Madhya Pradesh

रीवा के एक ही सरकारी स्कूल में 10 शिक्षकों को ब्रेन ट्यूमर, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप!

रीवा मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के इस जिले का एक स्कूल ऐसा है जहाँ एक साथ 1, 2 या 3 नहीं पूरे के पूरे 10 शिक्षकों को ब्रेन ट्यूमर है और इस ब्रेन ट्यूमर की रिपोर्ट इन। शिक्षकों ने बाकायदा शासकीय पटल पर दी है। अब यह सुनकर आप भी हैरान होंगे कि यह कैसे हो सकता है कि एक ही स्कूल में पढ़ाने वाले 10? शिक्षकों को ब्रेन ट्यूमर है। क्या यहां पर इस तरह की कोई बीमारी फैल रही है या यहां इस तरह का कोई दूषित हवा या पानी है जिसकी वजह से 10  शिक्षकों मैं ब्रेन ट्यूमर बात सामने आ रही है।  दत्त शिक्षकों में ब्रेन ट्यूमर होने की बात आपको जितनी हैरान कर रही है उससे ज्यादा हैरान आपको इस ब्रेन ट्यूमर के मामले के पीछे का कारण करेगा। 

शासकीय माध्यमिक शाला, बदराव के प्राचार्य आरके जैन के  नहीं यह बताया है कि। स्कूल में 557 विद्यार्थियों पर 34 शिक्षक और एक कर्मचारी की तैनाती है। इनमें से 10 अतिशेष शिक्षकों का स्थानांतरण किया जाना है। इसके लिए जानकारी खंगाली तब इनकी बीमारी के बारे में पता चला। जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने कहा कि 2022 में ट्रांसफर नीति आई थी। इसमें गंभीर बीमारी से जूझ रहे कर्मचारियों को स्थानांतरण से छूट दी गई है। तबादले से बचने के लिए कुछ शिक्षकों ने चालाकी की और पोर्टल पर गलत फीडिंग करा ली। यह हैरान करने वाला मामला जब प्रशासन की नजर में आया तो रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि गलत जानकारी देकर पदस्थापना की बात सामने आई है। जिला शिक्षाधिकारी सुदामा गुप्ता को जांच के निर्देश दिए हैं। शिक्षकों ने स्वयं को ब्रेन ट्यूमर के अलावा किडनी की बीमारी और दिव्यांग घोषित कराने में कसर नहीं छोड़ी। आश्चर्यजनक रूप से एजुकेशन पोर्टल पर यह जानकारी दर्ज है।

इस मामले के खुलासे ने बात को प्रमाणित कर दिया है की स्थानांतरण कराने के लिए या स्थानांतरण से बचने के लिए सरकारी कर्मचारी तमाम तरह के हथकंडे अपनाते हैं और शायद इन हथकंडों को अपनाने की सीख। इन्हें इसी सिस्टम से मिलती है क्यों कि प्राप्त सूत्रों के मुताबिक अभी तक भी। तमाम विभागों में तमाम कर्मचारी इस तरह के हथकंडे अपनाकर स्थानांतरण करा चुके हैं या स्थानांतरण से बच चुके हैं। कहते हैं कि नकल में भी अक्ल लगती है लेकिन इन? शिक्षकों ने एक दूसरे की ऐसी नकल की कि इन की अक्ल की लिमिट चरितार्थ हो गई। शिक्षा विभाग से आया यह मामला अति गंभीर की श्रेणी में माना जाना चाहिए क्योंकि यह शिक्षक जो आज प्रदेश के बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ बढाते होंगे फ़ोन के स्वयं। के अंदर नैतिकता का पूरी तरह आना न हो चुका है। अब देखना होगा कि प्रशासन की जांच में क्या खुलासा होता है और इन शिक्षकों के दोषी पाए जाने पर इन पर क्या कार्यवाही होती है?

Gajendra Ingle

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