भोपाल मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के र्व मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखा, ‘नवरात्रि के महापर्व में हमें अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं? और क्या हम इसके अधिकारी हैं? विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया। गोपाल भार्गव ने आगे लिखा, ‘अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा। सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी, महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ। जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों में अर्पित कि ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है, जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव स्तोत्र का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है?’
गोपाल भार्गव ने जो सवाल खड़ा किया है वह अत्यंत विचारणीय है क्योंकि आज हम बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण दहन का जो पर्व मनाते हैं वह केवल एक ढकोसला बनकर रह गया है। यहाँ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि वह लोग भी यह जश्न मनाते हैं जो बुराई में ओत प्रोत रहते हैं। रावण का पुतला तो जल जाता है लेकिन जिन बुराई के प्रतीक के रूप में पुतला दहन होता है वह बुराइयां समाज में उसी परिमाप में विद्यमान रह जाती हैं। गोपाल भार्गव ने जो पोस्ट किया है वह शब्दस: आज के समाज ही हकीकत को बयां करती है।
मध्य प्रदेश सहित सागर जिले में बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। इसके बाद एमपी के वरिष्ठ बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया। उन्होंने लिखा कि नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है। मैंने यह भी गौर किया है कि दुनिया के किसी भी देश में मुझे ऐसे समाचार पढ़ने या देखने नहीं मिले। विजयदशमी के पहले हमें विचार करना चाहिए कि हम रावण का पुतला जलाने के अधिकारी है या नहीं। कुछ दिनों पहले भोपाल से छोटी बच्चियों के साथ उत्पीड़न के कई मामले सामने आए थे।
आज देश में जितनी जगह पर भी रावण दहन के कार्यक्रम का आयोजन होता है उन तमाम जगह पर ऐसे भी तमाम लोग पहुंचते हैं जिनके मन में बुराई भरी होती है। कई जगह पर लड़कियों से छेड़छाड़ छाड़। की घटनाएं भी ठीक उसी समय होती हैं जब रावण का।दहन किया जा रहा होता है। यह समाज की वह कड़वी हकीकत है जिसे सामने देखते हुए भी हम अपनी आँखें कबूतर की तरह बंद कर लेते हैं और यह बताने का प्रयास करते हैं कि समाज में सब कुछ अच्छा है। हम अपने ही बीच व्याप्त अपने समाज। कि उन लोगों को नजरअंदाज कर देते हैं उनकी बुराइयों पर आप मूंद लेते हैं। और जब कोई बड़ी घटना होती है कानून व्यवस्था की दुहाई देते हैं। जबकि सही मायनों में देखें तो दुष्कर्म एक ऐसा अपराध है जिसे सामाजिक जागरूकता इस ही समाप्त किया जा सकता है। लेकिन जिस बुराई पर हम आँख बंद कर ले और चर्चा भी न करें उस पर जागरूकता कैसे फैलाई जा सकती है। आज गोपाल भार्गव ने जो विचार दिया है उसे विमर्श बनाना होगा। और वास्तव में इसे एक अभियान के रूप में तब तक अनवरत जारी रखना होगा जब तक समाज के हर एक व्यक्ति के मन से एक दुष्कर्मी रावण का दहन ना हो जाए!