ग्वालियर, मध्य प्रदेश: न तो पास में मोबाइल फोन था और न ही कोई दिशा सूचक। मुन्ना चाचा के इशारे पर नाव में पहुँचे एसडीआरएफ के जवान 18 निरीह जिंदगियों के संकट मोचन बन गए। यहाँ बात हो रही है एसडीआरएफ के जवानों द्वारा बिजौली क्षेत्र में किए गए सफल रेस्क्यू ऑपरेशन की। वैसे तो संकट मोचन हनुमान जी हैं लेकिन आधुनिक युग में एसडीआरएफ़ के जवान भी जरूरतमंदों के लिए उम्मीद बनकर आते हैं। बाढ़ से प्रभावित बिजोली थाने के पाँच गाँवों में रातों रात पानी भर गया और जीवन संकट में आ गया।
जिला प्रशासन को सूचना मिली तो मौक़े पर कलेक्टर श्रीमती रूचिका चौहान ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री शियाज़ के एम और एसडीएम मुरार श्री अशोक चौहान के नेतृत्व में टीम मौके पर भेजी। साथ ही एसडीआरएफ़ व सेना की टीम भी भिजवाई।
एसडीआरएफ़ की टीम के द्वारा बिलहेटी गाँव के बीरबल का पुरा से 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। वहीं आर्मी की टीम द्वारा खोदूपुरा गाँव से लोगों को सुरक्षित निकाला गया। शाम तक तहसीलदार दीपेश धाकड़ को सूचना मिली कि पारसेन गाँव के एक किसान परिवार का घर गिर गया है और उनके पास मोबाइल भी नहीं है। सुबह से कोई संपर्क नहीं हो रहा है। एसडीआरएफ़ की टीम के प्लाटून कमाण्डर अजय सिंह की टीम के ड्राइवर ख़ान, भानु तोमर, विजय दंडोतिया ने जब नाव को बाजरे के खेत से खींचते हुए किसान के घर के पीछे लगाया तो बेटी प्रियंका गुर्जर की नज़र पड़ी तो मुस्कुराने लगी। उसके बाद गिरे हुए मकान से एक अंधे दादा रामवीर गुर्जर उम्र-85 वर्ष, लकवाग्रस्त दादी 80 वर्ष मिली।
इसी बीच सेना के लोगों को एक महिला का गऊ प्रेम देखने को भी मिला जब। रामबरण की पत्नी रिंकी ने आने से मना कर दिया कि मेरी गाय को छोड़कर नहीं जाऊँगी लेकिन पुलिस व होम गार्ड के जवानों द्वारा समझाइश देने के बाद रामबरण व उसकी पत्नी आने को तैयार हुए। जब राहत दल पहुँचा तो खाना के लिए कंडे सुलगा रहे थे। उसके बाद एसडीआरएफ़ के नाव चालक ख़ान साब ने नदी की तेज धार से पार करते हुए निकाला। सैनिक भानू व विजय ने जान की परवाह किए बिना नाव को बाजरा व धान के खेत से सुरक्षित निकाला और राहत की सांस दी। कलेक्टर श्रीमती चौहान भी टीम का उत्साहवर्धन करने मौके पर पहुँची ।