देश में बिक रही कोल्ड ड्रिंक में आईसीएमआर के मापदंड से 5 गुना ज्यादा तक चीनी डाली जा रही है इन कोल्ड ड्रिंक को बनाने में जिन सामग्री का प्रयोग होता है उनके नाम भी आपको बोतल पर दिखाई नहीं देते हैं साथ ही कैलोरी की मात्रा भी छुपाई जाती है आप देखेंगे कि अमेरिका में अमेरिकन कैबिनेट ड्रिंक में साफ लिखा होता है कि वह कोई पोषण नहीं देते हैं वह कोई हेल्थ ड्रिंक नहीं है जबकि भारत में कोल्ड ड्रिंक के पैकिंग पर ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती है। अमेरिका में कोल्ड ड्रिंक की पैकिंग पर साफ लिखा रहता है कि इसमें कैरेमल कलर्स डाले गए हैं और साथ ही इसमें फास्फोरिक एसिड और कैफीन मिलाया गया है जबकि भारत में कोल्ड ड्रिंक बनाने वाली कंपनी अपने पैकिंग पर ऐसी कोई जानकारी न देते हुए यह आवश्यक जानकारी छुपा लेती हैं।आज के जमाने में सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में लोग कोल्ड ड्रिंक्स, सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक और एनर्जी ड्रिंक्स का जमकर सेवन करते हैं। शहरी क्षेत्र हो या सद्गुरु ग्रामीण क्षेत्र कोल्ड ड्रिंक्स पीने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। अधिकतर सॉफ्ट ड्रिंक्स में शुगर की मात्रा काफी होती है और इनका ज्यादा सेवन करने से सेहत को गंभीर नुकसान हो सकते हैं. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट की मानें तो अधिकतर सॉफ्ट ड्रिंक्स की एक केन में करीब 7 से 10 चम्मच के बराबर एडेड शुगर होती है। अब आप अंदाजा लगाइए कि एक गिलास पानी में 10 चम्मच चीनी डाल दी जाए, तो पानी कितना मीठा हो जाएगा। शायद चाशनी बन जाएगी. आमतौर पर लोग इतना मीठा पानी नहीं पी सकते हैं, लेकिन इतनी ही मीठी कोल्ड ड्रिंक्स को स्वाद के साथ पी जाते हैं।
नियम अनुसार जो भी खाद्य पदार्थ होते हैं उनके पैकेजिंग पर उनमें शामिल किए गए तत्व इंग्रेडिएंट्स की जानकारी देना आवश्यक होता है ज्यादातर खाद्य पदार्थों पर यह दिया भी जाता है लेकिन भारत में बिकने वाली कोल्ड ड्रिंक निर्माता कंपनियां खुले आम इस नियम की धज्जियां उड़ा रही हैं। इन कोल्ड ड्रिंक की पैकिंग पर किसी भी तरह की जानकारी नहीं है जिससे ग्राहक को यह समझ में आ सके कि इसके अंदर हानिकारक तत्व है या ऐसे तत्व हैं जो उन्हें किसी तरह से फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं।