बांग्लादेश अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हिंसा को लेकर इन दिनों सुर्खियों में है। बांग्लादेश से आ रही खबरों से बांग्लादेश ही नहीं भारत में भी बवाल मचा हुआ है। चटगांव में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बवाल और बढ़ गया। बांग्लादेश में हसीना सरकार के पतन के बाद भीड़ द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाए जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। पत्रकार मुन्नी साहा को शनिवार रात राजधानी में गिरफ्तार कर सरकार ने हिंसा की जल रही आग में घी डालने का काम किया। हालांकि हिरासत में लिए जाने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें छोड़ दिया गया. उन्हें बांग्लादेश की जासूसी एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
पत्रकार मुन्नी साहा को जनता टॉवर स्थित मीडिया कार्यालय से बाहर निकलते ही भीड़ ने घेर लिया। भीड़ ने उनका रास्ता रोक दिया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की. इसके तुरंत बाद पुलिस को बुलाया गया और शनिवार रात करीब 10 बजे साहा को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उसे तेजगांव पुलिस स्टेशन ले जाया गया और फिर ढाका मेट्रोपॉलिटन डिटेक्टिव ब्रांच के कार्यालय में भेज दिया गया।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार उन्हें ले जाने के बाद सौ से अधिक लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की। मुन्नी साहा “एक तकर खोबर” नामक एक ऑनलाइन पोर्टल की संपादक हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि रात करीब 10:30 बजे मुन्नी साहा को पुलिस स्टेशन से मिंटो रोड स्थित ढाका मेट्रोपॉलिटन डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) कार्यालय ले जाया गया। गौरतलब है कि मुन्नी साहा के खिलाफ कई मामले पहले से ही दर्ज हैं।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अलोकतांत्रिक तरीके से हटाए जाने के बाद हिंदू धर्म से जुड़ी एक प्रमुख पत्रकार मुन्नी शाह को निशाना बनाया गया है। उन पर 7 अन्य पत्रकारों के साथ ‘हत्या का मामला’ दर्ज किया गया। हिंसक ‘छात्र विरोध प्रदर्शन’ में भाग लेने वाले 17 वर्षीय दंगाई नईम हाउलादर को जत्राबाड़ी में पुलिस ने गोली मार दी।