लंबे समय तक चले मन्थन के बाद भाजपा ने अपने तमाम जिला अध्यक्षों की सूची जारी की और ग्वालियर में भी विभिन्न गुटों की खींचतान के बीच में संघ के विचारशील व्यक्तित्व जय प्रकाश राजोरिया को ग्वालियर भाजपा जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। यदि जिला अध्यक्ष सिंधिया गुट तोमर गुट या किसी अन्य गुट से चुना जाता तो चयन होने के बाद में पूरे शहर में शक्ति प्रदर्शन प्रदर्शन होना तय था। लेकिन संघ की पृष्ठभूमि भूमि से आने वाले जयप्रकाश। राजोरिया के भाजपा जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जब वह शुक्रवार को भोपाल से ग्वालियर पहुंचे तो उनका फिला आठ घंटे तक शहर के विभिन्न मार्गों मैं घूमता रहा जगह-जगह स्वागत हुआ, जगह-जगह आतिशबाजी हुई, पूरे शहर को होर्डिंग बैनर से पाट दिया गया। अपनी पूरी यात्रा के बाद नव नियुक्त जिला अध्यक्ष भाजपा के जिला कार्यालय मुखर्जी भवन पहुंचे। आप यक़ीन मानिए के एक जिला अध्यक्ष के प्रथम नगर आगमन पर शक्ति प्रदर्शन और ग्रैंड शो। ठीक उसी तरह का था जिस तरह का ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र सिंह तोमर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के लिए पूर्व में किया गया हो।
जयप्रकाश राजोरिया व्यक्तिगत रूप से एक सरल सहज और संघ। कि मूल विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति हैं और कहीं ना कहीं उनमें प्रभात झा की झलक दिखाई देती है। क्योंकि लंबे समय तक वह प्रभात झा सान्निध्य में ही कार्य करते रहे और उनसे ही प्रेरणा लेते रहे। मुझे याद है के प्रभात झा हमेशा फिजूलखर्ची का विरोध करते थे। उन्होंने हमेशा अपने जन्मदिन या किसी अवसर पर तमाम तरह के शोबाजी बैनर पोस्टर का विरोध ही किया है। वह इस तरह की फिजूलखर्ची के बारे में खुलकर बोलते थे। उन्हीं की उंगली थामकर राजनीति में यहां तक पहुँचने वाले जयप्रकाश राजोरिया जब जिला अध्यक्ष बनाए गए तो ऐसी अपेक्षा थी कि वह दिवंगत प्रभात झा के विचारों का अनुसरण करेंगे। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस विचार को भी धरातल पर लाने का प्रयास करेंगे जिसके साथ उन्होंने पहले जनसंघ की स्थापना की जिसे बाद में भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना गया।
जिस तरह से जिलाध्यक्ष जयप्रकाश राजोरिया के स्वागत के लिए। पूरे शहर को होर्डिंग बैनर से पाटा गया था। जगह जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे हर जगह पर सैकड़ों। की संख्या में फूल मालाओं की व्यवस्था की गई थी। वह कहीं से भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी और प्रभात झा। विचारधारा के अनुरूप नहीं था। जो भाजपा कभी पूंजीवाद का वो कांग्रेस मिसालों से चली आ रही तरह की शोबाजी का विरोध करती थी। वह स्वयं अब पूरी तरह से कांग्रेस के परिपाटी पर चलती नजर ग्रेस के नेता भी इसी तरह बडे बडे जुलूस और शक्ति प्रदर्शन यात्राएं निकाला करते थे। कांग्रेस नेता भी शक्ति प्रदर्शन यात्राएँ निकाला करते थे । जिस कांग्रेस से परेशान होकर जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में बिठाने का। मौका दिया था। अब वह भारतीय जनता पार्टी भी पूरी तरह पूंजी बांध के रंग में रंग चुकी है। पूंजीवाद का रंग इस तरह हावी है। की मूल विचारधारा के व्यक्ति के स्वागत सत्कार।में भी लाखों रुपया पानी की तरह बहा दिया गया।
अब यहां सवाल यह उठता है कि जिस तरह का स्वागत सत्कार जुलूस आतिशबाजी बैनर होर्डिंग तमाम तरह के खर्चे। किए गए उसमें जयप्रकाश राजोलिया की कितनी सहमति थी क्योंकि कई बार ऐसा भी देखा गया है कि स्वयं। के निर्देशों के चलते कुछ माननीय अपना स्वयं। का स्वागत सत्कार अपने कार्यकर्ताओं से कराते हैं। या फिर दूसरी ओर मौन सहमति भी हो सकती हैं जहाँ कार्यकर्ता जगह जगह स्वागत सत्कार कर रहे हों बड़े बड़े होर्डिंग लगा रहे हो और आप यह सब देखकर मौन हो। क्योंकि यदि उन विचारों की बात करें जिस पर चलकर भाजपा आज एक मजबूत पार्टी बनी है। और आज भी आम जमीनी व्यक्ति या निचले स्तर का भाजपा कार्यकर्ता उसी विचार के साथ जी रहा है। तो ऐसी स्थिति में नवागत अध्यक्ष जयप्रकाश राजोरिया सभी लोगों को इस तरह के फिजूलखर्ची के लिए साफ मना कर सकते थे। वह इस बात की घोषणा कर सकते थे कि उनके नगर आगमन पर उनका सादगी से स्वागत किया जाए। कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाली भाजपा विचारों और क्रियाकलापों में पूरी तरह कांग्रेस युक्त हो चुकी है। खैर इस स्वागत सत्कार के बाद आगे के कार्यकाल में जयप्रकाश राजोरिया श्यामा प्रसाद मुखर्जी और तमाम संस्थापक सदस्यों के साथ-साथ प्रभात झा के विचारों को साकार करने का प्रयास करेंगे।ऐसी अपेक्षा की जा सकती है।