ग्वालियर, मध्य प्रदेश: अगर आप चोरी का मोबाइल खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि तकनीक अब इतनी एडवांस हो चुकी है कि वो मोबाइल एप भी जैसे की किसी भी परिस्थिति में यूज करेंगे उसकी सूचना पुलिस तक पहुंच जाएगी और वह मोबाइल तो आपको गंवाना ही पड़ेगा और साथ में आपको होगी जेल। गुम हुए मोबाइल की सूचना एक राष्ट्रीय पोर्टल सेन्ट्रल इकुपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर में दर्द रहती है। और इस तरह के चोरी के मोबाइल को देश के किसी भी कोने में सिम बदल कर भी उपयोग में लाया जाता है तो इसे उपयोग करने वाले तक पुलिस का पहुँचना आसान हो जाता है। ऐसे ही 3788 मोबाइल्स को एक साल के अन्दर ग्वालियर पुलिस ने ब्लॉक कराया है।
शहर की साइबर सेल पुलिस ने पिछले 3 महीने के दौरान 675 ऐसे मोबाइल फोन खोज हैं जो विभिन्न घटनाओं में चोरी लूट अथवा गुम हुए थे। एसपी धर्मवीर सिंह ने बुधवार दोपहर को इन मोबाइल फोन को उनके असली मालिकों को सौंपा। एसपी धर्मवीर सिंह के मुताबिक पिछले 1 साल के दौरान 4756 मोबाइल जाने की शिकायत मिली थीं। इनमें से 3738 मोबाइलों को ब्लॉक कराया गया जबकि 2793 मोबाइल रिकवर हुए। इनमें 2092 मोबाइलों को उनके मालिकों को वापस किया गया है।
एसपी के मुताबिक दूरसंचार विभाग के सीईआईआर पोर्टल यानी सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर के माध्यम से इन मोबाइल फोन को ट्रेस किया गया और उन्हें देशभर के विभिन्न राज्यों से बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक इन सभी मोबाइल्स को ग्वालियर मुरैना गुना भिंड शिवपुरी दतिया झांसी बिहार केरल दिल्ली गुजरात राजस्थान और उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों से जाकर बरामद किया गया। इस दौरान चार ऐसे लोगों का भी सम्मान किया गया जिन्होंने लावारिस हालत में मिले मोबाइलों को उठाकर पुलिस तक पहुंचाया था।
जिन लोगों के मोबाइल गायब हुए थे। उनमें रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर डॉक्टर एडवोकेट शिक्षक विद्यार्थी महिला मजदूर शासकीय कर्मचारी और व्यापारी आदि शामिल थे। मोबाइल फोन मिलने पर उनके चेहरे पर एक बार फिर खुशी देखी गई। बुधवार को जो 675 मोबाइल उनके मालिकों को वापस किए गए उनकी कीमत एक करोड़ 60 लाख रुपए बताई गई है। एसपी के मुताबिक सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी आइडेंटिटी रजिस्टर पोर्टल के जरिए चोरी अथवा गुम हुए मोबाइल की शिकायत ऑनलाइन की जा सकती है। इस पोर्टल की मदद से मोबाइल को ब्लॉक करने के बाद कोई उसका गलत उपयोग नहीं कर पाएगा। कोई भी व्यक्ति मोबाइल का सिम कार्ड बदलकर दूसरी सिम लगाकर मोबाइल इस्तेमाल करेगा तो वह पोर्टल में दर्ज हो जाएगा और पुलिस को मोबाइल धारक के बारे में सूचना मिल जाएगी।