भोपाल / ग्वालियर, मध्य प्रदेश: ग्वालियर में आयोजित भव्य गोवर्धन पूजा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से अनुबंध कर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की रणनीति तैयार की गई है। लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने दुग्ध सहकारिता आंदोलन को गति दी थी। आज “अमूल” के उत्पाद देश-विदेश में लोकप्रिय हैं। मध्यप्रदेश में गुजरात पैटर्न पर दुग्ध सहकारिता क्षेत्र में किसानों और पशुपालकों की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दूध, घी और मक्खन के साथ गौ-काष्ठ का भी उपयोग हो रहा है। गोबर से खिलौने और कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं। प्रदेश सरकार गौ-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए गौ-शाला को प्रति गाय 20 रुपये के स्थान पर 40 रुपये के अनुदान का निर्णय ले चुकी है। जो पशुपालक 10 या उससे अधिक गायों का पालन करेंगे उन्हें भी विशेष अनुदान दिया जाएगा। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है, जिसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी गाँव में दुग्ध संघ के माध्यम से गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। प्रारंभ में 11 हजार गाँव में दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि का प्रयास है। प्रदेश में इस वर्ष गौ-वंश रक्षा पर्व मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ॰ मोहन यादव की ये सभी घोषणांए हैं। यदि धरातल पर आती हैं तो मध्य प्रदेश की पहचान बदल सकती है। आपको बता। दें कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के कई क्षेत्र दुग्ध उत्पादन में मिलावट के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। ग्वालियर चंबल अंचल। मैं तो आलम यह है की मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के कैबिनेट मंत्री डॉ॰ गोविन्द सिंह राजपूत भी मुरैना की दूध मिलावट में पहचान हो खुले।रूप में स्वीकार चुके हैं। हालांकि ज्यादातर चर्चाओं में चंबल और ग्वालियर अञ्चल जरूर रहता है लेकिन प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी स्थिति लगभग यही है। कई क्षेत्रों में दूध और दूध से बने पदार्थों में मिलावट आम है।यही मिलावटी सामग्री अन्य राज्यों तक भेजी जाती है। इस मिलावट का सबसे मुख्य कारण उत्पादन में कमी है। मध्यप्रदेश और अन्य प्रदेशों से जितनी। मांग प्रदेश के दुग्ध उत्पादन कर्ताओं के पास आती है उसकी तुलना में दुग्ध। का उत्पादन बहुत कम है अब यदि। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा अनुसार मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ता है और मांग के अनुसार। दुग्ध उत्पादन करने में सफल होता है मध्यप्रदेश के ऊपर लगे इस कलंक को भी मिटाया जा सकता है। वर्तमान मे प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 39 लाख गायें हैं। वर्ष 2019 की पशु गणना के अनुसार मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। हम अगली पशुगणना में देश में प्रथम स्थान पर आने की मंशा भी मुख्यमंत्री ने जाहिर की है।
दुग्ध उत्पादन में यदि मध्य प्रदेश पहले स्थान पर आता है। इससे मध्यप्रदेश को बहुआयामी लाभ देखने को मिलेंगे। सबसे पहले तो पशुपालकों और किसानों की आर्थिक समृद्धि में यह कदम कारगर साबत होगा और साथ ही दुग्ध उत्पादन में माँग के अनुरूप दुग्ध व दुग्ध से बनी सामग्री उपलब्ध करा कर प्रदेश ही नहीं अन्य कई क्षेत्रों को भी मिलावरस।से मुक्ति दिलाने में कारगर होगा। अब यहां सबसे बड़ा रोड़ा यह है कि घोषणाओं में तो मुख्यमंत्री जी की बातें साफ बता रही हैं कि उनकी मंशा गौवंश का संरक्षण कर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि इन सभी योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए प्रशासन ने क्या रूपरेखा तैयार की है। क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि शासन द्वारा बनाई गई तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं को प्रशासनिक अमले का लचर रवैया धरातल पर उसे रूप में उतारने में असफल रहता है जिसके चलते ऐसी योजनाओं का अपेक्षित परिणाम देखने को नहीं मिल पाता है। गोवंश की वृद्धि के लिये प्रदेश में कई जगह पर गऊचर की भूमि को मुक्त कराने की आवश्यकता भी होगी। फिलहाल कई जगह पर गोचर की भूमि। वो।माफियाओं के कब्ज़े में है और जो नहीं भी है तो उस पर भी भूमाफियाओं की निगाह है। अब यदि मुख्यमंत्री गोवंश संरक्षण के सपने को साकार करना चाहते हैं तो उन्हें गोचर की भूमि को संरक्षित व मुक्त कराने के लिए भी कठोर कदम उठाने होंगे। लेकिन जिस तरह की घोषणाएं मुख्यमंत्री डॉ॰ मोहन यादव ने की है उससे एक बात तो साफ है कि यदि गोवंश का किसी प्रकार संरक्षण होता है और दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य बनता है थोप देश हो बहु आयामी लाभ मिलना सुनिश्चित है।