ग्वालियर। मध्य प्रदेश: ग्वालियर चंबल अंचल अवैध रेत गिट्टी पत्थर के खनन के लिए कुख्यात है। इस पर रोक लगाने के लिए चाहे जिला प्रशासन हो चाहे। मूल जिम्मेदार विभाग खनिज विभाग हों वह पूरी तरह असफल साबित रहा है अभी हाल ही में ग्वालियर खनिज विभाग में पदस्थ सहायक खनिज अधिकारी राजेश गंगेले। को निलंबित कर दिया गया है। मध्यप्रदेश खनिज विभाग के संचालक अनुराग चौधरी चौधरी जो पूर्व में ग्वालियर कलेक्टर भी रहे थे उन्होंने गँगे ले को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान राजेश गंगेले डिंडौरी मुख्यालय पर रहेंगे।
ग्वालियर में खनिज विभाग और खनिज माफिया का। याराना बहुत पुराना है यहां पर हमेशा केवल खानापूर्ति की कार्रवाई होती आई है। बेलुगा पारसेन गगनयान में पत्थर का अवैध उत्खनन होता है। शंकरपुर क्षेत्र में खुली सड़क पर अवैध रूप से सफेद पत्थर का पहाड़ काटा।जा रहा है। मोती झील पहाड़ी पर भी अवैध उत्खनन चल रहा है। सिटी सेंटर ब्लू लोटस कॉलोनी के पीछे भी रेत का अवैध उत्खनन चल रहा है। यह सभी अवैध उत्खनन इस तरह खुलेआम चलते हैं। की इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन्हें खनिज विभाग का संरक्षण हो। शहरी क्षेत्र में तमाम ईंट भट्ठे भी अवैध रूप से संचालित है। जो खनिज विभाग के संरक्षण में ही चल रहे हैं।
आपको बता दें थी अनुराग चौधरी ने जो आदेश जारी किया है उसमें साफ लिखा गया है कि राजेश गंगे। ले अपने प्रभाव क्षेत्र में अवैध खनन और परिवहन पर नियंत्रण नहीं रख पाए हैं। उन्होंने अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरत उदासीनता दिखाई है जिस कारण मध्य प्रदेश सिविल सेवा। नियम उन्नीस सौ छियासठ के नियम नौ।के तहत उन्हें निलंबित किया गया है। आपको बता दें कि अवैध उत्खनन की तमाम शिकायतें खनिज विभाग में लंबित हैं जिन पर खनिज अधिकारी प्रदीप भूरिया को कार्रवाई करनी होती है लेकिन न तो वे स्वयं कार्रवाई करते हैं और ना ही उनके अधीनस्थ। यहां तक राजेश गंगेली की बात है। तो हाल ही में कुछ कार्रवाइयों के चलते वह सुर्खियों में आए थे एक स्थान पर तो अवैध रेत के परिवहन को रोकने पर उन पर हमला करने का और उन पर गाड़ी चढ़ाने का प्रयास भी किया गया था।
अब इस पूरे मामले में राजेश गंगेले अचानक हुई यह कार्रवाई कई सवाल खड़े करती है। गंगेले के प्रभार वाले ललुवा क्षेत्र में काफी बड़ी मात्रा में रॉयल्टी चोरी पकड़ी गई है। ऐसा बताया जा रहा है। एक महीने में यहां। केवल डेढ़ करोड़ राजस्व मिला है, इसके बाद जब भोपाल मुख्यालय ने इस क्षेत्र में सख्ती बढ़ाई और कार्रवाई की तो यह राजस्व बढ़कर चार करोड़ रुपए पहुँच गया। इस बात से साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि कहीं न कहीं यहाँ के खनिज माफिया को खनिज विभाग का संरक्षण था। लेकिन यहां तक सवाल भी उठता है कि जिला खनिज अधिकारी के होते हुए भी अकेले सहायक निरीक्षक गंगेले कैसे इतना बड़ा कारनामा कर सकते हैं। यदि ऐसा मान भी लिया जाए के जिला खनिज अधिकारी भूरिया को इस सम्बंध में जानकारी न हो तो यह भी उनकी लापरवाही कही जाएगी।