मुख्यमंत्री के कृपा पात्र बन चुके थे। उनके मुख्यमंत्री से नजदीकी का लाभ उन्हें मिला है और अन्य नामों को दरकिनार करते हुए अब उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस का।मुखिया बनाया गया है। अब इस बात को लेकर चर्चा है कि जब 2021 में उन्हें लोकायुक्त में डीजी बनाया गया था तब उन्होंने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा। का। जो परिचय दिया था क्या वह। प्रदेश के पुलिस के मुखिया के रूप में भी वह जारी रखेंगे?
जिस तरह से पिछले कुछ समय में मध्यप्रदेश बड़े संगीन अपराधों का गढ़ बन चुका है। वह नए डीजीपी के लिए एक चुनौती होगी। आपने देखा ही होगा के कुछ समय पहले भोपाल में ड्रग्स की एक बड़ी फैक्ट्री पकड़ा गई थी। जिसके बाद जब तार खुले तो पता चला कि लंबे समय से ड्रग्स का कारोबार मध्यप्रदेश में चल रहा था। और जिसका पता भोपाल के पुलिस भी नहीं लगा पाई थी। इसी तरह ऑनलाइन फ्रॉड के भी बड़े बड़े सेंटर अब मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं। महिला अपराधों में भी मध्य प्रदेश देश के अग्रणी प्रदेशों में है। और इन सब के बीच में कई बार पुलिस की संलिप्तता की खबरें भी सुर्खियों में रहती हैं। साफ शब्दों में कहें तो मध्य प्रदेश पुलिस की छवि आमजन। के बीच में लगातार बिगड़ती जा रही है। और अब कैलाश मकवाना के ऊपर इस छवि को सुधारने की जिम्मेदारी भी होगी।
डीजीपी के चयन के लिए 3 नामों का पैनल बनाया जाता है और संघ लोक सेवा आयोग के मुख्यालय दिल्ली में इस बार इन। 3 नामों का पैनल बनाया गया था। इसमें डिजी होमगार्ड अरविंद कुमार कैलाश मकवाना। हे साथ ही ई। ओडब्ल्यू के महानिदेशक अजय शर्मा का नाम था। ज्यादातर विशेषज्ञ अजय शर्मा अजय शर्मा के डीजीपी बनाए जाने की ज्यादा उम्मीद जता रहे थे। क्योंकि जिस तरह की ईमानदार छवि कैलाश मकवाना। की थी और जिस तरह का काम उन्होंने लोकायुक्त में रहते हुए किया था। वह आगे व्यवस्था मैं सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है। इस सबके बावजूद कैलाश मकवाना के नाम पर मुहर लगना और प्रदेश के मुख्यमंत्री की भी उसमें अहम भूमिका होना अब चर्चा का विषय बना हुआ है।
आपको बता दें कि कैलाश मकवाना ने पुलिस सेवा की शुरुआत 30 अगस्त 19। सौ अट्ठासी को की थी। और दिसंबर दो हजार पच्चीस में वे सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वह लोकायुक्त में एस.पी. से लेकर डिजी तक रहे हैं। कैलाश मकवाना मूलतः उज्जैन के रहने वाले हैं और उन्होंने मैनिट। से। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी ई और एम टैक भी किया है। जिस तरह से पूरे प्रदेश मे इस समय पुलिस की छवि को लेकर उंगलियां उठाई जाती हैं पुलिस की कार्यप्रणाली भी हमेशा संदेह के घेरे में रहती है। उसको लेकर अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तरह की स्वच्छ और ईमानदार छवि कैलाश मकवाना की है। उसका असर अब पूरे प्रदेश के पुलिस की कार्यप्रणाली में देखने को मिलेगा। क्या डीजीपी के पद पर रहते हुए कैलाश मकवाना अपने स्वच्छ व ईमानदार छवि को आगे उसी तरह अनवरत रख पाएंगे यह देखना दिलचस्प होगा।