भोपाल मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा था। बाघों के मौत की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ रही थी और बाघों की मौत की खबर ने पूरे देश में प्रदेश की छवि धूमिल की थी। इसे देखते हुए एसआइटी का गठित किया गया था और एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर। बाघों की मौत का जिम्मेदार कार्यकारी वन्य प्राणी अभिरक्षक को माना गया और उन्हें अपने पद से हाथ धोना पडा। आपको बता दें कि लगातार हो रही बाघों की मौत पर अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने का शक भी जाहिर किया जा रहा था। लेकिन इन सबके बावजूद भी शुभ। रंजन जैन ने कोई कड़ा निर्णय नहीं लिया।
बाघों की मौत से मध्य प्रदेश की देशभर में छवि धूमिल होने के बाद अंतत: राज्य के कार्यवाहक वन्यप्राणी अभिरक्षक शुभरंजन सेन को हटा दिया गया है। तीन साल में केवल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 34 बाघों की मौत हो गई। वहीं अन्य नौ बाघों की मौत शहडोल क्षेत्र में हुई। इस तरह कुल 43 बाघों की मौतों पर एसआईटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन शुभरंजन सेन इस रिपोर्ट को छुपाते रहे और अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। इस पूरे मामले में एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने भी संज्ञान लिया और राज्य सरकार से जवाब-तलब किया। इसके चलते बाघों की सुरक्षा और वन्यप्राणी प्रबंधन में विफल रहे शुभरंजन सेन को हटाकर कार्ययोजना और वन भू-अभिलेख के पीसीसीएफ व्हीएन अम्बाडे को मप्र का वन्य प्राणी अभिरक्षक बनाया गया है। अम्बाडे महाराष्ट्र के नागपुर में वन उप महानिदेशक भी रह चुके हैं।