ग्वालियर मध्य प्रदेश: स्मार्ट सिटी ग्वालियर के कारनामा में ऐसे हैं कि इस बार दिवाली भी इस शहर को अंधेरे में मनानी पड़ेगी। फिलहाल तो हालत यही है। ज्यादातर बाजारों और सडकों पर अंधेरा कायम है। जिस तरह एक चर्चित धारावाहिक शक्तिमान का एक किरदार कपाला हमेशा कहता रहता था कि अंधेरा कायम रहे शायद लगता है कि स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर भी यही डायलॉग दोहराती रहती हैं। और उनकी इसी लापरवाही का असर नगर निगम की परिषद बैठक में देखने को मिला जहां स्ट्रीट लाइट का मुद्दा पक्ष-विपक्ष के सभी पार्षदों ने उठाया। और सभी पार्षद स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर को पर्सत्व में बुलाकर जवाब देने के लिए माँग करते रहे। इस मांग को लेकर पार्षदों ने कई बार अध्यक्ष की आसंदी का घेराव तक किया। परिषद आगे बढ़ता न देख सभापति मनोज तोमर को बैठक बुधवार तीन बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
ग्वालियर जलबिहार स्थित परिषद भवन में दोपहर 3 बजे विशेष सम्मेलन की बैठक को कोरम के अभाव में पहले 5 मिनट के लिए स्थगित किया गया। इसके बाद जब बैठक की कार्यवाही शुरू हुई भाजपा पार्षद मोहित जाट भगवान सिंह कुशवाह नागेन्द्र राणा, गिरिराज कंसाना सहित नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा क्योंकि शहर में कई स्थानों पर स्ट्रीट लाइट बंद है। पिछले दो बार से शहरवासी काली दिवाली मना रहे हैं। वार्डों में अंधेरा छाया हुआ है। लाइट ठीक होती है। 1 घंटे में ही खराब हो जाती है स्मार्ट सिटी। सीईओ ने 6 महीने का समय मांगा था और अब दो। साल हो चुके हैं। इसके बावजूद हालात काबू में नहीं हैं। इस पर सभापति ने पहले एजेंडा पर चर्चा करने को कहा लेकिन विपक्षी पार्षद अड़े रहे।
सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी स्ट्रीट लाइट के मुद्दे पर चर्चा के लिए सहमति दे। दी और इस चर्चा के लिए 1 घंटे का समय निर्धारित हुआ। वहीं जाट ने कहा कि स्ट्रीट लाइट व्यवस्था द्वारा से नगर निगम के सुपुर्द की जानी चाहिए वहीं। विवेक त्रिपाठी ने मांग की कि। स्ट्रीट लाइट के मामले में। प्रवर्तन निदेशालय या ईओडब्ल्यू से जांच कराई जानी चाहिए। सत्ता पक्ष के पार्षद मनोज राजपूत ने कहा कि हमें अच्छे दिन नहीं चाहिए हमें पुराने दिन ही लौटा दिए जाएं। भाजपा पार्षद स्मार्ट सिटी सीईओ। नीतू माथुर को पर सर में बुलाकर उनसे जवाब मांगने की मांग करने लगे। उनका साफ कहना था। कि जब तक नीतू माथुर स्वयं। या उनका कोई प्रतिनिधि पश्चात में आकर जवाब नहीं देगा। तब तक इस मुद्दे पर बात करने का कोई अर्थ नहीं है। न तो नीतू माथुर स्वयं परिषद में आई न उनका कोई प्रतिनिधि और इसके चलते पार्षद आक्रोशित होते रहे। और स्मार्ट सिटी। की स्ट्रीट लाइट व्यवस्था की भेंट।यह परिषद की बैठक चढ़ गई।