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स्कूल में अनुशासन की अति से उकताई सैकड़ों छात्राओं का हिंसक विरोध, हैरान करने वाले वीडियो आए सामने

भोपाल, मध्य प्रदेश: आज शिक्षक दिवस पर शिक्षा व्यवस्था को। तार तार कर देने वाली यह घटना हैरान करने वाली है। लेकिन इस घटना के हर पहलू को समझना भी जरूरी है। मामला राजधानी भोपाल के सरोजिनी नायडू स्कूल का है। जहां बुधवार को सैकड़ों की तादाद में छात्राओं ने स्कूल में इतना कहर बरपाया कि उसकी तस्वीरें दिल दहलाने वाली हैं। उन्होंने कमरे के कांच फोड़ दिए अलमारियां गिरा। दी कूलर पंखे तोड़ दिए जो सामने देखा वह तोडफोड कर दी। घंटों स्कूल में नारेबाजी चलती रही हंगामा होता रहा स्कूल। के मेन गेट तक हंगामे का यह आलम था कि वहां मुख्य मार्ग पर ट्रैफिक जाम हो गया। यह हंगामा करने वाली छात्राएं इतना ज्यादा आक्रोशित थी। कि हंगामे में इन्हें खुद का भी होश नहीं था तेज गर्मी और उमस। के चलते 20 से ज्यादा छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। जिन्हें नजदीकी जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

इस हंगामे की वजह रही स्कूल में एच आर मैनेजर पद पर रखी गई सेना से रिटायर्ड शिक्षिका वर्षा झा। का अनुशासन। आरोप यह है के इन मैडम को जिस अनुशासन के नाम पर रखा गया था उस अनुशासन के नाम पर यह छात्राओं पर अत्याचार करती थी। ज्यादती करती थी छात्राओं से नौकर जैसा बर्ताव करती थी। जब कोई छात्रा लेट हो जाती थी तो उसे झाड़ू पोंछा भी लगाना पड़ता था। कई छात्राओं को कई बार घंटों धूप में खड़े रहने की सजा भी सुनाई गई। अनुशासन के नाम पर इस अत्याचार को यह छात्राएं काफी लंबे समय तक सहती रही लेकिन उनके अंदर क्रोध का। गुबार बढता जा रहा था और जब यह बहुत ज्यादा हो गया तो फिर यह इस हंगामे के रूप में फूट पडा और पूरे स्कूल के हालात यह हो गए तस्वीरें जो आप देखेंगे वह यह बयां कर रही है की जैसे किसी उपद्रवी भीड़ ने तोडफोड कर दी हो। 

अब यहाँ सवाल यह उठता है ही दोषी कौन है? क्या ये छात्राएं दोषी हैं जिन्होंने स्कूल में सारे दिन इतना हंगामा किया इतनी तोड़फोड़ की। लेकिन इसके पीछे यह भी समझना होगा। कि सैकड़ों छात्राओं की ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि उन्होंने इतना बडा कदम उठाया। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि इन छात्राओं का विरोध स्कूल के प्रशासन या स्कूल के किसी और शिक्षक के विरोध में नहीं था। पूरी परेशानी केवल एक एचआर स्टेट मैनेजर। रिटायर्ड कैप्टन वर्षा झा की वजह से था जो अनुशासन के नाम पर छात्राओं पर अत्याचार कर रही थी। छात्राओं के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा था। अनुशासन का पाठ तो इन छात्राओं को स्कूल के अन्य शिक्षक भी देते होंगे लेकिन वह अनुशासन अनुशासन के दायरे में ही रहता होगा अत्याचार का।रूप नहीं लेता होगा। इस घटना ने मध्यप्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था में हुई बडी गडबड को उजागर किया है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में इस तरह की किसी नियुक्ति का प्रावधान नहीं है उसके बावजूद एक निजी एनजीओ कि इस तरह नियुक्ति कैसे की गई? किसके अनुशंसा पर की गई और उनके इस अत्याचार पर स्कूल प्रबंधन ने पहले ही संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? 

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