ग्वालियर मध्यप्रदेश: पिछले कई समय से ग्वालियर में पटवारियों के एक जगह एक ही हलके में पदस्थ रहने का मामला गर्माया हुआ है। जिसे लेकर तमाम खबरें भी सुर्खियों में रहीं इसके बावजूद भी केबल खानापूर्ति के लिए कुछ पटवारियों के हल्के बदले गए और जो अच्छा राजनीतिक रसूख रखते थे उनकी व्यवस्था वहीं की वहीं बनी रही। इसी बीच एक और मामला होता है जहां दो पटवारियों को शासन स्तर पर ग्वालियर से उठाकर सैकड़ों किलोमीटर दूर भेज दिया जाता है। अब इस बात की चर्चा चल रही है के इन पटवारियों से ऐसी क्या खफा हो गई कि इन्हें इतनी दूर दफा कर दिया गया।
ज्यादातर यही देखा जाता है के पटवारियों को हल्का बदलने के आदेश जिला स्तर पर ही दिए जाते हैं और पिछले समय पर भी जब पटवारियों के एक जगह जमे रहने की खबरें प्रकाशित हुईं तो जिला स्तर पर ही पटवारियों के हल्के बदले गए लेकिन अब ग्वालियर में पटवारियों के। स्थानांतरण का एक हैरत में डालने वाला मामला सामने आया है। यहां पर जिला स्तर पर स्थानांतरण के आदेश जारी न होते हुए राजस्व विभाग वल्लभ भवन भोपाल से यह आदेश जारी किया गया। और इस आदेश में और भी हैरान करने वाला मामला यह है कि इस आदेश का तुरंत पालन कर गुरुवार को ही इन दोनों पटवारियों को रिलीव भी कर दिया गया। अब पटवारियों के बीच इस बात की चर्चा चल रही है कि ये दोनों पटवारी न जाने किस माननीय के कोप का भाजन बन गए हैं।

पटवारी धर्मेन्द्र शर्मा ग्वालियर में ही भू अभिलेख शाखा में अटैच हैं और दूसरे पटवारी राकेश मिश्रा राजा रमटापुरा हलके में पदस्थ है। न तो इनको और ना ही ज़िला प्रशासन को इनके स्थानांतरण के बारे में थोड़ी सी भी भनक थी। तभी अचानक बल्लभ भवन भोपाल से गुरुवार को इनके स्थानांतरण का आदेश जारी हो गया। धर्मेंद्र शर्मा को ग्वालियर से उठाकर उठाकर उठाकर झाबुआ भेज दिया गया और राकेश मिश्रा को रतलाम भेज दिया गया। अन्य पटवारियों के बीच में सुबह है की किसी न किसी मामले में यह किसी माननीय के कोप भाजन का शिकार हुए हैं और इन्हें यह काला पानी की सजा मिली है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ पटवारियों ने बताया है ही पटवारियों का स्थानांतरण शासन स्तर पर नहीं होता है। ऐसा कोई नियम नहीं है क्योंकि पटवारी। का पद राज्य स्तर का पद नहीं है। यदि पटवारी जिला बदलना भी चाहे तो सी एल आर स्तर पर स्थानांतरण की प्रक्रिया होती है। पुरानी किसी घटना के बारे में पूछे जाने पर इन पटवारियों का कहना है के अभी तक ऐसा कभी हुआ हो, ऐसा कोई मामला उनकी जानकारी में नहीं हैं। अचानक नियम विरुद्ध शासन स्तर पर स्थानांतरण का आदेश जारी होना और तुरंत ही पटवारियों को रिलीव कर देना और स्थानांतरण भी इतने दूर करना, साफ बता रहा है कि यह कोई सामान्य स्थानांतरण नहीं है। इसके पीछे कोई गहरी वजह है।

जिस तरह से कई पटवारी सालों से एक ही हलके में पदस्थ होकर सोना पानी का आनंद ले रहे थे और ऐसे पटवारियों के ऊपर किसी न किसी माननीय की छत्रछाया है इसी वजह से प्रशासन स्तर पर इनके विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और उसी बीच दो पटवारियों को। इस तरह से अचानक नियम विरुद्ध स्थानांतरित करके इतनी दूर भेज देना। ऐसा ही प्रतीत हो रहा है के जो आंखों में खटकेगा उसे काला पानी भेज दिया जाएगा।