भोपाल ग्वालियर मध्य प्रदेश: देश के कई प्रांतों में फैल चुके चांदीपुरा वायरस का संदिग्ध मरीज इंदौर में मिलने से मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। 22 वर्षीय इस मरीज का उपचार निजी अस्पताल में चल रहा है। मरीज की स्थिति अभी गंभीर है, उसके सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे गए हैं। आपको बता दें कि चांदीपुरा बुखार एक जानलेवा बुखार है जो सामान्यत बच्चों में फैलता है और इसकी गंभीरता को देखते हुए उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सतर्कता बरतने के लिए एडवाइजरी जारी की है।
गुजरात में अब तक चांदीपुरा वायरस के लक्षण वाले मामलों की संख्या 84 और इससे मरने वालों की संख्या 32 हो गई है। चांदीपुरा वायरस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, कीट-पतंगों से फैलता है। यह बुखार बच्चों में तेजी से बढ़ता है और इसमें तेज बुखार के साथ साथ उल्टी दस्त और झटके आना के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इस बीमारी का मोर्टल रेट बहुत अधिक है। वर्तमान में साठ प्रतिशत की मोरटल रेट देखी जा रही है।
आपको बता दें कि यह कोई नया वायरस या नया बुखार नहीं है इसका पहला केस 19। 165 में दर्ज किया गया था। महाराष्ट्र के गाँव चांदीपुरा में पहला केस आने के कारण ही इस बीमारी का नाम चांदीपुरा पडा। लेकिन अभी वर्तमान में यह बीमारी गुजराल।में विकराल रूप लिए हुए है। यह एक एक्यूट इनफिलोसाइटी सिंड्रोम हैं जो अलग-अलग वायरस बैक्टीरिया फंगस परजीवी स्काइपो। कोकस और रसायनों की वजह से होता है और तंत्रिका। तंत्र को प्रभावित करता है। बीमारी में काफी तेज 104° तक का बुखार आता है। बुखार के दौरान उल्टी सर दर्द सुस्ती। शिथिलता झटके आना और मानसिक स्थिति में बदलाव के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
यह है बचाव के उपाय
जानकारी के अनुसार यह बीमारी पिक और सेंड फ्लाई मक्खी जैसे व्यक्ति के काटने से फैलता है। इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए हमें कीट पतंगों और मक्खियों से बच्चों का बचाव करना चाहिए। बच्चों को पूरी तरह कपडे पहनाकर ढक कर रखना चाहिए और सोते समय। मच्छरदानी का प्रयोग आवश्यक रूप से करना चाहिए। नियमित रूप से साबुन से और सैनिटाइजर से हाथ धोने चाहिए ताकि कोई भी परजीवी शरीर में प्रवेश न करें। जंगली जानवर या पालतू पशुओं को छूने। के बाद तो आवश्यक रूप से हाथ धोने ही चाहिए। यदि आपके घर में कीट पतंगे और मक्खी दिखाई दें तो उनके निस्तारण के लिए समुचित प्रबंध करना चाहिए। और यदि आपके बच्चे को बुखार है तो चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही उसको दवा देनी चाहिए।