ग्वालियर मध्य प्रदेश: अधिवक्ता की सृजनात्मकता उत्पादक होना चाहिये। प्रत्येक व्यक्ति भावनाओं के माध्यम से तर्क करना सीखता है, इसलिये हमारा भावनात्मक रूप से मजबूत व सकारात्मक होना आवष्यक है, ताकि आप एक अच्छा तर्क और विचार पैदा कर सकें। अधिवक्ता द्वारा दिया गया एक अच्छा विचार न्यायाधीष को एक अच्छा निर्णय देने में सहायक सिद्ध होता है। किसी भी शब्द की प्रभावी व्याख्या करने के लिये ज्ञान की आवष्यकता होती है, इसलिये एक अधिवक्ता का मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य होना आवष्यक है। साथ ही अधिवक्ता को हमेषा जानने की ओर अग्रसर होना चाहिये, ताकि पक्षकार के प्रति आपकी संवेदनषीलता दर्षित हो और अधिवक्ता समाज के लिये एक प्रभावी उपचारक के रूप में स्थापित हो। यदि हम रास्ते में दिन में जलती हुई लाइट को बंद कराते हैं, उससे भी हम बिजली की बचत करके राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं। इस प्रकार के वर्कषाॅप हमारे ज्ञान की वृद्धि के साथ-साथ प्रभावी विचार उत्पादन क्षमता की वृद्धि करते हैं। यदि हम सुनते हैं तो थोडी देर बाद भूल जायेंगे, यदि हम देखेगें तो याद रखेंगे तथा यदि हम करेंगे तो सीख जायेंगे, इसलिये इस प्रकार की वर्कषाॅप से सीखकर करने की ओर अग्रसर होना चाहिये। उक्त विचार माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ-ग्वालियर के प्रषासनिक न्यायाधिपति माननीय न्यायमूर्ति श्री आनंद पाठक ने दिनांक 15ण्09ण्2024 को मध्यप्रदेष उच्च न्यायालय खण्डपीठ-ग्वालियर के ट्रेनिंग संेटर में आयोजित रीजनल वर्कषाॅप के अंतिम दिवस पर उपस्थित अधिवक्तागण को संबोधित करते हुये व्यक्त किये।
मध्यप्रदेष ज्यूडिषियल एकेडमी, जबलपुर के तत्वाधान में दो दिवसीय रीजनल वर्कशॉप चौदह व पन्द्रह सितंबर को
उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति-ग्वालियर के विधिक सेवा पेनल अधिवक्ता एवं माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ-ग्वालियर में कार्यरत 0.5 वर्ष तक के अनुभवी अधिवक्तागण हेतु किया गया था, जिसमें दिनांक 15ण्09ण्2024 को अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय के समस्त पदाधिकारी अधिवक्तागण भी सम्मिलित हुये थे। वर्कषाॅप में मध्यप्रदेष विधि एवं विधायी विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री हर्ष सिंह बहरावत द्वारा आई टी एवं डिजिटल एविडेंस के साथ ही भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर उपस्थित अधिवक्तागण को महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई। उक्त वर्कषाॅप में सम्मिलित अधिवक्तागण को विधि के विभिन्न विषयों पर अन्य विद्वानजन द्वारा भी विस्तृत जानकारी प्रदान की जाकर जिज्ञासाओं का निदान किया गया। उक्त वर्कशॉप में तीन दिवस में संपत्ति में अधिकार के संबंध में श्री प्रदीप मित्तल जिला न्यायाधीश सतर्कता द्वारा अपराधिक अपील और पुनरीक्षण के बारे में श्री विजय दत्त शर्मा अधिवक्ता द्वारा pocso अधिनियम के बारे में डॉ धर्मेंद्र टाटा द्वारा, म.प्र. हाई कोर्ट रूल्स एवं पैनल अधिवक्ता के कार्य पर श्री अखिलेश कुमार मिश्रा प्रिंसिपल रजिस्ट्रार एवं ओएसडी श्री हितेंद्र द्विवेदी द्वारा सिविल अपील पर न्यायमूर्ति श्री एम के मुद्गल सेवानिवृत्त न्यायाधीश म.प्र. हाईकोर्ट द्वारा श्रम विधि पर अधिवक्ता श्री प्रशांत शर्मा द्वारा रिट अधिकारिता पर श्री केएन गुप्ता सीनियर एडवोकेट द्वारा पारिवारिक विवादों पर श्री सुनील कुमार जैन प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय द्वारा एवं भारतीय न्याय संहिता पर श्री अमित सिंह सिसोदिया ओएसडी द्वारा जानकारी प्रदान की।
उक्त वर्कषाॅप के अंतिम दिवस में मध्यप्रदेष उच्च न्यायालय खण्डपीठ-ग्वालियर के माननीय प्रषासनिक न्यायाधिपति महोदय के अतिरिक्त खण्डपीठ-ग्वालियर के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार श्री अखिलेष कुमार मिश्र व ओएसडी श्री हितेन्द्र द्विवेदी, मध्यप्रदेष ज्यूडिषियल एकेडमी के संकाय सदस्य श्री धर्मेन्द्र कुमार टाडा, ओ.एस.डी श्री अमित सिंह सिसौदिया, ग्वालियर जिला न्यायालय के न्यायाधीषगण, मध्यप्रदेष विधि एवं विधायी विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री हर्ष सिंह बहरावत, मध्यप्रदेष उच्च न्यायालय खण्डपीठ-ग्वालियर के अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री अंकुर मोदी व श्री रोहित मिश्रा, शासकीय व पेनल अधिवक्तागण, मध्यप्रदेष उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री पवन पाठक सहित अन्य अधिवक्तागण सम्मिलित हुये।