डिजिटल डेस्क नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्यशैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी टिप्पणी कर दी है कि पूरे देश में ईडी की किरकिरी हो रही है। छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED पर एक बेहद गंभीर टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा, “प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बिना सबूत आरोप लगाती है, यह एक पैटर्न सा हो गया है”। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को सबूत पेश करने के लिए दो दिन का समय दिया है।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अहम भूमिका निभाने के आरोप में जेल में बंद अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय के वकील सी. राजू ने अदालत में सबूत पेश करने के लिए दो दिनों का समय कोर्ट से मांगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस. ओका ने प्रवर्तन निदेशालय की जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए। जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि ईडी बिना सबूत आरोप लगाती है, ये एक पैटर्न सा बन गया है।

भूपेश बघेल सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में हुए आबकारी घोटाले की ईडी की जांच में यह सामने आया था कि छत्तीसगढ़ में नेता, अधिकारी और शराब माफिया ने मिलकर एक सिंडिकेट तैयार कर आबकारी विभाग को 2000 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। ईडी ने इस मामले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कबासी लखमा, तत्कालीन आईएएस अधिकारी अनिल टुटेज, आबकारी विभाग के अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी, कारोबारी अनिल ढेबर और अरविंद सिंह समेत कई अधिकारियों और नेता-मंत्रियों के पूरे सिंडिकेट का खुलासा किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए अनगिनत मामलों में हम यही देख रहे हैं कि आप बिना सबूत आरोप लगाते हैं। यह एक पैटर्न सा बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों के अंदर अरविंद सिंह के खिलाफ कोर्ट में सबूत पेश करने का समय ईडी को दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई इस टिप्पणी के बाद ईडी द्वारा दायर अन्य मामलों में भी ईडी की किरकिरी हो सकती है। और इस टिप्पणी को आधार बनाकर अन्य आरोपी भी आरोपों के चलते ही मामला दर्ज किए जाने की बात माननीय उच्चतम न्यायालय में रख सकते हैं।
