भोपाल, मध्य प्रदेश; लंबे समय से ट्रांसफर का इंतजार कर रहे मध्यप्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के लिए यह खबर कुछ हद तक सुखद हो सकती है क्योंकि 15 दिन के लिए ट्रांसफर खोले जा रहे हैं। जो शासकीय कर्मचारी अपना ट्रांसफर चाह रहे थे वह अब निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करके अपना ट्रांसफर ले सकते हैं। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पिछले कुछ ट्रांसफर पॉलिसी विवादों। में रही और उस पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। यह देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बीच का रास्ता निकालते हुए कुछ जरूरी परिवर्तन के साथ 15 दिन के लिए यह ट्रांसफर खोले हैं।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कर्मचारी काफी लंबे समय से नई ट्रांसफर पॉलिसी का इंतजार कर रहे थे। बीच में ऐसी ख़बरें भी आई थीं की नई ट्रांसफर पॉलिसी का प्रारूप तैयार हो चुका है। और ऐसा माना जा रहा था के प्रभारी मंत्रियों की घोषणा होते ही सामान्य प्रशासनिक विभाग यह अधिसूचना जारी कर देगा। लेकिन नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू न करते हुए मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव ने एक बेहतर विकल्प देने का प्रयास किया है। इस विकल्प में यह प्रावधान है कि यदि कोई कर्मचारी जिले के भीतर ही ट्रांसफर चाहता है तो उसके लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा आवश्यक होगी और यदि कोई कर्मचारी जिला बदलकर ट्रांसफर चाहता है तो उसके लिए संबंधित विभाग के मंत्री की अनुशंसा आवश्यक होगी। लेकिन ट्रांसफर वहीं होंगे जहां पहले से पद खाली होगा। अब यदि कोई शासकीय कर्मचारी मंत्री जी। की अनुशंसा कराने में असफल रहता है तो वह निराश होगा और यदि जिस जगह पर ट्रांसफर चाहा गया है वहां पद ही खाली न हो।तो भी निराशा हाथ लगेगी।
मध्य प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में लगभग साढे सात लाख कर्मचारी और अधिकारी हैं। तमाम विभागों में यह कर्मचारी ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं। ट्रांसफर चाहने वाले सबसे ज्यादा कर्मचारी स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के हैं। आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 दिन के लिए ट्रांसफर खोले थे और आवेदनों की बार देखते हुए यह अवधि 7 दिन के लिए और बढाई गई थी। इस पूरे ट्रांसफर खोलने के पीछे मुख्यमंत्री की मंशा यह थी। कि चुनाव से पहले मतदाता नाराज नहीं होना चाहिए। और उनका यह प्रयास सफल भी रहा। शासकीय कर्मचारियों का चुनाव में भाजपा को भरपूर सहयोग मिला।