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भ्रष्टाचार का गढ़ जिला पंजीय कार्यालय, एक निलंबित बाकी की मौज, उप पंजीयक सिहारे की शिकायत ठंडे बस्ते में क्यों?

ग्वालियर मध्य प्रदेश: तहसीलदार न्यायालय एवं वसूली अधिकारी तहसील मुरार द्वारा विधिवत कुर्क की गई जमीन की रजिस्ट्री करना उप पंजीयक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया को भारी पड़ा है। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और उप पंजीयक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया को निलंबित कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम खेरियामोदी के अंतर्गत परिवार एग्रो बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड की विभिन्न सर्वे क्रमांक की जमीन डायवर्सन राशि जमा न होने से तहसीलदार न्यायालय एवं वसूली अधिकारी तहसील मुरार द्वारा कुर्क कर ली गई थी। इसकी प्रविष्टि जमीन के खसरा नं.-12 में भी अंकित है। उप पंजीयक भदौरिया द्वारा खसरे की अनदेखी करते हुए और शासन नियमों, निर्देशों एवं प्रावधानों के विपरीत एक विक्रय पत्र संपादित कर दिया। उप पंजीयक द्वारा यह विक्रय पत्र संपादित कर अपने पदीय दायित्वों के प्रति विपरीत आचरण तो किया ही है। साथ ही शासन को वित्तीय हानि भी पहुँचाई है। कलेक्टर श्रीमती चौहान ने इसे गंभीरता से लिया है और उप पंजीयक भदौरिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। उप पंजीयक भदौरिया द्वारा प्रस्तुत जवाब समाधानकारक न पाए जाने पर कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियम) के प्रावधानों के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उप पंजीयक भदौरिया का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय रहेगा और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता रहेगी। 

कुछ महीने पूर्व उप पंजीयक मनोज कुमार सिहारे ने जिला पंजीयक कार्यालय में रही गड़बड़ी और बन्दर बाट का काला चिटठा खोल कर रख दिया था। उन्होंने 1 23 बिंदु का शिकायती पत्र लिखा था जो उस समय खूबसूरतियां बना था। उन्होंने शिकायती पत्र में लिखा है कि विगत कुछ दिनों से इस कार्यालय में पंजीयन के लिए बुक किए गए स्लाट्स के द्वारा दस्तावेज प्रारूपण में भारतीय स्टांप अधिनियम रजिस्ट्रीकरण अधिनियम व मप्र रजिस्ट्रीकरण नियमों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। इस प्रकार के दस्तावेज प्रारूपित होने से उप पंजीयक के सामने कानूनी उलझनें उत्पन्न हो सकतीं हैं बल्कि शासन को राजस्व की हानि भी हो सकती है। सिहारे ने अपने शिकायती पत्र में कुछ गंभीर गड़बड़ों को उजागर किया था।

 दस्तावेजों में रजिस्ट्रीकरण अधिनियम की धारा द्वारा संपत्ति की पहचान के लिए अपेक्षित वर्णन नहीं किया जा रहा है बल्कि भवनों व भूखंडों के अधिकांश दस्तावेजों में प्लाट दीगर लिखा जा रहा है। कृषि भूमि के दस्तावेजों में विक्रीत भूमि की चर्तुसीमा नहीं लिखी जा रही है। अधिक मूल्य के दस्तावेजों में पेनकार्ड, फार्म 60 के स्थान पर संबंधित की आइडी अपलोड की जा रही है या फिर कुछ भी अपलोड नहीं किया जा रहा है। डीड में पेनकार्ड नंबर नहीं लिखते हैं।

कृषि भूमि के अधिकांश दस्तावेजों में राजस्व विभाग द्वारा जारी प्रमाणित खसरा अपलोड नहीं किया जा रहा है। द्य दस्तावेजों में विभिन्न कोणों से लिए गए रंगीन फोटो के स्थान पर एक ही फोटो की तीन ब्लैक एंड व्हाइट प्रतियां अपलोड की जा रहीं हैं। सहयोगी दस्तावेजों की मूल प्रतियों के स्थान पर छायाप्रतियां अपलोड की जा रही हैं।

मप्र रजिस्ट्रीकरण नियम के नियमों द्वारा अपेक्षित परिशिष्ट ग के प्रारूप 9 एवं प्रारूप 10 अपलोड नहीं किए जा रहे हैं। दस्तावेजों में गवाहों के आइडी अपलोड नहीं किए जा रहे हैं।
नगरीय संपत्ति अथवा गैर कृषि प्रयोजन की संपत्ति के दस्तावेजों में मप्र रजिस्ट्रीकरण नियम के तहत लिंक दस्तावेज अपलोड नहीं किए जा रहे हैं। द्य नोटराइज्ड शपथ पत्रों में पचास रूपए की बजाए दस रूपए के नोटरी टिकट लगे शपथ पत्र दिए जा रहे हैं।

जब एक उप पंजीयक ही विभाग का काला चिट्ठा खोल रहा है उसके बावजूद भी जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अब भोपाल में बैठे पंजीयक। कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई नहीं की । वरिष्ठ अधिकारियों का इस तरह इस शिकायत को हल्के में लेना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। ग्वालियर जिला पंजीयक कार्यालय में नियमों को ताक पर रखकर ज़मीनों की रजिस्ट्री की जा रही है। जमीने खुर्द बुर्द की जा रही हैं। सर्विस प्रोवाइडर्स की मनमानी चल रही है। जिला पंजीयक का संरक्षण सभी को मिला हुआ है। शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इन सबके बावजूद भी यहाँ पर किसी भ्रष्टाचारी। और लापरवाह पर कोई कार्यवाही नहीं होती। भ्रष्टाचार के इस काले सागर में मंथन के दौरान अमृत निकलता है और वह अमृत कहाँ कहाँ तक बंटता है, यह भी एक बड़ा सवाल है। निचली मंजिल पर उप पंजीयक खुलेआम काला पीला करते रहते हैं।सर्विस प्रोवाइडर अपने मन मुताबिक रजिस्ट्रियाँ करा लेते हैं। और ऊपरी मंजिल पर अपने दंडवों में जिला पंजीयक और वरिष्ठ पंजीयक कबूतर की तरह आँख मूँदकर बैठे रहते हैं। ऐसा लगता है आँख खोलने से ज्यादा आँख।मूँदने में उन्हें ज्यादा लाभ प्राप्त होता हो। उप पंजीयक मानवेन्द्र भदोरिया को हटा कर जिला कलेक्टर रुचिका चौहान ने एक सकारात्मक शुरुआत की है। कि इस विभाग के भ्रष्टाचार और गड़बडझाला को कम किया जा सके। देखना होगा कि यह कार्रवाई मानवेंद्र भदौरिया तक ही सीमित रहती है या उप पंजीयक मनोज कुमार सिहारे के शिकायती पत्र के अन्य बिंदुओं को भी गंभीरता से लेकर जिला प्रशासन आगे अन्य भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई ही करता है? 

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