भोपाल ग्वालियर इंदौर मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में सेक्स रेशियो के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बालकों के मुकाबले बालिकाओं की जन्मदर राष्ट्रीय लिंग अनुपात से भी कहीं कम है। इसी बीच मध्यप्रदेश में लगातार छोटी नाबालिग मासूम बेटियों से होने वाले दुष्कर्म के लगातार बढ़ते मामले बता रहे हैं की शायद एक परिवार के मन। में इन्हीं हैवानियत की घटनाओं की तस्वीर उन्हें यह कहने पे मजबूर कर देती हो।कि इस प्रदेश ना आना लाडो। माननी सुप्रीम कोर्ट में अभी हाल ही में चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा ऐसा करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया है। शायद शायर पोर्नोग्राफी भी छोटी मासूम बच्चों के साथ होने वाली दरिंदगी। की एक वहच रही हो जिसके चलते यह बड़ा निर्णय माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लिया है।
छोटी नाबालिग मासूम बच्चियों के साथ रोज प्रदेश में कहीं न कहीं हो रही हैवानियत की घटनाएं यह सवाल खड़ा करती है हमारा समाज किस ओर जा रहा है क्योंकि यह एक कानूनी समस्या न होकर एक सामाजिक समस्या है। समाज में नैतिक मूल्यों का पूरी तरह पतन हो गया है। क्योंकि इस तरह की हैवानियत के ज्यादातर मामलों में आरोपी कोई न कोई नजदीकी परिचित।यह रिश्तेदार होता है।
अभी हाल ही में भोपाल में स्कूल में यौन शोषण के तीन मामले चौंकाने वाले हैं। एक निजी स्कूल के दरिंदे कथित टीचर ने 3 साल की बच्ची को वॉशरूम में ले जाकर उसका। यौन शोषण किया उसके बाद उसे डराया।यह घटना दरिंदगी की इंतहा कही जा सकती है। इसके बाद 16 वर्षीय छात्रा को फेल करने के नाम पर उसका यौन शोषण करने की घटना ने बता दिया कि स्कूल में हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं है। इसके बाद एक पांच साल की नाबालिग छोटी मासूम से छेड़छाड़ का भी एक मामला दर्ज किया गया। ऐसी घटनाएँ राजधानी में लगातार हो रही है। कुछ बाहर आती हैं तो कुछ दबकर रह जाती है। भोपाल प्रदेश की राजधानी के साथ साथ नाबालिग बालिकाओं के साथ दुष्कर्म की राजधानी भी बन चुका है।
प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। अभी हाल ही में मुरैना में 1 9 साल की मासूम के साथ पड़ोस के युवक नहीं दुष्कर्म किया और दुष्कर्म के बाद वह मासूम को तालाब के पास फेंक कर चला गया। इस समय यह मासूम जिला अस्पताल के आईसीयू। में। मौत और जिंदगी की जंग लड़ रही है। इस मामले में दरिंदे ओदे वीर गुर्जर ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं और बेदर्दी से दुष्कर्म कर बच्ची। को लहुलुहान कर मरने के लिए छोड़ गया अस्पताल में भर्ती बच्ची। ने होश में आने पर यह पीड़ा सुनाई तब जाकर मामला दर्ज हुआ।पुलिस ने युवक को हिरासत में ले।लिया है। लेकिन आरोपी दबंग परिवार से संबंध रखता है इसलिए पीड़िता। के परिवार को अब डर है कि क्या वह गाँव में सुकून से रह पाएंगे?
हरदा। जिले के छीपाबड़ थाना क्षेत्र में भी कल 1 5 साल की मासूम बच्ची के साथ एक धंधे ने दुष्कर्म कर दिया। दुष्कर्म की घटना का पता चलते ही लोग आक्रोशित हो गए और सिराली से हरदा तक हंगामा करते हुए आरोपी को तुरंत फांसी की मांग करने लगे। इस मामले में आरोपी परिचित था। और पीड़िता मासूम बच्ची की दादी के सामने से ही कुरकुरे दिलाने के बहाने उसे ले गया और नदी के पास ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे वहीं लहूलुहान हालत में छोड़ कर भाग गया। इस मामले में पुलिस ने आरोपी पर 10000 का इनाम घोषित किया है और अभी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। ऐसा ही एक मामला नर्मदापुरम में भी हुआ जहां सात साल की बच्ची को गांव के ही सत्रह साल के नाबालिग कुकर्म कर दिया। इस मामले में आरोपी नाबालिग है उसे अभिरक्षा। में लिया गया लेकिन यहां कानून को सोच। ना होगा कि सोलह सत्रह साल का सोच समझ रखने वाला और इतनी दरिंदगी से अपराध करने वाला क्या नाबालिग कहलाएगा।
इस तरह के छोटी मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले प्रदेश में लगातार बढ़ते जा रहे लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इन दुष्कर्म के मामलों को घटना होने से पहले रोका जा सकता है?क्या समाज में किसी ऐसे संगठन की स्थापना की जा सकती है जो लोगों को इस मनोविकार से दूर करें और हमारी बच्चियां सुरक्षित रह पाएं। पुलिस और कानून व्यवस्था जो काम करती है वह अपराध के बाद काम करती है। क्या हम ऐसी कुछ व्यवस्था की संकल्पना कर सकते हैं की इस तरह के जिन्होंने अपराध से अपनी बेटियों को बचा पाएं। घटना होने के बाद अपराध दर्ज होना अपराधी को पकडना उसे फाँसी देना एक तरह से हम कहते हैं कि पीड़िता को न्याय मिल गया। लेकिन इस तरह की दुष्कर्म की घटना एक मासूम बच्ची के साथ उसके पूरे परिवार की स्थिति खराब कर देती है, तो क्या इस तरह की घटना के बाद हुई कार्रवाई को हम न्याय कह सकते हैं? वक्त है समस्या पर समाज में खुलकर चर्चा करने का …