भोपाल/ग्वालियर मध्य प्रदेश: भोपाल के भियाजी बता रहे हैं कि भोपाल में कड़ाकेदार ठंड पड़ रही है। इसलिए प्रशासन रहम कर रहा है और बच्चों के स्कूल का टाइम नौ बजे कर दिया है। स्कूल जाने वाले बच्चे सुबह जल्दी उठ कर कड़कड़ाती ठंड में स्कूल जाने को मजबूर थे। लेकिन अब स्कूल का समय नौ बजे किए जाने से इन बच्चों को राहत मिलने वाली है। इसलिए प्रशासन वाले अंकल को ये बच्चे धन्यवाद देते नजर आ रहे हैं। लेकिन इसके ठीक उलट ठीक इसी समय उत्तरी मध्य प्रदेश में चमचमाती धूप और चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है ऐसा लग रहा है। ऐसा हमें नहीं लग रहा है ऐसा प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लग रहा है भाई साहब भयंकर झुलसाने वाली गरमी पड़ रही है। इतनी भयंकर कि इन अधिकारियों की आँख चौंधिया जाए और इन्हें कुछ दिखाई ही न दें। अब आप ही बताओ यदि ग्वालियर में कड़कड़ाती ठण्ड होती तो क्या यहां के संवेदन शून्य अररररररर. माफ कीजिए अति संवेदनशील अधिकारी तुरंत स्कूल का समय नहीं बढ़ा देते।
अब आप कहेंगे कि वो तो भोपाल है भोपाली जो करें हम वो क्यों करें। तो आपको बता दें कि ग्वालियर के अधिकारी अब केवल भोपाल के अधिकारियों की नकल करने के अलावा कुछ और करते नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले साल भी जब कड़ाकेदार ठंड पड़ी थी तब भोपाल प्रशासन ने। जिला शिक्षा अधिकारी ने ग्वालियर। से पहले ही बच्चों को ऊपर रहम करते हुए स्कूल का समय परिवर्तित करने का आदेश जारी कर दिया था। और उसकी नकल करते हुए ही। फिर ग्वालियर शिक्षा विभाग ने भी ठंड को देखते हुए स्कूल के समय के परिवर्तन का आदेश जारी किया था। नकलची नकलची नकलची… अब ऐसा विचार मन मे आ रहा हो तो ऐसा है बिलकुल नहीं। हम ग्वालियर वालों को अति होशियार अधिकारी मिले हैं। वह पहले देख लेते हैं कि भोपाल में क्या एक्सपेरीमेन्ट हो रहा है और फिर वह सफल हो जाता है तब यहां लागू करते हैं। भोपाल प्रशासन को धन्यवाद जिसने दस डिग्री टेम्परेचर में भी बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए समय में परिवर्तन किया है। और ग्वालियर शासन ठहरो रोको जरा दो तीन बाद आपको भी धन्यवाद दे देगें…
अब देखिए नाश्ते दमस छोड़िए लेकिन हम आपको एक बड़ी सटीक भविष्यवाणी बताते हैं। भोपाल।में आदेश जारी हो चुका है। अब उस आदेश की हूबहू कॉपी कर ग्वालियर में भी शिक्षा विभाग ऐसा ही आदेश जारी करेगा जिसमें स्कूल का समय परिवर्तित करके नौ बजे कर दिया जाएगा। अब हम यह भविष्यवाणी क्यों कर रहे हैं उसकी पोल हम खुद ही खोल लेते हैं। शिक्षा विभाग के मुखिया साहब से अभी उनके गतिशील दूरभाष नंबर पर बात हुई तो उन्होंने यही कहा कि भोपाल का जो आदेश है, उसे मंगा लेते हैं उसे देख लेते हैं फिर आगे करते हैं कुछ। और देख लीजिए कलेक्टर साहिबा आप के जिले के अधिकारी इतने जिम्मेदार भी नहीं हैं कि स्वयं अपने विवेक से निर्णय ले पाएं। छोटे छोटे मासूम बच्चों को स्कूल जाते हुए आप ही देख लीजिए और भोपाल और ग्वालियर के तापमान की तुलना भी कर लीजिए। तो शहर के सभी बच्चों बोलो प्रशासन मौन सर्दी ऑन… कल सुबह 7 डिग्री की कड़ाती सर्दी में बच्चे ठिठुरते हुए जाएंगे स्कूल जिम्मेदार कौन????