ग्वालियर, मध्य प्रदेश: जब से माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एससी में क्रीमी लेयर को लेकर अपना फैसला सुनाया है पूरे देश में इसको लेकर बहस छिड़ी हुई है। दलित वर्ग में ही कुछ लोग तो ऐसे हैं जो इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग जिन्हें आज तक आरक्षण का। लाभ नहीं मिला है। और जो आज भी बदहाली का जीवन जी रहे हैं वह सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत कर रहे हैं और साथ ही उनकी मांग है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द इसे लागू करें। ऐसी ही मांग करने वाले तमाम समाजों में से एक है वाल्मीकि समाज जिसने इस मांग को लेकर शुक्रवार को ग्वालियर कलेक्टर को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया।
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति युवजन समाज के राष्ट्रीय सचिव श्री सीताराम खरे ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि 01 अगस्त 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसला अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण कोटे में कोटा वर्गीकरण किए जाने व क्रीमीलेयर हटाने हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए बताया है कि आरक्षण की जो मूल परिकल्पना थी। मानव मल उठाने वाले वाल्मीकि समाज के उत्थान, कल्याण, विकास की मुख्य धारा में जोड़ना थी, आज के परिदृश्य में मानव समाज की अंतिम पंक्ति में कोई है तो यह है वाल्मीकि समाज है जिसे आज तक मान्यता नहीं मिली है उसी के साथ ही आज भी घुआ छूत बरती जाती है जिसके कारण बाल्मीकि समाज पिछड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलै के समर्थन में ग्वालियर की बाल्मीकि समाज ने एस.डी.एम. श्री अतुल सिंह जी को महामहिम राष्ट्रपति महोदय, माननीय प्रधानमंत्री महोदय, महामहिम राज्यपाल एवं माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन देकर मध्यप्रदेश में शीघ्र सविधान पीठ के आदेश पालन में बाल्मीकि कोटा लागू किए जाने की मांग की है। ज्ञापन सौंपकर मांग करने दालों श्री गंगाराम मेहता, रघवीर खरे, संजय चौहान, सोनू दांदोरिया, राजेन्द्र मौर्य, विशन पारछे,शेरू बाल्मीक, विशम्भर दयाल बनाफल, विक्रम बागडे, अशोक गोरे, सुधीर डागौर, अरूण सोनवाल, नरेश खरे, अनिल परमार, गोविन्द खरे, रवि टांक, राजू चौहान, राजेश करीसिया, अतुल कोडातकर, गुलाव धारौन, अनिल कड़ेरे, जीत खरे, दिलीप रणवीर, अजय पवार, भीकाराम, नरेश चौधरी अरविंद घावरी कपिल बालूऐ आदि लोग शामिल है।