भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, लेकिन राजस्व महा अभियान 3.0 के तहत भोपाल जिला पिछड़ा साबित हुआ है। बुरहानपुर जैसा पिछड़ा जिला नंबर वन पर है, जबकि भोपाल 21वी रैंक पर है। इस बात से नाराज होकर मध्य प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने अधिकारियों को फटकार लगा दी। उन्होंने अधिकारियों की मौजूदगी में तहसीलदार को कह दिया कि अगर नहीं सुधरे तो मैं सस्पेंड कर दूंगा।
अब यहां सवाल यह उठता है कि मंत्री जी की फटकार कहे चेतावनी कहें या धमकी कहें लेकिन क्या इसका कोई प्रभाव प्रभाव? इन अधिकारियों पर पड़ने वाला है। क्या वह हकीकत में मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व महा अभियान को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। आपको बता दें के राजस्व प्रकरणों को समय सीमा में निपटान करने के लिए ही मध्यप्रदेश शासन ने राजस्व महाअभियान चलाया है। और अब इसका तीसरा संस्करण सक्रियता से पूरे प्रदेश में चल रहा है। लेकिन ज्यादातर मामलों में केवल कागजी घोड़े। दौड़ रहे हैं। असल में जमीन के खेल की जमीनी हकीकत ही कुछ और है। जिसके चलते राजस्व महाअभियान मैं अपेक्षित परिणाम देखने को नहीं मिल रहे हैं।
ताजा मामला भोपाल की हुजूर तहसील का है राजस्व मंत्री कमल। सिंह वर्मा समीक्षा बैठक ले रहे थे। मंत्री वर्मा तहसीलवार आंकड़ों की समीक्षा कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने हुजूर तहसील में पेंडिंग केस देखे और उनपर भड़क गए। मंत्री वर्मा ने तहसीलदार से कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो मैं सस्पेंड कर दूंगा। मंत्री ने कहा कि अभी कलेक्टर के कहने पर छोड़ रहा हूं, आगे से ध्यान रखें अगर पेंडिंग केस नहीं निपटाए तो कार्रवाई पक्की हो जाएगी।
इस बैठक में भोपाल और आसपास बन रही अवैध कॉलोनी का मुद्दा भी उठा। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने कहा कि आचारपुरा, जगदीशपुर, कलखेड़ी, कामखेड़ा, खामखेड़ा जैसी दर्जनों ग्राम पंचायत में अवैध कालोनियां काटने का खेल चल रहा है। लेकिन राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इन मामलों पर कार्रवाई नहीं करते। ईंटखेड़ी में तो सरकारी स्कूल की जमीन पर भी अवैध कब्जा हो रहा है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे। इस बात पर मंत्री करण सिंह वर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कलेक्टर इस मामले पर कार्रवाई करके मुझे सूचित करें।
वैसे तो आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के तमाम जिलों में तमाम राजस्व मामलों में लम्बी पेंडेंसी है। काफी सारे मामले केवल फाइलों में दबे हुए हैं इन तमाम मामलों को मंत्री। की नजर से बचाने का राजस्व अधिकारी भरसक प्रयास कर रहे हैं और ज्यादातर राजस्व अधिकारी अब तक इसमें कामयाब भी हुए हैं। न जाने किसका मुँह देख कर। हुजूर तहसील का तहसीलदार निकला होगा। कितना बदकिस्मत रहा होगा कि उसके पेंडेंसी मामलों पर मंत्री जी की नज़र पड़ गई और उसको भरी महफ़िल में बेइज्जत होना पड़ा। खैर समय के साथ साथ यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा, इस बात की उम्मीद करने में संशय कम ही है।
जिस तरह से हजूर तहसील के तहसीलदार को समीक्षा बैठक के दौरान फटकार का सामना करना पड़ा उस तरह अन्य तमाम। राजस्व अधिकारियों को भी सामना करना पड़ सकता है। लेकिन राजस्व महाअभियान में लापरवाही करने वाले और ज़मीनों के खेल में बन्दर बाट करने वाले राजस्व अधिकारियों को इस मामले में हम दो। श्रेणी में बांट सकते हैं। एक तो वह राजस्व अधिकारी होंगे जो अपने मनमर्जी से राजस्व के मामलों को लंबित करके खुद की तानाशाही चला रहे होंगे। और इस तरह प्रकरणों को लटकाने के पीछे ऐसे राजस्व अधिकारियों की मंशा क्या होती है यह यहां बताने की जरूरत नहीं है।
दूसरी श्रेणी में मध्यप्रदेश के तमाम जिलों के वह राजस्व अधिकारी हो सकते हैं जिनको किसी न किसी माननीय का संरक्षण प्राप्त होगा। माननीयों के संरक्षण की ढाल के पीछे खड़े इन। राजस्व अधिकारियों पर राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा की नज़र पढ भी नहीं सकती और कहीं गलती से पड़ गई तो माननीय की ढाल इन राजस्व अधिकारियों को सुरक्षित रखेगी। क्योंकि खिलाड़ी राजस्व अधिकारियों ओमानियों के बीच गठबंधन ही इस बात का है की जब भी कोई पीएस लेबल का अधिकारी कोई अन्य मंत्री कोई अन्य जांच एजेंसी या कोई मीडिया हाउस इन अधिकारियों के काले कारनामों की बात करें। तो माननियों के दबाव में वह मामला वहीं रफा-दफा हो जाए।
खैर कुछ भी हो। पिछले कुछ समय से राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा जिस शैली में काम कर रहे हैं उससे साफ समझा जा सकता है कि उनकी मंशा मध्यप्रदेश में राजस्व प्रकरणों को साफ-सुथरे तरीके से निपटाने की है और साथ ही जहां भी सरकारी जमीन चरनोई भूमि ही बंदर बांट हुई हो उसको भी मुक्त कराने की है। राजस्व मंत्री पिछले लंबे समय से अपनी कार्यशैली के लिए राजस्व अधिकारियों के बीच में चर्चा का विषय रहे हैं। उन्होंने तमाम जगह पर राजस्व अधिकारियों को खरी खरीदी दो टूक चेतावनी दी है। इसलिए राजस्व मंत्री के कार्यकाल में थोड़े बहुत सुधार की अपेक्षा तो की ही जा सकती है।
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