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“बेपटरी” पुलिसिंग “गतिमान” अपराध, पुलिस की एक चूक और ग्वालियर बन रहा अपराधियों की जन्नत!

अभी हाल ही में पुलिस और सेना के मेजर के बीच हुए विवाद ने पुलिस की छवि को लेकर चर्चाओं।का माहौल बनाया हुआ है। पुलिस किस तरह आम जन को परेशान कर? मानियों की सेवा में लगी रहती है क्योंकि माननियों की सुरक्षा ही शायद पुलिस की प्राथमिकता है। बाकी शहर में अपराध का ग्राफ बड़े तो बड़े?  महिलाएं असुरक्षित रहें तो रहें? दिन दहाड़े लूट हो, दिनदहाड़े गोलीबारी हो, दिनदहाड़े हत्या हो.. अपराध होने दो उसके बाद मामला दर्ज कर लेंगे। क्यों की सांप निकल जाने पर लाठी पीटने मात्र का काम पुलिस विभाग का बचा है। पुलिस की ऐसी कोई गंभीर कार्यशैली नजर नहीं आती कि वह अपराध होने से पहले ही अपराध रोकने का प्रयास कर ले। या अपराधों पर अंकुश लगाने का अपराधों की संख्या को कम होने में कुछ कदम उठाएं। एक बहुत बड़ी चूक जो पुलिसिंग में हो रही है जिसके चलते शहर में अपराध बढ़ रहे हैं वह पुलिस के आला अधिकारियों को क्यों समझ नहीं आ रही?यह एक बड़ा प्रश्न है। आइए पहले शहर में पुतले कुछ दिनों में हुए अपराधों का उदाहरण लेते हैं। जो यह समझने के लिए जरूरी है। कि यह छोटी सी चूक क्या है और यदि यहां अमल? किया जाए तो किस तरह अपराधों पर अंकुश लग सकता है।

ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए सट्टा लगवाने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है आरोपी जम्मू और तेलंगाना के रहने वाले हैं और ग्वालियर के तानसेन नगर इलाके में किराए पर फ्लैट लेकर इनके द्वारा यह सट्टा लगाया जा रहा था फ्लैट करण राठौर नाम के व्यक्ति द्वारा किराए पर ले रखा था। लेकिन पुलिस टीम के पहुंचते ही करण वहां से फरार हो गया, पकड़े गए आरोपियों से पुलिस द्वारा मोबाइल लैपटॉप राउटर्स और ऑनलाइन गेमिंग एप से जुड़ा सामान बरामद किया है। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि हजीरा थाना क्षेत्र के तानसेन नगर स्थित एक फ्लैट से यह है सट्टा लगाया जा रहा था। और यह फ्लैट किराये पर लिया हुआ था। सिटी सेन्टर क्षेत्र में पिछले कुछ सट्टे। जुए जो पकड़े गए हैं वे सभी किराए के फ्लैट में ही संचालित हो रहे थे।

29 जुलाई को क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक मकान पर छापा मारकर नकली नोट छापने और उन्हें खपाने वाली गैंग को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 50, 100, 200 और 500 रुपये के नकली नोटों के साथ-साथ 2 लाख 9 हजार रुपये की नकली करेंसी और छापने का उपकरण बरामद किया है। नोट इतने असली लग रहे थे कि पुलिस को भी अंतर ढूंढने में पसीने छूट गए। पुलिस ने बरामद किए गए नोट से सब्जी खरीदने की कोशिश की, तब जाकर उनके नकली होने का खुलासा हुआ। यह नकली नोट जनकगंज थाना क्षेत्र के जागृति नगर में किराए का कमरा लेकर उसमें छापे जा रहे थे। 

दिन दहाड़े हुआ अनीता गुप्ता हत्या कांड पुलिस के लिए शर्मसार करने वाली घटना थी। जिस दिन इन बदमाशों ने अनीता गुप्ता की हत्या की थी हत्या के ठीक एक घंटे बाद डीडी नगर में एक प्राचार्या कि सोने की चेन भी बंदूक की नोक पर लूट ली थी और फरार हो गए थे। यह तीनों दुर्दांत अपराधी सो हम आकाश जादोन और मयंक भदौरिया जब अनीता गुप्ता की हत्या कर फरार हुए तब पुलिस जागी और इनकी खोज में लग गई। इन दुर्दांत अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए नाक का सवाल था इसलिए इन पर बीस बीस हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। इनमें से सोहम को पहले गिरफ्तार किया गया और बाद में आक्रोश आकाश जादोन और मयंक भदौरिया को अलग अलग जगह शॉर्ट एनकाउंटर में पकड़ा गया। शॉर्ट एनकाउंटर में दुर्दांत अपराधियों को पकड़ना बता पुलिस ने अपनी पीठ खूब थपथपाई। लेकिन अपराध तो हो ही चुका था, सवाल यह है कि क्या इन अपराधों को होने से पहले रोका जा सकता था?

इन सभी अपराधों में यदि आप अपराधियों। के बैकग्राउंड की बात करें तो एक बात ऊपर दिए इन सभी अपराधों में सामान्य है के यह सभी घटनाएं किराए का मकान। शहर में किसी न किसी क्षेत्र में लेकर की गई। यह तो कुछ उदाहरण हैं यदि हम पूरे साल के तमाम अपराधों का। रिकॉर्ड खंगाले तो ज्यादातर में अपराधी। इसी तरह किसी न किसी किराए के मकान में रुक कर अपराध का षड्यंत्र बनाते या अपराध को अंजाम देते नजर आते हैं। किसी बाहर के अपराधी के लिए रुकने का और काम करने का ठिकाना अपराध करने के लिए बहुत बड़ी जरूरत होती है। लेकिन शहर में इस बात की अपराधियों को छूट है कि वह किसी भी अपराध करने के इरादे से शहर में आए कहीं पर भी अपना ठिकाना बनाएं अपराध को अंजाम दें और शहर छोड़कर निकल जाए। कहने को तो यह व्यवस्था है कि यदि कोई मकान मालिक किराएदार को रखता है तो उसकी सूचना संबंधित थाने में देगा और थाने में पुलिस वेरिफिकेशन होगा। लेकिन यह अति आवश्यक योजना कहाँ धूल खा रही है?किन फाइलों में छुप गई है?यह पुलिस विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं। लेकिन जिस तरह से शहर में आकर। किराए के मकानों को ठिकाना बनाकर यह अपराधी अपराध कर रहे हैं। उससे यह बात तो साफ है कि पुलिस की यह छोटी सी चूक इन अपराधियों के लिए शहर को जन्नत बना रही है। और शहर वासी इस बढ़ते अपराध के ग्राफ से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह उम्मीद की जा सकती है कि बेपटरी हुई पुलिस किराएदारों के पुलिस वेरिफिकेशन पर गंभीरता से काम करेगी और शहर में गतिमान की रफ्तार से बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगेगा।

पुलिस कप्तान साहब स्वयं बता रहे हैं कि प्रोफेशनल क्रिमिनल है कई अपराध किये हैं और किराए के मकान में रह रहा था
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