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सिंधिया क्यों नहीं गए विजयपुर में प्रचार करने, हो सकती हैं यह वजह!

ग्वालियर मध्य प्रदेश: 13 नवंबर को मध्य प्रदेश में दो विधानसभा सीटों बुधनी और विजयपुर में मतदान होना है इन दोनों सीटों में से बुदनी सीट पर भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। वहीं विजयपुर सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है। हालांकि भाजपा के तमाम छोटे बड़े कार्यकर्ता और मंत्री के साथ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी विजयपुर सीट जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। लेकिन विजयपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी राम निवास रावत के पक्ष में प्रचार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नहीं पहुंचने से इस सीट पर भाजपा पिछड़ती दिखाई दे रही है। विजयपुर चुनाव प्रचार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के न पहुंचने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया विजयपुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राम निवास रावत के पक्ष में प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं। इसके पीछे तमाम कारण निकलकर आ रहे हैं। आपको बता दें कि राम निवास रावत सिंधिया परिवार के कट्टर समर्थक रहे थे। स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के समय राम। निवास रावत उनके काफी करीब थे और दिग्विजय सिंह सरकार में भी उन्हीं के प्रयास से राम निवास रावत।मंत्री तक बने थे। राम निवास रावत को सिंधिया परिवार का काफी विश्वास पात्र माना जाता था। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने भी राम निवास रावत को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उस समय राम निवास रावत हर वह काम करते थे जो सिंधिया परिवार का आदेश होता था। 

मार्च 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा। में आए थे तो सिंधिया परिवार के तमाम समर्थक भी सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया को राम निवास रावत से भी समर्थन की उम्मीद थी लेकिन रामनिवास। रावत ने सिंधिया परिवार से वफादारी न दिखाते हुए कांग्रेस का वफादार रहना चुना था। और राम निवास रावत के इस फैसले के चलते ही सिंधिया परिवार से उनकी दूरियां बढ़ गई थीं। और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उनको अपने साथ लाने था फिर आगे कोई प्रयास नहीं किया। लेकिन अब राम निवास रावत भाजपा में आ चुके हैं और उनके भाजपा में आने का श्रेय नरेन्द्र सिंह तोमर का जाता है जिनके प्रयास से उन्होंने भाजपा का दामन थामा है। राम निवास रावत का इस तरह भाजपा में आना संभवतः ज्योतिरादितय सिंधिया को और अधिक नाराज कर रहा होगा।  

आपको बता दें राम निवास रावत 2023 में कांग्रेस की तरफ से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इसके बाद उन्हें कांग्रेस से यह उम्मीद थी। ये कांग्रेस उन्हें प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष।के पद से नवाजेगी। कभी सिंधिया खेमे के वफादार रहे राम। निवास रावत को यहां कांग्रेस ने निराश किया और उन्हें किसी भी महत्वपूर्ण पद से दूर रखा गया इस बात को लेकर राम। निवास रावत कांग्रेस से नाराज नाराज रहने लगे और भाजपा में अपनी जगह तलाशने लगे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया रामनिवास रावत से।

नाराजगी के चलते उनसे दूरी बनाए हुए थे इसलिए राम निवास रावत अब उनके माध्यम से भाजपा में आने का सोच भी नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और नरेंद्र सिंह तोमर के माध्यम से भाजपा में शामिल हुए। लेकिन शायद रामनिवास रावत के इस फैसले ने उनकी सिंधिया से दूरी और बढ़ा दी। 

भाजपा मे शामिल होने के बाद विधायक न रहते हुए भी वर्तमान में राम। निवास रावत मोहन यादव कैबिनेट में वन मंत्री हैं। और भाजपा ने उन्हें विजयपुर विधानसभा चुनाव जिताने के लिए पूरी रणनीति बनाई हुई है। सूत्र बताते हैं कि चुनाव से पहले ही भाजपा ने प्रशासनिक सर्जरी करते हुए अपने पक्ष में काम करने वाले अधिकारियों को श्योपुर में पदस्थ किया है। कांग्रेस भी भाजपा पर इस तरह के आरोप लगा चुकी है। इन सबके बावजूद भाजपा अपने तमाम दिग्गज मंत्रियों तक को चुनाव प्रचार में विजयपुर भेज रही है स्वयं मुख्यमंत्री भी विजयपुर जीतने के तमाम प्रयास कर रहे हैं। इन सब के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया का विजयपुर चुनाव प्रचार में नहीं पहुंचना भाजपा। की जीत को मुश्किल बना रहा है। हालाँकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के लिए महाराष्ट्र में प्रचार कर रहे हैं। 

ग्वालियर चंबल अंचल में कोई विधानसभा या लोकसभा चुनाव हो और सिंधिया परिवार की उपस्थिति वहाँ न हो। तो वह चुनाव उस प्रत्याशी के लिए जीतना मुश्किल ही माना जाता है। अब चंबल अंचल के ही विजयपुर विधानसभा का चुनाव है और ज्योतिरादित्य सिंधिया इस चुनाव से पूरी तरह से दूरी बनाए हुए हैं। इस दूरी के पीछे उनकी राम निवास रावत से नाराज़गी को ही वजह माना जा रहा है। कांग्रेस में रहते हुए कभी सिंधिया परिवार के करीबी रहने वाले राम निवास रावत अब सिंधिया परिवार के लिए शायद कोई वजूद नहीं रखते। हालाँकि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और राम निवास रावत। दोनों ही भाजपा में हैं। लेकिन जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में न आकर। रामनिवास रावत ने उन्हें निराश किया था अब उसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया। राम निवास रावत के प्रचार अभियान में न जाकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की विजयपुर चुनाव से यह दूरी राम निवास रावत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। 

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