ग्वालियर मध्य प्रदेश: ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी अपने गड़बड़ झालाओं के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती है। झुण्पुरा के शिवशक्ति कॉलेज की सम्बद्धता फर्जीवाड़े मामले में EOW द्वारा FIR दर्ज करने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने और उच्च शिक्षा मंत्रालय ने और राज्यपाल ने तक इस मामले में कोई गंभीर तो क्या छोटी सी कार्रवाई की बात तक नहीं कही। भाजपा सरकार की यह खामोशी एक तरह से खुद के ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है क्योंकि इस तरह से इतने गंभीर मामले में भी आरोपियों को पद से न हटाया जाना एक तरह से यह प्रमाणित करता है कि एक भाजपा सरकार का मौन सहयोग जीवाजी विश्वविद्यालय के इन कारिंदों को मिला हुआ है।
झुंडपुरा के शिक्षक शक्ति कॉलेज की मान्यता में फर्जीबाड़े विसेल् ब्लोअर अरुण शर्मा लगातार आवाज उठा रहे हैं और उन्हीं के प्रयास से संबद्धता के फर्जीवाड़े का मामला ईओडब्ल्यू में दर्ज हुआ। इसके बाद जिला प्रशासन ने भी टी बनाकर जीवाची विश्वविद्यालय से संबंधित तमाम संचालित कॉलेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया। जिसमें न तो छात्र पाए गए। इतना शिक्षक यह साफ बताता है कि जीवाशी विश्वविद्यालय में सम्बद्धता के मामले में फर्जीवाड़े का काम धड़ल्ले से चल रहा है और ऊपर से नीचे तक पूरे सिस्टम में जानकारी होने के बावजूद जीवाशी विश्वविद्यालय ने इन कारनामों पर कोई रोक नहीं लग रही है।
जीवाजी विश्विद्यालय के द्वारा 14 साल तक फर्जी तरीके से मुरैना जिले के झुंडपुरा स्तिथ शिवशक्ति कॉलेज को सम्बद्धता दी जाती रही, जबकि कॉलेज सिर्फ कागजों में चल रहा था,मामला उजागर करने पर EOW ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु अविनाश तिवारी सहित 17 प्रोफेसर्स पर FIR दर्ज की है। लेकिन मामले में राजभवन से लेकर EOW द्वारा कार्रवाई न किये जाने पर फूलबाग स्तिथ गांधी प्रतिमा को ज्ञापन दिया गया,अरुण शर्मा के साथ कॉंग्रेस विधायक राजेन्द्र भारती ने भी मोर्चा खोल दिया है।
दतिया विधायक राजेंद्र भारती ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा पूरी कांग्रेस अरुण शर्मा के साथ है। उनका यह बयान शाह बताता है कि जीवाजी विषेक। में हुए गड़बड़ा के रूप में कांग्रेस को एक मुद्दा मिल गया है और अब आने वाले समय में इस मुद्दे पर राजनीति और तेजी पकड़ सकती है। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस को यह मुद्दा मिला क्यों? उसकी वजह यही रही कि जब यह मामला उजागर हुआ उस समय प्रदेश सरकार द्वारा आरोपी प्रोफेसर्स पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। सबसे गंभीर बात यह रही कि जीवाजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ( कुलपति नहीं लिखा जा सकता) अरविंद तिवारी पर भी इस मामले में भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज है। इसके बावजूद वह पद पर बैठे हुए हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि वह जांच को और दस्तावेजों को प्रभावित कर सकते हैं।
आपको बता दें कि अभी कुछ समय पूर्व ही जीवाजी विश्र्वविद्यालय के संस्थापक के कैलाशवासी जीवाजीराव सिंधिया की मूर्ति का अनावरण हुआ था। उस समय प्रदेश सरकार के तमाम मंत्रियों के साथ केंद्रीय मंत्री और उपराष्ट्रपति तक मौजूद थे। जिस समय यह आयोजन हुआ था उस समय भी ईओडब्ल्यू में जांच प्रकरण लंबित था। सूत्र बताते हैं कि जीवाजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर का संबंध भाजपा के रसूखदार नेताओं से है। जिसके चलते वह नियमों को दरकिनार करते हुए वाइस चासलर के पद पर पहुंचे थे और आज भी इसी भाजपा कनेक्शन की वजह से वह ईओडब्ल्यू में एफआइआर के बावजूद पद पर बने हुए हैं। जीवाजी विश्वविद्यालय में सम्बन्धता के नाम पर खुले आम चल रहे फर्जीबाड़े पर भाजपा सरकार के इस मौन की वजह से अब? कांग्रेस को एक मुद्दा मिल गया है और राजेंद्र भारती की उपस्थिति ने साफ बता दिया है कि अब कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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