ज्यादा समय नहीं हुआ है जैसे लोग मोबाइल टेक्नोलॉजी दुनिया में प्रयोग कर रहे हैं कि वह हर आम और खास के हाथ में पहुंच गई है और अब शुरुआत होने वाली है मोबाइल क्रांति में एक नई युग की। स्पेस एक्सप्लोरेशन में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, NASA चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। ये ग्राउंडब्रेकिंग डेवलपमेंट Intuitive Machines की IM-2 मिशन का हिस्सा है, जिसमें गुरुवार को Athena लैंडर लॉन्च होगा, जो लूनर सरफेस कम्युनिकेशन सिस्टम (LSCS) को सेटअप करेगा।

इस मोबाइल नेटवर्क की सफलता NASA के Artemis प्रोग्राम के लिए आधार तैयार करती है, जिसका लक्ष्य 2027 तक इंसानों को चंद्र सतह पर वापस लाना है। Nokia का लॉन्ग-टर्म गोल इस नेटवर्क को विस्तार देकर चंद्रमा पर सस्टेनेबल ह्यूमन एक्टिविटीज़ को सपोर्ट करना है, जिसमें भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेससूट्स में सेल कम्युनिकेशन को इंटीग्रेट करना भी शामिल हो सकता है। Klein ने कहा, ‘शायद एक ‘नेटवर्क इन ए बॉक्स’ या एक टावर पूरी कवरेज दे सकता है, या हमें इनमें से कई की जरूरत पड़ सकती है।’ इस नेटवर्क का विस्तार लूनर इकोनॉमी और परमानेंट हेबिटेट्स के विकास के साथ बढ़ सकता है।

Nokia द्वारा विकसित LSCS, पृथ्वी पर इस्तेमाल होने वाली सेल्युलर टेक्नोलॉजी का उपयोग करके चंद्र सतह पर कनेक्टिविटी स्थापित करेगा। ये मोबाइल नेटवर्क हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग, कमांड-एंड-कंट्रोल कम्युनिकेशन्स और टेलीमेट्री डेटा ट्रांसफर को लैंडर और लूनर व्हीकल्स के बीच संभव बनाएगा। Nokia Bell Labs Solutions Research के प्रेसिडेंट Thierry Klein के मुताबिक, ये नेटवर्क अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों- जैसे एक्सट्रीम टेम्परेचर, रेडिएशन और लॉन्च-लैंडिंग के दौरान होने वाले वाइब्रेशन्स को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है।