ग्वालियर मध्य प्रदेश: क्या देश की सेना में काम करने के लिए भी धर्म प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। अभी तक तो ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया था। लेकिन जो विज्ञापन अग्निवीर की भर्ती के लिए सेना ने निकाला है उसमें इस तरह के प्रमाण पत्र की मांग की गई है जो युवा सेना में भरती होकर देश की सेवा करना चाहते हैं वे अब यह धर्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। और ज़िला प्रशासन इन युवाओं की समस्या का। कोई विकल्प न निकालते हुए इन्हें स्पष्ट स्पष्ट इस तरह का प्रमाण पत्र बनाने के लिए मना कर रहा है। ऐसी स्थिति में अब यह युवा धर्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे मंगलवार। को जनसुनवाई के दौरान भी यह। युवा अपनी शिकायत लेकर पहुंचे थे, और जिला कलेक्टर रुचिका चौहान को अपनी समस्या बताना चाहते थे लेकिन जन सुनवाई में कलेक्टर। रुचिका चौहान मौजूद नहीं थीं और वहां उपस्थित अन्य अधिकारियों ने इन्हें प्रमाण पत्र बनाने से दो।टूक मना कर दिया।
संतोष राजावत ने बताया कि हम लोग सालों से सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं और अभी भर्ती के लिए मौका मिला है। तो उसमें धर्म प्रमाण पत्र की समस्या आ रही है। अभी तक सेना भी इस तरह के प्रमाणपत्र नहीं मानती थीं लेकिन उनके विज्ञापन में इसकी मांग की गई है। भर्ती के लिए जारी अधिसूचना में साफ लिखा है कि प्रत्येक उम्मीदवार को इस प्रमाण पत्र की मूल कॉपी। के साथ दो सत्यापित प्रतियां भी देनी है। जबकि जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है के जाति। प्रमाण पत्र तो बनाया जाता है लेकिन धर्म प्रमाण पत्र बनाने का कोई नियम ही नहीं है और यहां सबसे बड़ी गौर करने वाली बात यह है के प्रशासनिक अधिकारियों के पास इस समस्या का कोई विकल्प भी नहीं है। सालों बाद सेना में भर्ती की आस लगाए यह। युवा इस स्थिति को देखकर हताश हैं।
सेना भर्ती में धर्म प्रमाण पत्र की माँग की जाने के संबंध में सेना के पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने। की शर्त पर बताया कि सेना में भर्ती के दौरान पुजारियों की भर्ती के समय तो इस तरह की आवश्यकता हो सकती है लेकिन सामान्य सैनिकों की भर्ती में इस तरह का कोई प्रमाण पत्र उन् के समय पर नहीं मांगा जाता था। लेकिन इन युवाओं ने सेना द्वारा जारी जो अधिसूचना दिखाई है उसमें साफ लिखा है रोके धर्म प्रमाण पत्र। की मूल कॉपी दो सत्यापित कृतियों के साथ इन युवाओं को देना है। किसी सरकारी नौकरी में धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने का ये अपने आप में पहला मामला है। इस बारे में हमने तमाम रिटायर्ड और वर्तमान प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने भी यह बताया धर्म प्रमाण पत्र बनाने का कोई प्रावधान प्रशासन के पास नहीं होता है केवल जाति प्रमाण पत्र बनाने का ही प्रावधान होता है।
अब यदि धर्म प्रमाण पत्र बनने का कोई नियम ही नहीं है और प्रशासन यदि इस तरह के प्रमाण पत्र बना ही नहीं सकता तो अब यह युवा इस गफलत में हैं कि वे करें तो क्या करें। जब धर्म प्रमाण पत्र बनाने का कोई नियम ही नहीं है। तो सेना ने अपनी भर्ती के अधिसूचना में इस तरह की मांग क्यों की है? यहाँ युवाओं ने बताया कि इस तरह के हजारों युवा हैं जिन्हें आगामी सेना भर्ती में शामिल होना है। अब उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा कि यदि धर्म प्रमाण पत्र बनता ही नहीं है। तो सेना ने अपनी अधिसूचना में इसकी मांग क्यों की है और यदि अब यह सभी युवा बिना धर्म प्रमाण पत्र के भर्ती में पहुँचते हैं, तो क्या उनका आवेदन स्वीकार किया जाएगा?
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